डॉ रमन सिंह की मजदूरों और उनके परिवार के लोगों के लिए शुरु की गई योजनाओं ने खासा असर दिखाया है. इन योजनाओं की वजह से लोगों की ज़िंदगियां बदल गई है. ऐसी ही एक योजना है मुख्यमंत्री सायकल सहायता योजना. इस योजना ने प्रदेश भर के मजदूरों के लिए काफी कारगर सिद्ध हुई है. गरियाबंद जिले के मजदूर भी इस योजना से लाभान्वित हुए हैं. आईये देखते हैं इस योजना ने उनके जीवन में किस तरह बदलाव लाया है.

एक हाथ में खाने का डब्बा लिए.. दूसरे हाथ में काम करने का औजार और पैदल सफर.. ये तस्वीर उन मेहनतकशों की है जिनके खून पसीने से विकास की इबारत हर राज्य लिखता है. इनके हाथों के नसों की ताकत ने सूबे में भी विकास की इमारतें खड़ी कर दी है. लेकिन पैदल सफर ने खुद की तकलीफों को दूर करने की दूरी तय नहीं कर पाया. उनके सफर में परिवार की खुशियां भी पीछे छूटती जा रही थी जो उसके साथ घर तक पहुंचनी थी. रोज की जद्दोजहद ने हाथों के साथ ही पांवों में ताकत तो दी लेकिन मन और दिल कमजोर करते जा रही थी. वक्त भी अपनी गति से जा ही रहा था लेकिन वक्त बदलने में भी समय नहीं लगता. डॉ रमन सिंह की सरकार सत्ता में आई और फिर वक्त बदलने की शुरुआत भी इसी के साथ हो गई. इन मजदूरों और उनके परिवार के कल्याण के लिए इन सूबे में नई-नई योजनाएं बनाई गई. उनके दुखते पैरों के नसों की खामोश आवाज डॉ रमन के कानों में भी पहुंची और उन्होंने उन कदमों को गति देने के लिए मुख्यमंत्री सायकल सहायता योजना की शुरुआत की. इसके पहले डॉ रमन ने उनके परिवार की खुशियों की नींव रख समृद्धि की इमारत बनाना शुरु कर दिया था. पंजीकृत मजदूरों को सायकल देने की शुरुआत की गई. अब उन मजदूरों के पैरों को पहिया लग गया. वे ज्यादा दूरी कम समय में तय करने लग गए. पहले की तरह घर पहुंचने में रात नहीं हुआ करती. अब सूरज ढलते ही सायकल घर की दिशा में बढ़ जाती और कुछ ही मिनटों में घंटो की दूरी तय कर वे घर पहुंच जाते हैं अपने परिवार के पास.

 पंजीकृत मजदूरों के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरु की गई योजनाओं से लाभान्वित

  • पंजीकृत असंगठित कर्मकारों को रोजगार एवं आय वृद्धि हेतु संचालित सायकल सहायता योजनाओं के अंतर्गत लगभग 1.18 लाख हितग्राहियों को निशुल्क सायकल.
  • विश्वकर्मा दुर्घटना सहायता के तहत कार्य करते हुए दुर्घटना में मृत्यु पर 1 लाख 5 हजार रुपए एवं सामान्य मृत्यु होने पर 30 हजार रुपए अनुदान श्रमिक के परिवार को दिया जाता है. अब तक 22 हजार 600 श्रमिक परिवार को सहायता राशि प्रदान की जा चुकी है.
  • मंडल द्वारा पंजीकृत महिला श्रमिक एवं पंजीकृत श्रमिक के पुत्रियों के शादी के लिए राजमाता विजयाराजे कन्या विवाह सहायता योजना के तहत 20 हजार रुपये सहायता अनुदान हितग्राही को प्रदान की जाती है.
  • 2008 से 2017 तक कुल 68 हजार 256 बेटियों को शादी के लिए सहायता राशि दी गई है.
  • भगिनी प्रसूति सहायता योजना के तहत पंजीकृत महिला श्रमिक को प्रसूति अवधि में 10 हजार रुपये सहायता अनुदान प्रदान किया जाता है. अब तक 79 हजार 21 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया.

बनी आत्मनिर्भर नहीं जाना पड़ता है पैदल

मुख्यमंत्री सायकल सहायता योजना के तहत पंजीकृत महिला मजदूरों कोे भी सायकल प्रदान की गई है. सायकल मिल जाने के बाद इनकी खुशियों को भी गति मिल गई है. ग्राम बिनौरी की हेमिन बाई साहू राज मिस्त्री का काम करती हैं वे कहती हैं कि पहले उन्हें कहीं जाने के लि गांव से पैदल मुख्य सड़क पर जाना पड़ता था फिर बस का इंतजार करते हुए खड़े रहना पड़ता था. लेकिन सायकल मिल जाने के बाद अब चाहे काम पर जाना हो या बाजार जाना हो या फिर बच्चों को लेकर अस्पताल जाना हो वे आसानी से सारा काम खुद ही कर लेती हैं. ग्राम बिनौरी की ही रहने वाली उमाबाई कहती हैं कि उन्हें अब काफी सुविधा हो गई है. पहले वे बेटे और पति पर ही निर्भर रहती थीं लेकिन अब वे खुद सायकल चला कर आना-जाना कर लेती हैं.
ग्राम बिनौरी के रहने वाले जगदीश राम साहू सरकार की योजनाओं से खासे खुश हैं. उनका कहना है कि सरकार ने उन लोगों का ख्याल रखा है और काफी सारी योजनाएं उन लोगों के लिए बनाई है. जिसके लिए वे सूबे के मुखिया को धन्यवाद दे रहे हैं. तेजबाई कहती हैं कि सायकल चला कर वे हर जगह पहुंच जाती हैं. खेत आ जा लेती हैं. सोसायटी से खाद भी लेकर आ जाती हैं. उनका कहना है कि रमन सरकार महिलाओं का अच्छा ख्याल रखा है.

वक्त की होती है बचत

बोरसी की रहने वाली टोमिन साहू कहती हैं कि योजना से उनका आत्म सम्मान बढ़ा है. वो घर का सारा काम खुद कर लेती हैं. सायकल मिल जाने से समय की काफी बचत हो जाती है. वे भी डॉ रमन सिंह का आभार व्यक्त कर रही हैं. तीजन बाई साहू कहती हैं कि कर्मकार मंडल में रजिस्ट्रेशन होने की वजह से उन्हें सायकल मिली है. अब उन्हें किसी भी चीज की चिंता नहीं है. सरकार खुद उनका ख्याल रख रही है.
बोरसी के रहने वाले रमेश साहू कहते हैं कि सरकार की अच्छी योजना हैं, महिलाओं को इससे काफी सहुलियत हो रही है. महिलाओं का इस योजना से हौसला बढ़ा है. कौन्दकेरा की रहने वाली कुंती साहू कहती हैं कि सायकल मिलने से अब वो काम पर खुद ही सायकल चला कर जाती हैं. सोमारू कहते हैं कि अब कहीं आने जाने में वक्त नहीं लगता है. सारे काम सहूलियत से हो जाते हैं.
निश्चित ही रमन सरकार की योजनाओं ने मेहनतकश मजदूरों और उनके परिवार के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है. अब इन परिवारों के आंखों में आंसू की बजाय खुशियों की झलक देखने को मिलती है. और यह सब हुआ है मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के वादे से उन्होंने जैसा कहा था वैसा ही किया.

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