सूखी लकड़ियों से जलते चूल्हे में दो जून का खाना पकाना उन महिलाओं के लिए बड़ी तकलीफ लेकर आया, जिन पर परिवार का पेट भरने की जिम्मेदारी थी. धुएं की वजह से सूजती आंखें ये बयां करने के लिए काफी थी कि अपनों का पेट भरना भी आसान नहीं, लेकिन अब हालात बदल गए हैं. अब जलते चूल्हे की वजह से सूजती आंखें नजर नहीं आती. अब चेहरे पर सुकून हैं और दिल में इस बात को लेकर शांति की अपनों का पेट भरना अब मुश्किल ना रहा. दरअसल ये मुमकिन हुआ है सरकार की एक पहल से. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरगामी सोच का नतीजा थी उज्जवला योजना, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस योजना की अहमियत समझ सूबे के मुखिया डाॅ.रमन सिंह ने उन लाखों महिलाओं के आंखों से आंसू पोछने का काम किया है, जिनकी जिंदगी चूल्हे का धुआं हर रोज निगल रहा था. रमन ने ऐलान किया कि हर आंख से आंसू पोछेंगे. जैसा कहा, हुआ भी ठीक वैसा ही. उज्जवला योजना में छत्तीसगढ़ ने देश के तमाम राज्यों को पछाड़ते हुए देश में पहला स्थान हासिल किया है. 

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हर रोज सूरज उगने के पहले नंगे कदमों के साथ जंगलों की ओर जाना और सूखी लकड़ियां चुनकर घर की ओर इस फिक्र के साथ लौटना की दो जून का खाना पकाना है…बस यही थी लक्ष्मी की जिंदगी….तेज हवाओं के थपेड़े हो, भीषण गर्मी या फिर तेज बारिश. यदि लकड़ियां घर नही लाई जाएगी, तो फिर खाना कैसे पकेगा. इस चिंता ने उम्र के उस पड़ाव को धकेल दिया, जिस वक्त कई तरह के सपने संजोये जा सकते थे.

सूखी लकड़ियों को चुनकर लाने तक ही जिंदगी सीमित हो गई थी. दरअसल सूखी लकड़ियों की तरह ही लक्ष्मी की जिंदगी भी सूखती जा रही थी. चूल्हे में लकड़ियों को डालकर दो जून की रोटी बनाने के बाद धुएं की वजह से लक्ष्मी की सूजी आंखें इस बात की ओर साफ इशारा करती थी कि पेट भरने की जरूरत कितनी मुश्किल साबित हो सकती है. लेकिन वक्त ने करवट बदली. सरकार की उज्जवला योजना जिंदगी में खुशहाली लेकर आई. उज्जवला योजना ने लक्ष्मी की जिंदगी को सौगातों से भर दिया. गैस-चूल्हा मिला, तो कभी अपनों के लिए खाना पकाकर सूजी हुईं आखों में भी एक चमक नजर आ गई. बीते दिनों को याद कर आज भी लक्ष्मी सिहर उठती है. अब लक्ष्मी की आखों में दर्द नहीं, सुकून है.

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लक्ष्मी की तरह ही बस्तर की रानी का जीवन चुनौतियों से भरा हुआ था. बीमार मां को संभालने के साथ-साथ घर की पूरी जिम्मेदारी सिर पर थी, तो भविष्य गढ़ने के लिए स्कूल जाने की जिद भी. परिवार के लोगों के लिए खाना पकाने का जिम्मा भी रानी के हिस्से ही था. खाना पकाना है, तो जंगलों से सूखी लकड़ियां लाकर चूल्हा तो जलाना ही पड़ेगा, लिहाजा हर रोज जंगलों की ओर रूख करना रानी के जिंदगी का अहम हिस्सा था. चूल्हे में धुएं के गुबार के बीच खाना पकाना रानी के लिए आसान नही था. कई बार इस वजह से स्कूल भी छूटा, तो कई ऐसे मौके भी आएं की सूजी आंखों के साथ रानी को स्कूल जाकर पढ़ाई करनी पड़ी. लेटलतीफी की वजह से स्कूल में डांट खाना रानी की दिनचर्या बन चुकी थी. लेकिन रानी की जिंदगी का यह सुखद पड़ाव है कि उज्जवला योजना ने उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है. योजना के तहत रानी को गैस-चूल्हा मिला, तो मानो अरमानों को पंख लग गए. अब गैस-चूल्हे में खाना पकाना रानी के बायें हाथ का खेल हैं. अब वो वक्त पर स्कूल भी पहुंचती है और पढ़ाई में कभी पिछड़ने वाली रानी अब दूसरों से कहीं आगे बढ़ गई है. सरकार से मिली इस सौगात को पाकर रानी खुले दिन से रमन सरकार को सराह रही है. लक्ष्मी और रानी की तरह बस्तर की कमला बाई भी एक ऐसी ही महिला है, जिसकी जिंदगी में उज्जवला योजना ने बड़ा बदलाव लाया है. उम्र के इस पड़ाव में उज्जवला योजना ने उनकी जिंदगी को आसान बना दिया है.

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छत्तीसगढ़ में उज्जवला योजना एक नजर में-

  • दिसंबर 2003 में राज्य में केवल 6 लाख 80 हजार परिवारों के पास रसोई गैस कनेक्शन था. अब इसकी संख्या बढ़कर 36 लाख से ज्यादा हो गई है. राज्य में एलपीजी के उपयोग में विस्तार के लिए प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का योगदान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है.
  • प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत छत्तीसगढ़ में एलपीजी कवरेज 34 फीसदी से बढ़कर 65 फीसदी से ज्यादा हो गया है.
  • राज्य में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना 13 अगस्त 2016 से शुरू की गई थी. योजना लागू होने के पहले प्रदेश में एक अप्रैल 2016 की स्थिति में गैस कनेक्शन धारियों की संख्या 19 लाख 35 हजार थी. इस योजना के तहत अब तक 17 लाख से ज्यादा गरीब परिवार की महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन जारी किया गया है.
  • प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा गरीब परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन देकर लगभग 1600 रूपए की सब्सिडी उपलब्ध करा रही है. छत्तीसगढ देश का एकमात्र राज्य है, जहां हितग्राही के 200 रूपए के अंशदान पर डबल बर्नर चूल्हा तथा प्रथम रिफिल की सब्सिडी प्रदान की जा रही है. इस योजना के प्रत्येक हितग्राहियों को राज्य सरकार की ओर से 1500 रूपए की सब्सिडी दी जा रही है.
  • इस योजना के तहत वर्ष 2016-17 में दस लाख महिलाओं को गैन कनेक्शन जारी किया गया है. जिसकी सब्सिडी राशि 153 करोड़ राज्य शासन द्वारा वहन की गई है.
  • वर्ष 2017-18 में 15 लाख बीपीएल महिलाओं को गैस कनेक्शन जारी करने का लक्ष्य रख कार्य किया जा रहा है. इसके विरूद्ध अब तक सात लाख से ज्यादा महिलाओं को गैस कनेक्शन जारी किया जा चुका है.
  • प्रदेश में एलपीजी वितरकों की संख्या में 363 से बढ़कर 413 हो गई है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में पहले चरण में 50 सहकारी समितियों को दुर्गम क्षेत्रों में गैस वितरक नियुक्त किया गया है. उनके द्वारा अब तक सात हजार 525 नए एलपीजी कनेक्शन जारी किया जा चुका है. द्वितीय चरण में 48 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति एवं आदिम जाति सेवा सहकारी समिति को दुर्गम क्षेत्र वितरक नियुक्त किया गया है.

उज्जवला योजना को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह की सकारात्मक पहल का ही नतीजा है कि पूरे देश में योजना के क्रियान्वयन में राज्य पहले पायदान पर है. डा.रमन सिंह का कहना है कि  प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत देश के पांच करोड़ महिलाओं के जीवन में खुशहाली आ रही है. महिलाओं को ईंधन के लिये लकड़ी एकत्रित करने के लिये दूर-दूर तक जंगलों में जाने एवं धुएं से होने वाली श्वसन संबंधी बीमारी से मुक्ति मिलेगी. उन्होंने कहा कि उज्जवला योजना के हितग्राहियों को रसोई गैस कनेक्शन प्रदान करने से जंगलों को कटने से भी बचाया जा सकता है. इसे बचाकर प्रदेश को हरा-भरा बनाने में मदद मिलेगी और 12 करोड़ पेड़ कटने से बच जाएंगे.