रायपुर। पांच सितारा होटल में बैठकर रमन सरकार के जल संसाधन मंत्री बेहद तनाव में आ गए. मंत्री बेहद परेशान और चिंतित नजर आने लगे. ये चिंता जायज भी थी क्योंकि चर्चा विश्व की सबसे बड़ी समस्या पर हो रही थी. जिससे आज छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी संकट से जूझ रहा है. चर्चा में अपना भाषण देते हुए एक तरह से उन्होंने खुद की सरकार को ही नहीं खुद को भी कठघरे में खड़ा कर दिया. मंत्री बृजमोहन के मुंह से सच्चाई सुनकर वहां बैठे अधिकारी सहित अन्य लोग भी सकते में आ गए. मंत्री जी ने कहा कि हमने प्रकृति के साथ न्याय नहीं किया. आज कॉन्क्रीट के जंगल बन रहे हैं इसलिए पानी की समस्या बढ़ रही है. हमारे जितने नदी नाले हैं उन्हें रिवाइव पर आज तक कोई प्रयास नहीं किया.  हमने नालों के गहरीकरण के लिए कोई काम नहीं किया. एक विभाग बनना चाहिये की जो वाटर डिजास्टर का काम हो सके. हमारे देश मे हमारी संस्कृति के वेद पुराणों में भी सरोवर को सहेजने की बातें लिखी है.
मंत्री जी ने कहा कि आज आवश्कयता है कि वाटर ट्रीटमेंट के लिए सस्ते तरीको को एडॉप्ट किया जाए. नदियों और नालों के सोर्स खो गए हैं उनको खोजने की जरूरत है. पानी उतना ही है परंतु उस हम पानी को हम कम कर रहे है. उन्होंने कहा कि हीराकुंड डेम की 10 प्रतिशत सिल्ट निकालने से ही 10 प्रतिशत  पानी बढ़ जावेगा. पानी स्टोरेज का काम हम करते है तो आने वाले समय मे पानी बचेगा. लेकिन इस काम को एक अभियान का रूप देना होगा. यदि हम नदी नालों को गंदा ना करें तो हमे पानी को बचाने के लिए चिंतन करने की जरूरत नही पड़ेगा.
दरअसल बुधवार को राजधानी के एक निजी होटल में छत्तीसगढ़ जल चिंतन 2018 कार्यशाला का शुभारंभ हुए. कार्यशाला का शुभारंभ जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने किया. कार्यशाला में विभागीय सचिव सोनमणि बोरा सहित जल संसाधन विभाग के अधिकारी, दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट दिल्ली के डायरेक्टर अतुल जैन भी कार्यशाला में मौजूद थे. कार्यशाला में जल संरक्षण के साथ ही ग्रामीण और ट्राइबल क्षेत्रो में वाटर सप्लाई को भी लेकर हो रही चर्चा.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए सचिव सोनमणी वोरा ने कहा कि छग राज्य तालाबो का राज्य है. हमारे पूर्वजो ने जल संवर्धन के लिए काफी प्रयास किया है. रायपुर में 200 से अधिक तालाब हुआ करते थे. बूंद बूंद पानी बचाने की संस्कृति छग में है. आनेवाले समय मे उद्योग भी इस पर हाथ बंटाए. सरकार लगातार जल सरंक्षण के लिए काम कर रही है. आने वाले दिनों में जल को लेकर चुनौतिया बढ़ेंगी. प्रधानमंत्री जी ने लक्ष्य दिया है कि हर खेत मे पानी हो इसके लिए हम काम कर रहे. कार्ययोजना बनाई जा रही है. मैक्रोएडीशंन प्रोजेक्ट की दिशा में भी कार्य किया जाएगा. अन्य विभागों के बीच समन्वय बनाने की भी कोशिश की जा रही है..
जल संसाधन विभाग की कमान संभालने के बाद से ही सचिव सोनमणी वोरा पानी की समस्या को लेकर चिंतित रहे हैं. कई नदियों, नहरों और तालाबों को निरीक्षण कर उन्होंने एक्शन भी लिया है. कुछ जगहों में ठेकेदारों और अधिकारियों के ऊपर भी उन्होंने कार्रवाई की. लेकिन सचिव वोरा के सामने चुनौति उनका अपना विभाग ही है क्योंकि छत्तीसगढ़ के भीतर में आज तमाम बड़ी नदियां चाहे वह महानदी हो, शिवनाथ हो खारुन हो या फिर इन्द्रावती, हसदो जैसी नदियां बरसाती नदियों का रुप लेते जा रही है. नदियों में हुए बेतहाशा एनीकटों के निर्माण ही नदियों के लिए बड़ा संकट बनते जा रहे हैं. ऐसे में इससे निपटने के लिए जमीनी स्तर पर कोई कवायद होता दिखे या न दिखे लेकिन बड़े सितारा होटलों में चिंतन कार्यशाला होते जरुर देखा जाता है.