रायपुर- जनसंपर्क विभाग में जिस तरह की हलचल की खबरें निकलकर सामने आ रही हैं, उससे लगता है आने वाले दिनों में कई बड़ी कार्रवाईयां हो सकती है. मामला छत्तीसगढ़ के बाहर की करीब आधा दर्जन एजेंसियों को मनमाने ढंग से दिए गए काम से जुड़ा हुआ है. आधिकारिक तौर पर कोई खुलकर कुछ नहीं कह रहा, लेकिन इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि विभाग में उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी गई है.
सरकार के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारियां जनसंपर्क विभाग के हिस्से ही होती है. पिछली सरकार में जनसंपर्क विभाग ने सरकार के प्रचार-प्रसार में करोड़ों रूपए खर्च किए हैं. विभाग के अलाटेड बजट में से एक बड़ा हिस्सा राज्य के बाहर की उन एजेंसियों को दिया गया, जिनके बूते बीजेपी सरकार सत्ता में बने रहने की तैयारी में जुटी थी. आधिकारिक सूत्र कहते हैं कि ये एजेंसियां ही एक तरह से विभाग को संचालित कर रही थी. विभाग में कई अहम पदों पर उंची सैलरी पर बाहरी लोगों को हायर किया गया था, जो न केवल सरकार के प्रचार-प्रसार की रणनीति तैयार करते थे, बल्कि उसे इंप्लीमेंट करने की जिम्मेदारी भी उन पर थी.
सूत्रों की मानें तो करोड़ों रूपए का कांट्रेक्ट बाहरी एजेंसियों के साथ जनसंपर्क विभाग ने कर रखा था. विभाग में चल रही हलचलों से साफ है कि तमाम अनियमितताओं की गहन पड़ताल की जा रही है. बकायदा इसकी सूची तैयार की जा रही है. इस पूरी कवायद में सबसे बड़ा नाम यदि किसी एजेंसी का निकलकर सामने आ रहा है, तो वह कंसोल है. कंसोल सरकार का बड़ा काम करती रही है. कंसोल के साथ-साथ एजेंसियों के किए गए कामों की फेहरिस्त तैयार हो रही है. माना जा रहा है कि जांच के बाद बड़ी कार्रवाई होगी.
तय बजट से कई गुना हुआ खर्च
चुनावी साल में जनसंपर्क विभाग ने प्रचार-प्रसार में तय बजट से कई गुना ज्यादा रकम खर्च की है. इस राशि की भरपाई मौजूदा सरकार को करनी होगी. ऐसे में यह सरकार के लिए गले की फांस की तरह बन गया है. जानकारी मिल रही है कि विभाग के पास करीब 65 करोड़ रुपए का बजट था, लेकिन आचार संहिता लगने के पहले तक विभाग ने डेढ़ सौ करोड़ रूपए से ज्यादा की राशि खर्च कर दी. विभाग के आला अधिकारी इसकी भी बारीकी से समीक्षा कर रहे हैं.