झोपड़ी की टूटी छत से निकलती रोशनी से मासूमियत से खेलते बच्चे, तो कभी बारिश के दिनों उस टूटी फूटी छत से बहती पानी की धार से बचने की जुगत के किस्से, अब सुनाई नहीं देते. गरीब की जिंदगी से जुड़ी ये कहानियां यकीनन हर किरदार से जुड़ी होंगी. दरअसल ये सिर्फ कहानी ही नहीं बल्कि जिंदगी से जूझती गरीबी की तस्वीर बयां करती हैं, लेकिन दशकों से इस पीड़ा का दंश झेलती गरीबी ने अब इससे मुंह फेर लिया है, क्योंकि अब हालात पहले जैसे नहीं रहे. केंद्र में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद शुरू हुई आवास योजना ने देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की तस्वीर बदली है. सूबे के मुखिया डाॅ.रमन सिंह ने हर सिर पर छत देने का ऐलान किया था. उन्होंने जैसा कहा वैसा हुआ भी. आज छत्तीसगढ़ ने प्रधानमंत्री आवास योजना में देश के तमाम राज्यों को पछाड़ते हुए अव्वल स्थान बनाया है. 

कहावत है अगर सिर छिपाने की जगह हो तो कोई भी कमा खा कर अपना जीवन गुजार सकता है. हर व्यक्ति का एक ख्वाब होता है कि एक छोटा सा आशियाना उसका भी हो, जहां वह अपने परिवार के साथ एक सुरक्षित सुकून भरा जीवन जी सके, लेकिन आसमान छूती हुई इस महंगाई में खुद का आशियाना बनाना आसान नहीं था. ऐसे समय में एक आम मध्यमवर्गीय आदमी का सपना महज एक सपना बन कर ही रह जाता है. ख़्वाब दम तोड़ने लगते हैं. निराशा के भंवर में आदमी डूबने लगता है. उसका डर उसकी रही सही खुशियों को भी छीन लेता है. लेकिन अब उसे डरने की जरुरत नहीं है. उसके इस डर को खत्म करने का बीड़ा खुद रमन सरकार ने अपने हाथों में ले लिया है. हर व्यक्ति को आवास मिले इसका संकल्प ले कर रमन सरकार ने आशियाने के ख्वाब को हकीकत में बदला है.

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छत्तीसगढ़ देश में बना नंबर वन राज्य

प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ ने देश के दूसरे राज्यों को पछाड़कर पहला स्थान बनाया है. देश में जिस वक्त आवास योजना के क्रियान्वयन की स्थिति शुरूआती दौर में है, वहीं छत्तीसगढ़ अपने तय लक्ष्य के बेहद करीब जा पहुंचा है.  छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण अंतर्गत उत्कृष्ट कार्य के आधार पर राज्य को वर्ष 2016-17 से 2018-19 के मध्य तीन वर्षों में कुल 7.88 लाख आवास निर्माण का लक्ष्य दिया गया था. इसमें छह सितम्बर की स्थिति में चार लाख आवास पूर्ण हो चुके हैं.  कुल लक्ष्य 4,39,275 के विरूद्ध 3,00,266 आवास पूर्ण कर लिये हैं जो मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेत्त्व में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विज़न ’2022 तक सभी के लिये आवास’ की ओर एक बड़ी उपलब्धि है. केन्द्र सरकार द्वारा पहले राज्य को 2019 तक 6.23 लाख आवास निर्माण का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट कार्य निष्पादन के आधार पर 65,000 मकान का अतिरिक्त लक्ष्य आबंटित करते हुए कुल 6.88 लाख आवास निर्माण का लक्ष्य दिया गया है. 24 मार्च की स्थिति में प्रदेश में 3 लाख आवास निर्माण पूर्ण कर छत्तीसगढ़ ने पूर्णांक 81.5 प्रतिशत प्राप्त कर प्रथम स्थान पर रहा है, वहीं मध्यप्रदेश (पूर्णांक 81.48 प्रतिशत) को दूसरे स्थान पर और उत्तर प्रदेश (पूर्णांक 80.11 प्रतिशत) को तीसरे स्थान पर कर दिया है . प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जिला धमतरी (पूर्णांक 96.75 प्रतिशत), राजनांदगांव (94.29), बालोद (93.3), रायपुर (92.64) एवं बलौदा बाजार (91.13) का है. यही वजह है कि केंद्र सरकार ने राज्य की इस उपलब्धि के लिए न केवल सराहा है, बल्कि सम्मानित भी किया है.

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मकान का सपना, अब सपना नहीं रहा

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना आखिर कैसे हजारों-लाखों परिवारों की जिंदगी में बड़ा सुखद बदलाव लेकर आई, इसे विधवा प्रेम बाई की कहानी से बखूबी समझा जा सकता है. पाली विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत राहा की बस्ती में रहने वाली वृद्धा प्रेम बाई के छह छोटे छोटे बच्चे थे कि एक दिन पति की अचानक से मौत हो गई. अचानक पति की मौत से प्रेम बाई का सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन संघर्ष और चुनौती में बदल गया. उसके पास कोई ऐसी कीमती पैतृक संपत्ति भी नही थी कि वह उसे बेचकर अच्छे से जीवन यापन कर सके. किसी तरह मजदूरी कर वह अपने बच्चों का पेट पालती रही. गांव में एक छोटा सा मकान था. वह भी मिट्टी का. कच्चे मकान में रहते हुये उसे बारिश के दिनों में परेशानी तो उठानी ही पड़ती थी. वह भी चाहती थी कि गांव में पक्का मकान बना ले, मगर गरीबी से जूझ रही प्रेम बाई के लिये यह संभव नही था, क्योकि उसे तो अपने छोटे छोटे बच्चों की किसी तरह परवरिश करनी थी. कई साल गुजर गये. हर बारिश के मौसम में वृद्धा प्रेम बाई को बस परेशानी का सामना करना पड़ता था. वक्त के साथ बच्चे भी बड़े हो गये और घर भी छोटा सा लगने लगा. ऐसे में उसकी इच्छा थी कि किसी तरह एक दो कमरे और बन जाते तो उसके छोटे से घर में सबके रहने के लिये कुछ जगह बन जाती. लंबा समय बीत गया. गरीबी से जूझती प्रेम बाई पक्का आवास तो दूर एक मिट्टी का मकान भी नही बना सकी. जैसे तैसे चार बेटो के साथ वह पुराने मकान में साथ रहती थी. एक दिन उसे मालूम हुआ कि उसका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में है तो उसे कुछ समझ नही आया. गांव के सरपंच एवं आवास मित्र से जब मालूम हुआ कि उसका भी पक्का मकान बनेगा. इसके लिये उसे कोई रूपया नही देना पडे़गा तो प्रेम बाई बहुत खुश हुई. अब जबकि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से उसका पक्का मकान बनकर तैयार हो गया है. ऐसे में स्थायी आशियाना मिलने की खुशी के साथ पुराने घर में रहने की आ रही समस्या भी दूर हो गई है. प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से उसकी इच्छा पूरी हो गई है. प्रेमबाई ने प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह को आवास दिये जाने पर आभार व्यक्त करते हुये कहा कि किसी तरह वह अपनी जिममेदारी को पूरा कर सकी है और बच्चों को बड़ा कर उनका घर बसा दिया है. अब उम्र का आखिरी पड़ाव है जो प्रधानमंत्री आवास में चैन से काटेगी.

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जिला मुख्यालय बीजापुर से 15 किमी. की दूरी पर है भैरमगढ़ विकासखण्ड का गांव गड़ामल्ली के रतनु यादव के लिए भी कल तक खुद के घर के बारे में सोचना एक सपना लगता था. जमीन ही नहीं थी तो घर तो दूर की बात है. लेकिन अब ऐसा नहीं है. आवास योजना के तहत मिले मकान में रतनु यादव अपने पत्नि और 4 बच्चों के साथ रहता है. रतनु यादव की घर की इच्छा प्रधानमंत्री आवास योजना से पूरी हुई है. रोजी रोटी के लिए मजदूरी कर जीवनयापन करने वाला रतनु यादव परिवार में अकेला कमाने वाला है. वह जो भी कमाते है उससे वह केवल रोजमर्रा की जरूरतों को ही पूरा कर पाते है. गांव में एक जर्जर से झोपड़े में निवास कर जीवन बिताते हुए पक्का मकान बनाने की इच्छा उसके लिए मानो सपना सा था. रतनु यादव के जीवन में इस बड़ी परेशानी और उसकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए ग्राम पंचायत ने इन्हें आवास देने का विचार किया. ग्राम सभा में सब ने एक स्वर में प्रस्ताव पारित किया. फिर क्या था प्रधानमंत्री आवास योजना से 1.30 लाख की लागत से घर बनाने के लिए मंजूरी मिल गई. रतनु यादव को रोजगार भी मिल गया. 95 दिवस अकुशल मजदूरी करने पर उसे लगभग 16 हजार 340 से अधिक रूपये मजदूरी के रूप में मिले. रतनु अपनी व्यथा बताते हुए कहता है कि मेरे बच्चों के लिए प्रधानमंत्री आवास जीवन भर का सहारा बन गया है. मेरी मजदूरी का पैसा अब बच्चों के अच्छे लालन-पालन में काम आयेगा, क्योंकि इतना बड़ा पक्का मकान बनाने की मेरी क्षमता नहीं थी. मैं सरकार का शुक्रिया अदा करता हूँ कि मेरे जैसे बेघर बेसहारा गरीब को पक्की छत मिली.

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विकासखण्ड बलौदा के ग्राम जर्वें की निवासी 60 वर्षीय श्रीमती उर्मिला विश्वकर्मा का पक्के मकान का सपना पूरा हो गया है. वह अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित पक्के आशियाने में अपने पूरे परिवार के साथ खुशी-खुशी रहती हैं. उर्मिला का कहना है कि सरकार ही है जिसने उनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान बना दिया, नहीं तो उनके लिए इतने सुंदर पक्के मकान का सपना देखना भी मुमकिन नहीं था. उर्मिला ने बताया कि कभी ऐसा भी समय था, जब भोजन के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे. मिट्टी का कच्चा झोपड़ी था. मिट्टी के घर की कितनी भी अच्छी छवाई हो, बारिश में टपकता ही था. वे बड़े मुश्किलों वाले दिन थे, पर प्रधानमंत्री आवास ने इस तरह की सभी दिक्कतों से छुटकारा दिला दिया है. उर्मिला ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिलना हमारी खुश किस्मती है. अब पक्के मकान में रहते हैं और बेटे की कमाई से अच्छा भोजन करते हैं. वे अपनी बहू सुनीता विश्वकर्मा, बेटे श्री कृष्णकुमार विश्वकर्मा और अपनी तीन पोतियों के साथ प्रधानमंत्री आवास में रहती हैं.

यूं तो देश भर में केन्द्र सरकार की यह योजना चल रही है लेकिन उस योजना में सबसे बेहतर कहीं काम हुआ है तो वह छत्तीसगढ़ में हुआ है. छत्तीसगढ़ सरकार की इस उपलब्धि की वजह से केन्द्र द्वारा उसे सम्मानित भी किया गया है. इस साल अप्रैल 2018 में केन्द्र द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ ने पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया है. राज्य को 100 में से करीब 85 अंक मिले हैं. राज्य को तीन लाख 39 हजार आवास निर्माण का टारगेट दिया गया था. उस टार्गेट को पूरा करने में यहां तीन लाख आवास बना लिए गए हैं. वहीं, 83 और 82 फीसद अंकों के साथ उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने रैकिंग जारी की है. तेलंगाना सबसे निचले पायदान पर है.  वहीं गुजरात, बिहार, पंजाब और कर्नाटक जैसे कई बड़े राज्य टॉप 10 में भी स्थान नहीं बना पाए हैं.

योजना के तहत छत्तीसगढ़ में ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत आवासहीन परिवारों के लिए योजना के तहत 6 लाख 23 हजार 824 मकान बनाने का लक्ष्य है. जिसके तहत वर्ष 2016-17 में 2 लाख 32 हजार 906, वर्ष 2017-18 में 2 लाख 6 हजार 372 और वर्ष 2018-19 में 1 लाख 84 हजार 546 मकान बनाए जा रहे हैं. योजना के तहत 2016-17 से 2017-18 तक 1 लाख 33 हजार 731 पक्के मकानों का निर्माण किया जा चुका है.

अब एक नजर छत्तीसगढ़ के टाप फाइव जिलों पर

रैंक                                       जिला                                  प्रतिशत

1                                        धमतरी                                   96.75

2                                      राजनांदगांव                             94.29

3                                        बालोद                                   93.3

4                                      रायपुर                                    92.64

5                                  बलौदा बाजार                             91.13

 

गरीबों को उनके सपनों का आशियाना दिलाने के डॉ रमन के इसी संकल्प ने सूबे को देश में अव्वल स्थान पर ला दिया है. जहां बाकी के सभी राज्य छत्तीसगढ़ से काफी पीछे छूट गए हैं.

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