अपने मासूम बच्चे को छोटी सी उम्र में दिल की गंभीर बीमारी ले लड़ते हुए देखना, किसी भी मां-बाप के लिए बहुत मुश्किल होता है और ऐसे में जब इलाज के लिए आर्थिक मजबूरियां भी सामने आ जाए तब परिजन पूरी तरह टूट जाते है, लेकिन छत्तीसगढ़ की सरकार ने ना सिर्फ इन मजबूरियों को शिद्दत से महसूस किया, बल्कि इसे दूर करने का रास्ता निकाला. मासूम बच्चों को दिल की बीमारी से निजात दिलाने में रमन सरकार ने बनाई मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना. चूंकि सूबे के मुखिया डाॅ.रमन सिंह खुद पेशे से डाॅक्टर रहे हैं, लिहाजा उन्होंने उन मजबूर मां-बाप के दर्द को बखूबी समझा, जो अपने बच्चों के दिलों को लेकर बेचैन थे.
जुलाई 2008 यही वे वर्ष थे जब छत्तीसगढ़ की रमन सरकार बच्चों के लिए बड़ी योजना लेकर आई. इस योजना को नाम दिया गया बाल हृदय योजना. बाल हृदय योजना उन बच्चों के लिए है जो कम उम्र में ही दिल की बीमारी के शिकार हो जाते हैं, जिनके सामने इलाज के अभाव में सिर्फ मौत होती है. लिहाजा रमन सरकार प्रदेश ने बाल हृदयरोगियों के नव जीवन देने का संकल्प किया और यही संक्लप बना बाल हृदय योजना के रूप में सामने आया. मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना की शुरूआत छत्तीसगढ़ सरकार ने सबसे पहले की थी. इस योजना के शुरू होने के बाद ये सामने आया कि बच्चों में हृदय रोग की समस्या कितनी बड़ी है. कई ऐसे गरीब बच्चे थे जो इस रोग से पीड़ित थे और उनका सामान्य उपचार चलता रहता था. एक गरीब परिवार हृदय रोग के इलाज का भारी-भरकम खर्च भी जुटा नहीं सकता था ऐसे में बाल हृदय सुरक्षा योजना उन बच्चों के लिए संजीवनी बनकर सामने आयी और पीड़ित बच्चों का इलाज संभव हो सका.
जरा सोचिए कोई बचपन में ही दिल की बीमारी से पीड़ित हो जाएगा तो उस बच्चें के माता-पिता पर क्या गुजरेगी. अगर समय पर इलाज ना हुआ तो उस मासूम का क्या होगा. क्या हाल होगा उस परिवार का जो गरीब है. लेकिन अब इसकी फिक्र की कोई जरूरत नहीं. अब आप मत सोचिए क्योंकि इसे सोचने, समझने और उसका हल निकालने का काम राज्य सरकार ने कर लिया है. राज्य सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए ही मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा तैयार की है.
बाल हृदय सुरक्षा योजना से मिली नई जिंदगी
दिल की रोग पर मिली ये बेटी की जीत है. थोड़ी शांत, थोड़ी गुमशुम पर स्वस्थ्य यही बेटी प्रीत है. यही वह मासूम प्रीत है जिसकी दास्तां हम सुना रहे हैं. उस परिवार की कहानी जिसके घर एक ऐसी बेटी का जन्म हुआ, जो जन्म से ही दिल की बीमारी से पीड़ित निकली. ये सच्ची दास्तां है जांजगीर जिले के बलौदा विकासखंड के झपेली गांव की. झपेली में गरीब परिवार विष्णु कश्यप के घर तीन साल पहले मासूम प्रीत का जन्म हुआ. तब गरीब कश्यप परिवार के घर में खुशी का ठिकाना नही रहा. लेकिन जब प्रीत की तबियत लगातार खराब रहने लगी तो परिवार वालों की खुशिया दुःख और चिंता में बदलने लगी. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते मासूम प्रीत का इलाज ठीक से नहीं हो पा रहा था. दुःख और चिंता के बीच ऐसे में एक दिन जब चिरायु की टीम गांव के आंगनबाड़ी बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए पहुंची को प्रीत की हालात देखकर उसे जिला अस्पताल के लिए रिफर किया, जहां डॉक्टरों ने प्रीत को दिल की बीमारी से पीड़ित पाया. जैसे ही कश्यप परिवार को पता चला कि प्रीत को दिल की बीमारी है. परिवार की चिंता और बढ़ गई, लेकिन इसी बीच उन्हें यह भी पता चला कि गरीब परिवार के बच्चों के लिए राज्य सरकार की एक योजना है. योजना है मुख्य मंत्री बाल हृदय सुरक्षा. इस योजना के तहत निःशुल्क इलाज सरकार की ओर से निजी अस्पातलों में कराई जाती है. परिवार के साथ डॉक्टरों ने प्रीत के दिल की बीमारी के उपचार के लिए उसे रायपुर भेजा. रायपुर स्थित निजी अस्पातल में प्रीत का सफल आपरेशन हुआ और नतीजा आज प्रीत समान्य बच्चों की तरह तरह खेलती-कूदती रहती है. बीते वर्ष जब मुख्यमंत्री लोक सुराज अभियान के दौरान जांजगीर जिले पहुंचे थे वहां प्रीत की दादी उसे लेकर पहुँची. प्रीत की दादी ने उसे नया जीवन देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का आभार व्यक्त किया. मुख्यमंत्री ने भी प्रीत को दुलारा और उसे अपना आशीर्वाद दिया. वास्तव में रमन सरकार की सबसे अच्छी योजनाओं में से एक बाल हृदय योजना गरीब परिवार के बच्चों की नई जिंदगी दे रही है. जैसे प्रीत को नई जिंदगी मिली है.
जांजगीर की तरह एक कहानी सरगुजा अंचल के सूरजपुर की है. सूरजपुर जिले के एक ऐसे ही परिवार को रमन सरकार की बड़ी मदद मिली जिनका बच्चा दिल की बीमारी से ग्रसित था आदित्य. सुरजपुर जिले के भैयाथान ब्लाक के केवरा गांव का रहने वाला आदित्य दिल की बीमारी से ग्रसित था. वह न तो ज्यादा बोलता, न खेलता बस शांत बैठा रहता. आदित्य की इस दशा को देखकर परिजन बेहद चिंतित रहते थे. एक दिन अपने पिता के साथ आदित्य अम्बिकापुर जा रहा था, तभी उसकी तबीयत अचानक बिगड गई. डॉक्टर के पास ले जाने पर पता चला कि आदित्य को हृदय रोग है. यह सुनते ही उसके पिता और परिवार में एक तरह पहाड़ टूट पड़ा. इलाज के लिए इधर उधर दौड़ भाग करने लगे. पैसा न होने के कारण परिजन मायूस हो गए. फिर डॉक्टरों के द्वारा पता चला कि मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत मुफ्त में इलाज किया जाता है. जिसके बाद अपने बेटे को लेकर रायपुर गए जहां उसका सफल ऑपरेशन हुआ और आज वह पूरी तरह से फिट है. स्कूल में और बच्चों की तरह हर काम में आगे है और अच्छे नंबर से अपने क्लास में टॉप करता है. भैयाथान ब्लाक के करौंदमुड़ा के रहने वाले अमर सिंह की बेटी आराधना को भी मुख्यमंत्री हृदय योजना के तहत नई जिंदगी मिली है जिससे परिवार सहित पूरे गाँव मे खुशी का माहौल है. हर कोई मुख्यमंत्री का धन्यवाद कर रहा है. वह आज अपने परिवार के साथ हस खेल रही है.
बिना पैसे के इलाज के लिऐ दर दर भटक रहे हृदय रोग मरीजो के लिए मुख्यमंत्री हृदय योजना संजीवनी से कम नही है. सरकार के इस योजना से हजारों लोग लाभ ले रहे हैं. वास्तव में मुख्य बाल हृदय योजना से छत्तीसगढ़ के बच्चें ही नहीं बल्कि देश और दुनिया के अन्य हिस्सों के लोगों इसका फायदा ले रहे हैं.
- छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों के लिए जुलाई 2008 से ये योजना लागू की गयी, इस योजना के तहत प्रदेश के 1 से 15 साल तक के हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के पूरे उपचार की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार ने अपने कंधे पर ली है.
- प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विशेष पहल पर छत्तीसगढ़ राज्य में संचालित इस योजना के जरिए अब तक लगभग 5 हजार 4 सौ से ज्यादा बच्चों के हृदय रोग और दिल में सुराख की बीमारी का नि:शुल्क ऑपरेशन कराय जा चुका है.
- इस योजना के तहत 7 तरह के हृदय रोगों का सरकारी खर्च पर इलाज और ह्दय की शल्यक्रिया मान्यता प्राप्त अस्पतालों से करायी जाती है.
- योजना के अंतर्गत सहायता के लिए आवेदन जिलों के मुख्य चिकित्स या सह अस्पताल अधीक्षक कार्यालय से निःशुल्क प्राप्त किये जा सकते हैं.
- आर्थिक स्थिति के बाबत् कार्यपालक अधिकारी का तथा बीमारी के संबंध में सिविल सर्जन के प्रमाण पत्र के साथ आवेदन किये जा सकते हैं. राजधानी के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संचालनालय में इस योजना के राज्य नोडल अधिकारी के पास आवेदन दिये जाते हैं.
- योजना के तहत हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के ऑपरेशन के लिए अधिकतम 1 लाख 30 हजार रू. और हृदय का वाल्व बदलने की आवश्यक्ता हुई तो 50 हजार अलग से देने का प्रावधान है.
- ऑपरेशन के लिए अपोलो बीएसआर अस्पताल भिलाई, एस्कार्ट हार्ट सेंटर रायपुर , रामकृष्ण केयर अस्पताल रायपुर और अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर से राज्य शासन ने अनुबंध किया है जहां मरीज के परिजनों के अधिकतम 3 सप्ताह तक भोजन और ठहरने की व्यवस्था अस्पताल प्रबंधन द्वारा की जाती है.
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह इस योजना को लेकर बेहद चिंतित रहते हैं. वे यह भी देखते रहते हैं कि इसका सफल क्रियान्वयन हो रहा है या नहीं. यही नहीं इसके साथ-साथ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह बाल हृदय योजना का लाभ लेने वाले लाभार्थी परिवारों से बातचीत कर बच्चों का स्वास्थ्य लाभ भी लेते रहते हैं. मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना, छत्तीसगढ़ सरकार की एक बेहद संवेदनशील योजना है, जिसने प्रदेश के हज़ारों बच्चों को फायदा पहुंचाकर उन्हे स्वस्थ और सेहतमंद होकर ज़िदंगी में आगे बढ़ने का मौका दिया है.
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