गांवों की अगर बात की जाती है तो एक ऐसी तस्वीर उभर कर सामने आती है. जहां कच्ची मिट्टी के बने हुए मकान, सड़क विहीन टूटी-फूटी पगडंडिया और उन पगडंडियों में हिचकोले खाती हुई बैलगाड़ी से जाते लोग. कीचड़ में खेलते बच्चे और मिट्टी कीचड़ से सने हुई महिलाएं व पुरुष जी हां गांव की बात करने के साथ ही ऐसी ही तस्वीरें आज से कई साल पहले हर किसी के जेहन में आती थी. लेकिन अब गांवों की वो तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है. न आपको मिट्टी के बने वो कच्चे मकान देखने को मिलेंगे, न पगडंगी आपको कहीं भी देखने को मिलेगी. बैलगाड़ी की जगह आपको फर्राटा भरती गाड़ियां नजर आएगी. वहीं बच्चे अब कीचड़ में खेलते नजर नहीं आते हैं अब वे गांव की सीमेंट से बनी सड़क में हाथों में बल्ला लिया विराट और धोनी जैसा बनने का सपना बुनते नजर आएंगे. अब न तो महिलाएं और न ही पुरुषों के पैर कीचड़ से सने नजर आएंगे. वजह है पगड़ंडियों और कच्ची सड़कों की बजाय पक्की सड़क होना. यह सब अगर मुमकिन हो पाया है तो सिर्फ और सिर्फ सूबे कि मुखिया डॉ रमन सिंह की बदौलत. रमन सरकार ने जैसा कहा-वैसा ही किया. 15 साल के अपने शासन में रमन ने गांव के बच्चों से लेकर वहां रहने वाले हर परिवार के लिए गंभीरता से सोचा और गरीब गुरबा कहलाने वाले ग्रामीण अब सशक्त होकर सूबे के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं.
रमन के सत्ता संभालने से पहले छत्तीसगढ़ के गांव ऐसे नहीं थे कि वहां कोई आसानी से पहुंच सके. न तो पक्की सड़कें थी और जो थी भी वो इतनी जर्जर हो चुकी थी कि उसमें गाड़ी से जाना क्या बैलगाड़ी से भी सफर करना मुश्किल था. सबसे ज्यादा तकलीफें तो लोगों को बारिश के दिनों में उठाना पड़ता था, जहां सड़क नहीं होने की वजह से लोग पैदल पगडंडियों में चलकर आते-जाते थे. पैर कीचड़ से सने हुए फिसलने के डर से चप्पल जूतों को हाथों में लिए बीते दौर की ये बातें जेहन में सिहरन पैदा कर देती है. गांव में जब किसी की तबियत खराब हो जाए तो गांव से मुख्य सड़क पर पहुंचने में ही ग्रामीणों को घंटे लग जाते थे. उस दौरान कई दफा ऐसा मौका भी आता था जब सड़क पर पहुंचने की जद्दोजहद में किसी की मौत हो जाती थी. यही वजह थी की गांवों में प्रसव कराने के लिए महिलाओं को अस्पताल ले जाने की बजाय दाईयां घरों में ही जचकी कराती थीं. अस्पताल नहीं पहुंचा पाने की मजबूरियों में कई दफा प्रसूता महिला की हालत बेहद खराब हो जाया करती थी. ऐसे में बच्चे के साथ मां की जान का खतरा बढ़ जाता था. गांवों में जच्चा-बच्चा की मौत के बढ़ते आंकड़ों ने सबको चिंता में डाल दिया. ऐसे में रमन ही उम्मीद की एक किरण बन कर सामने आए और उन्होंने गांव और गांवों में रहने वाले ग्रामीणों के समग्र विकास के लिए योजनाएं बनानी शुरु की. रमन जब भी गांव जाते तो उन्हें वहां रहने वाले लोगों की जो भी समस्याएं नजर आती. रमन मंत्रालय वापस जब रायपुर पहुंचते तो वो उन समस्याओं को दूर करने के लिए योजनाएं बनाने का अधिकारियों को निर्देश देते और बकायदा उन सभी योजनाओं की समीक्षा भी करते कि वह कहां तक पहुंची.
छत्तीसगढ़ में 10,971 ग्राम पंचायतें, 146 जनपद पंचायतें और 27 जिला पंचायतें हैं. तीन स्तरीय पंचायत राज की इन संस्थाओं के जरिए पौने दो लाख से ज्यादा निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि गांवों के विकास के लिए समर्पित होकर काम कर रहे हैं. महिलाओं को आगे बढ़ाने और उनके प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए रमन सरकार पंचायतों के निर्वाचन में 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया है. रमन की इसी सोच की वजह से छत्तीसगढ़ के गांवों में बुनियादी सुविदाओं के समग्र विकास के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित पांच योजनाओं को एकीकृत किया गया. ये योजना अब प्रदेश में “मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना” के नाम से संचालित की जा रही है.
मुख्यमंत्री ग्राम उत्कर्ष योजना के तहत 2013-14 तक निर्मलाघाट, गांवों में अंतिम संस्कार की समस्या को देखते हुए मुक्तिधाम, आंगनबाड़ी भवन, पंचायत भवन, आदि के 25005 कार्य पूर्ण हो गए हैं. गांवों में शादी-ब्याह के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था, ग्रामीण खलिहानों में बेटियों की शादी करते थे. उस दौरान कभी पानी गिर जाना तो कभी कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता था. खलिहान में शादी करने के अलावा उनके पास कोई दूसरा चारा सामने नहीं था, लेकिन रमन सरकार ही थी जो कि ग्रामीणों के इस दर्द को समझा और योजना के मुताबिक 1683 सामुदायिक भवनों का निर्माण कराया.
गांवों के भीतर जहां सड़कें नहीं थी, कच्चे रास्तों में ग्रामीणों को रोज दो चार होने की समस्या को महसूस करते हुए रमन सरकार ने प्रदेश के सभी गांवों में सीसी रोड बनाए जाने का आदेश दिया. जिसके बाद सूबे के गांवों में 26826 सीसी रोड का निर्माण किया गया जो कि किसी रिकॉर्ड से कम नहीं थी. गांवों में जाने पर वहां कीचड़ से सने घाटों के पत्थर पर बैठकर महिलाओं को निस्तारी करते देखा जा सकता था. डा. रमन ने महिलाओं की उन समस्या को समझते हुए तालाबों 686 निर्मलाघाटों का निर्माण कराया वहीं गिने चुने गांव जो बच गए थे वहां भी निर्माण कार्य जारी है.
इंसान के जीवन की अंतिम यात्रा उसकी मौत के बाद शुरु होती है जहां उसका अंतिम संस्कार किया जाता है लेकिन गांवों में ऐसी कोई स्थाई व्यवस्था नहीं थी जहां किसी का अंतिम संस्कार किया जा सके. लिहाजा ग्रामीण बरसों से तालाब के आस-पास या बगीचों में ही शव का अंतिम संस्कार करते थे. वहीं शहरों में मुक्तिधाम हुआ करते हैं जहां शव का दाह संस्कार किया जाता है. शहरों के मुताबिक ही रमन सरकार ने गांवों में 806 मुक्तिधाम का निर्माण कराया.
इसके साथ ही आंगनबाड़ी भवन, 25 कांजी हाउस, 44 उचित मूल्य की दुकान, 1527 पंचायत भवन का निर्माण कराया. बारिश के दिनों में गांवों में नदी नाले उफान पर आ जाता था. एक गांव का दूसरे गांवों से संपर्क कट जाता था ऐसे में ग्रामीणों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता था. डॉ रमन की सरकार ने 195 पुल-पुलिया का उन नदी नालों पर निर्माण कराया जिसके बाद अब गांवों में थोड़ी सी बारिश के बाद होने वाली मुश्किलों से निजाद मिल गई. इसके साथ ही 60 सोलर पावर, 453 तालाबों का सौन्दर्यीकरण कराया गया.
शहरों में घर-घर नल कनेक्शन व बोर हैं लेकिन गांवों में कुआं या फिर नलकूप ही पेयजल का एकमात्र साधन हुआ करता था. गर्मियों में कुआं सूख जाता, भूजल स्तर गिरने के बाद नलकूपों से पानी आना बंद हो जाता था. ऐसे वक्त में ग्रामीण महिलाएं चिलचिलाती धूप में सिर पर पानी का बर्तन रखे मीलों का सफर तय करते हुए पानी लेने जाती थीं. उनकी इस तकलीफ को समझने वाले सिर्फ और सिर्फ डॉ रमन ही थे जिन्होंने अधिकारियों को तुरंत ही शहरों के साथ ही गांवों को नल-जल कनेक्शन से जोड़े जाने का आदेश दिया. गांवों को नलजल कनेक्शन से जोड़ा जाना आसान नहीं था बावजूद उसके अथक प्रयास के बाद अब तक 265 नलजल कनेक्शन से जोड़ा जा चुका है. इसके साथ ही 90 अटल समरसता भवनों का भी निर्माण कराया. गांवों में रहने वाली युवा प्रतिभा जो गांव की गलियों में ही दम तोड़ते जा रही थी उस प्रतिभा को अगर पहचानने का किसी ने काम किया तो वह रमन सरकार ने किया. उन प्रतिभाओं को निखारने के लिए सरकार ने 63 मिनी स्टेडियमों का निर्माण कराया. जहां खेल प्रतिभाएं अपने हुनर को संवार कर कई खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचना बना रही हैं.
अटल समरसता भवन योजना- वर्ष 2014-15 से 3000 से 5000 आबादी वाले ग्रामों में अटल समरसता भवन योजना शुरु की गई. अब तक 156 अटल समरसता भवन के लिए 31.99 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए. जिसमें 94 कार्य पूर्ण कर लिया गया. ग्रामीण क्षेत्रों में खेल गतिविधियों को बढ़ा देने के लिए वर्ष 2015-16 में 122 मिनी स्टेडियम को स्वीकृत किया. इसमें से 110 स्टेडियम का कार्यपूर्ण हो चुका है. इसी प्रकार 185 मिसी स्टेडियम की स्वीकृति दी जा चुकी है. स्टेडियम में ओपन जिम सामग्री के लिए प्रति स्टेडियम 10 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में किसी व्यक्ति की अनाज के अभाव में भूख से मृत्यु न हो इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों में जरुरतमंदों के लिए एक क्विंटल अनाज की व्यवस्था.
श्रद्धांजलि योजना- प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले व्यक्तियों के लिए जुलाई 2016 से श्रद्धांजलि योजना लागू की गई. योजना के तहत गरीब परिवार के मुखिया के मृत्यु हो जाने पर सम्मान सहित अंतिम संस्कार के लिए तत्काल 2 हजार रुपए की आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है.
आम आदमी बीमा योजना- प्रदेश के ग्रामीण भूमिहीन परिवारों के लिए बीमा हेतु वर्ष 2009 से आम आदमी बीमा योजना लागू की गई. योजना के तहत अब तक 2991 दावा प्रकरणों में 975.575 लाख रुपए से प्रभावित हितग्राही लाभान्वित हुए.
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना
प्रदेश के सामान्य विकासखण्डों में 250 से अधिक आबादी वाली ऐसी बसाहटें जो डामरीकृत मार्गों से नहीं जुड़ी है के लिए वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क विकास योजना प्रारंभ की गई. योजना अन्तर्गत अब तक 1473 करोड़ रुपए की लागत से 3186 किलोमीटर की 1123 सड़के पूर्ण की जा चुकी है. मुख्यमंत्री ग्राम गौरव पथ योजना के अन्तर्गत 877 करोड़ रुपए की लागत से 1819 किलोमीटर की 6193 गौरवपथ का निर्माण पूर्ण किया गया है.
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
राज्य में स्वर्ण जयंती ग्राम-स्वरोजगार योजना एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) योजना के अन्तर्गत अब तक 107559 स्व-सहायता समूह के माध्यम से लगभग 10 लाख 96 हजार गरीब परिवारों की महिला स्व रोजगारियों को रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया गया.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा)
राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2013-14 से मनरेगा के तहत 100 दिवस के स्थान पर 150 दिवस तक रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. अतिरिक्त 50 दिवस पर होने वाला व्यय राज्य शासन द्वारा वहन किया जाता है. विगत पांच वर्षों में लगभग चार लाख 70 हजार परिवार लाभान्वित हुए. इसके लिए 279.55 करोड़ रुपए व्यय किया गया है. मनरेगा का प्रदेश में बेहतर क्रियान्वयन के लिए केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के 11 जिले कोरिया, बिलासपुर, रायपुर, बस्तर(जगदलपुर), सरगुजा(अंबिकापुर), कांकेर, राजनांदगांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, धमतरी और सुकमा को उत्कृष्ट क्रियान्वयन पुरस्कार प्रदान किया.