देश में लाल आतंक के गढ़ के रुप में पहचाने जाने वाले बस्तर की तस्वीरें बदलनी शुरु हो गई है. जो बस्तर नक्सल आतंक का पर्याय बन चुका था, जिस बस्तर के भोले-भाले आदिवासियों को बहका कर नक्सली उनके हाथों में बंदूके थमा कर निर्दोषों का खून बहवा रहे थे. उसी बस्तर में अब बदलाव की बयार बहने लगी है. यहां के युवा अब नक्सलियों के उस बहकावे में नहीं आ रहे हैं. बल्कि अब वे बस्तर को लाल आतंक के धब्बे से मुक्ति दिलाने में अपना योगदान दे रहे हैं. जो युवा निर्दोष लोगों के खून से अपना हाथ रंग रहे थे वही युवा अब नक्सलियों के सफाए के लिए उनके खिलाफ बंदूकें उठा ली हैं. और बस्तर के माथे में लगे इस कलंक को मिटाने में लगे हैं. बस्तर में ये बदलाव यूं ही नहीं आया और ना ही यह बदलाव इतना आसान था. यह सब डॉ रमन सिंह के लगातार प्रयासों से संभव हो पा रहा है. डॉ रमन ने कहा था कि वे बस्तर इस खूनी आतंक से मुक्ति दिला देंगे. वहां के युवाओं को रोजगार देकर उन्हें भटकने से रोकेंगे. डॉ रमन ने जैसा कहा वैसा किया. 
 प्राकृतिक छटाओं से भरपूर और खनिजों का अपार भंडार अपने गर्भ में छिपाए बस्तर, पिछले कई दशक से लाल आतंक के पापों की सजा भुगत रहा है. जिस बस्तर की अद्भुत प्राकृतिक खूबसूरती के चर्चे दुनिया में होना चाहिए था. उस बस्तर के लाल आतंक के किस्से पूरी दुनिया में मशहूर हो चुके हैं. बस्तर की इस खूबसूरत वादियों तक जाने वाले रास्ते बारूदी सुरंग से अटे पड़े हैं. यहां पग-पग में मौत तांडव करती नजर आती है.  इन सबकी वजह नक्सलियों की वो नापाक करतूतें और साजिशें हैं जो बस्तर को लाल आतंक के आगोश में समेट लिया है. यहां के युवा नक्सलियों के इस नापाक छलावे में आकर अपने ही लोगों के दुश्मन बन बैठे थे और उन्हीं का खून बहाना शुरु कर दिया था. नक्सली यहां की वन संपदा को लूट रहे थे. डॉ रमन बस्तर के माथे पर लगे इस कलंक को धोने के लिए उन युवाओं को रोजगार देने के लिए क्षेत्र में अनेक योजनाएं लागू की. कई बड़े उद्योग समूहों से यहां उनका उद्योग स्थापित करने के लिए एमओयू भी किया. वहीं इन उद्योंगों के स्थापित होने से पहले उन्होंने बस्तर के नौजवानों के लिए अलग से एक बस्तर बटालियन का गठन किया. इस बटालियन में बस्तर संभाग के युवाओं को ही शामिल किया गया. अब ये युवा उन नक्सलियों से लोहा लेकर उन्हें बस्तर छोड़ने के लिए मजबूर कर देंगे. 
केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह 21 मई को छत्तीसगढ़ प्रवास पर बस्तर बटालियन के दीक्षांत परेड समारोह में शामिल हुए थे. जहां केन्द्रीय गृहमंत्री ने परेड का निरीक्षण किया और पासिंग आउट परेड की सलामी भी ली थी. बस्तारिया बटालियन में 543 जवान हैं, जिसमें 189 महिलाएं शामिल हैं- पासिंग आउट परेड के बाद सीआरपीएफ की इस बटालियन की तैनाती नक्सल बेल्ट में की गई. बटालियन को सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में तत्काल नक्सल रोधी अभियानों में शामिल किया जाएगा. इन रंगरूटों का चयन अविभाजित बक्सर क्षेत्र के सुकमा, दंतेवाड़ा , नारायणपुर और बीजापुर जिलों से किया गया है. इस दौरान केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि प्रतिभाएं केवल शहरों और आलिशान अट्टालिकाओं में रहने वाले सुख-सुविधा सम्पन्न लोगों में ही नहीं पैदा होती है, अपितु बस्तर जैसे सुदूरू ग्रामीण वनांचल के क्षेत्रों के लोगों में भी प्रतिभा पैदा होती है. उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सुरक्षा बल और पुलिस बल के बेहतर समन्वय से अच्छा कार्य कर माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित की जा रही है.
केन्द्रीय गृहमंत्री सिंह ने बस्तरिया बटालियन के पासिंगआउट परेड में शामिल हुए, जवानों के परिवारजनों का अभिनंदन करते हुए कहा था कि उन्होंने साहसी लाल पैदा किए हैं. उन्होंने कहा कि बस्तरिया बटालियन के परेड को देखकर वेे बहुत गौरवान्वित हुए हैं. राजनाथ सिंह ने कहा कि आदिवासी समाज बहुत देशभक्त है और हर चुनौती के समय हमेशा उनका योगदान रहा है, इसलिए नियमों को शिथिल कर बस्तर क्षेत्र के नवजवानों को बस्तरिया बटालियन में भर्ती होने का अवसर प्रदान किया गया. उन्होंने कहा कि माओवादी एवं उग्रवाद आज देश के लिए संकट है, लेकिन केन्द्रीय सुरक्षा बल और पुलिस के समन्वय से बेहतर कार्य करने के कारण माओवाद, आतंकवाद एवं उग्रवाद आदि से होने वाले शहादत में 53 से 55 प्रतिशत की कमी आई है तथा इनके भौगौलिक क्षेत्र में भी 40 से 45 प्रतिशत की कमी आई है. उन्होंने कहा कि माओवादी ताकतें नहीं चाहती हैं कि बस्तर जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों का विकास हो और वे चाहते हैं कि आदिवासी गरीब ही बने रहें. केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नक्सलियों के नेता और उनके परिवार के पास सभी सुविधाएं हैं तथा उनके बच्चे बड़े-बड़े स्कूलों और विदेशो में पढ़ाई कर रहे हैं और वे आदिवासियों को विकास से दूर रखना चाहते हैं. केन्द्रीय गृहमंत्री ने सी.आर.पी.एफ. के जवानों के परिवार के सदस्यों से कहा कि हर संकट की घड़ी में सरकार उनके साथ खड़ी है. उन्होंने कहा कि जान की भरपाई तो नहीं की जा सकती, लेकिन अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अपने प्राणों का न्यौछावर करने वाले शहीदों के परिवारजनों को अब कम से कम एक करोड़ रूपए एक्सग्रेसिया की राशि दी जाएगी. उन्होंने कहा कि गंभीर रूप से घायल और अंग-भंग हुए जवानों को भी उचित सहायता राशि दी जाएगी. गृहमंत्री सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह बस्तर जैसे आदिवासी क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास करना चाहते हैं और उन्हें जो भी सहयोग की आवश्यकता होगी केन्द्र शासन द्वारा हर संभव सहयोग दिया जाएगा. सिंह ने बताया कि शहीद जवानों के परिवारजनों की सहायता के लिए समस्या निवारण सेल का गठन किया गया है.
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बस्तरिया बटालियन के चुस्त-दुरूस्त परेड को देखकर यह लगता है कि ये नौजवान अब बस्तर में अवश्य शांति स्थापित करने में कामयाब होंगे. उन्होंने कहा कि ये सभी जवान कभी एस.पी.ओ. आदि के रूप में सरकार को सहयोग दे चुके हैं, जो आज एक नए रूप में सी.आर.पी.एफ. के जवान बन गए हैं, जिसे इतिहास में जाना जाएगा. उन्होंने कहा कि बस्तर के नवजवान न केवल छत्तीसगढ़ का बल्कि पूरे हिन्दुस्तान का सम्मान बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि बस्तर से निकलने वाले फौलाद जैसा इन जवानों का आत्मविश्वास है और इनका ह्रदय बहुत कोमल है. ये जवान कभी पराजित नहीं होंगे और अपने लक्ष्य में सफल होंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में शांति स्थापित करने में सी.आर.पी.एफ. के जवानों की महत्वपूर्ण भूमिका है. ये जवान न केवल अपना पसीना बहाए है, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपने खून भी बहाए हैं. इनके बलिदान को छत्तीसगढ़ कभी नहीं भूलेगा. उन्होंने कहा कि इन जवानों के सहयोग से बस्तर के दूर-दराज के क्षेत्रों में सड़क, पुल-पुलियों का जाल बिछाने के साथ ही शिक्षा और खेल-कूद सहित सामाजिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है तथा बस्तर में शांति और समरसता लाने का कार्य किया जा रहा है.
केन्द्रीय सुरक्षा बल के महानिदेशक आर.आर. भट्नागर ने कहा कि केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का केन्द्रीय सुरक्षा बल के प्रति विशेष लगाव है और उन्हीं के विशेष प्रयास से बस्तरिया बटालियन का गठन किया गया है, जिससे बस्तर के नवजवानों को इस सी.आर.पी.एफ. में भर्ती होने का सुअवसर प्राप्त हुआ. बस्तर बटालियन में भर्ती करने के बाद इन नवजवानों का 44 सप्ताह का प्रशिक्षण पूरा हो गया है और ये नवजवान अब माओवादी प्रभावी बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ लोहा लेने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सी.आर.पी.एफ. और पुलिस बल के समन्वय तथा राज्य शासन के सहयोग से नक्सल ऑपरेशन में कामयाबी हासिल की जा रही है. इस अवसर पर उप कमाडेंट प्रभात कुमार सिंह ने प्रशिक्षण पूर्ण करने वाले नवजवानों को शपथ दिलाई. साथ ही परेड कमाण्ड राजेन्द्र प्रसाद रेगर के नेतृत्व में आकर्षक मार्चपास्ट किया गया. इस मौके पर बस्तर की लोक संस्कृति पर आधारित मनोहरी सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी प्रदर्शन किया गया.

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