रायपुर: कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में जिन दो गैर विधायकों पर भरोसा जताया है। वे दोनों खुद पहली बार संसदीय चुनावी मैदान में उतरे हों लेकिन दोनों के पिता सांसद और विधायक रह चुके हैं। रवि भारद्वाज के पिता परसराम भारद्वाज सांसद रह चुके हैं तो बीरेश ठाकुर के पिताजी और दादा दोनों विधायक रह चुके हैं।

लेकिन कांकेर से कांग्रेस के उमीदवार बने बीरेश ठाकुर के बारे में एक और दिलचस्प बात है।

बीरेश ठाकुर रायपुर में पदस्थ एडी एसपी प्रफुल्ल ठाकुर के बड़े भाई है, और वो 1995 से टिकट मांग रहे हैं। पहले विधायक की टिकट मांगी। फिर सांसद की मांगी और आखिरकार टिकट मिली सांसद की ही। ये तीसरा लोकसभा चुनाव है जब उन्होंने टिकट के लिए दावा ठोंका है। लेकिन मांगने और मिलने में 25 साल का इंतज़ार था। बेहद लंबा इंतजार। साल दर साल इंतज़ार करते रहे, मांगते रहे। नहीं मिली तब भी निष्ठा कम नही हुई। पार्टी के साथ जुड़े रहे । काम करते रहे।

इस दौरान वे पंचायती जनप्रतिनिधि बनते रहे। बीरेश तीन बार भानुप्रतापपुर से जनपत अध्यक्ष रहे।मौजूदा समय में जिला पंचायत सदस्य हैं। पूरे प्रदेश में सबसे ज़्यादा वोटों से जीतने के मामले में तीसरे नंबर पर थे।

इसके आधार पर विधानसभा चुनाव में टिकट का मज़बूत दावा किया। लेकिन टिकट इस बार भी नहीं मिली। फिर 4 महीने बाद बीरेश ने लोकसभा की टिकट मांगी। इस बार टिकट मिल गयी तो दादा और बाप के रास्ते पर निकल पड़े। दादा 1952 में पहली विधानसभा के सदस्य थे। पिता 1972 से 77 तक विधायक रहे। इन्हें पंचायत से सीधे केंद्र की राजनीति में भाग लेने का मौका मिला है।

बीरेश पार्टी का आभार व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि पार्टी ने जो ऐतबार उनपर किया है उसपर खरे उतरेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी जीत सुनिश्चित है।