छत्तीसगढ़  में रमन सरकार द्वारा हर मोर्चे पर बेहतरीन कार्य किया जा रहा है. सरकार के इन कार्यों की बदौलत प्रदेश ने कई क्षेत्रों में अन्य राज्यों की तुलना में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है. इन्हीं क्षेत्रों में से एक क्षेत्र स्वास्थ्य व महिला एवं बाल विकास का है. महिलाओं और बच्चों को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से सूबे में मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी आई है. 15 साल पहले जो शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 76 थी वह अब घटकर 39 हो गई है. वहीं मातृ मृत्यु दर भी प्रति लाख 407 से घटकर 221 हो गई है. इसके पहले सूबे में शिशु व मृत्यु दर को लेकर हालात चिंता जनक थे. रमन सरकार ने मातृ व शिशु दर को देखते हुए कई योजनाएं बनाई. उन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन की बदौलत मृत्यु दरों में कमी आई है. जिसकी वजह से प्रसव को लेकर लोगों की चिंताएं घटी हैं और परिवारों में खुशियों की किलकारियां गूंजने लगी है. 

घरों में गूजती शिशुओं की किलकारियां किसे अच्छी नहीं लगती, खुशियों का माहौल, ढोल-बाजे और ताशों के बजने की आवाज, महिलाओं  के गाने बजाने व नाचने की तस्वीरें.  ये स्वागत का माहौल है.. स्वागत उस नन्हे मेहमान का.. स्वागत उस मां का जिसने परिवार में बच्चे की किलकारियों की खुशियों को गूंजने के लिए बच्चे को जन्म दिया है.. खुशियों की ये तस्वीरें उन घरों परिवारों में देखने को मिलती है जहां एक स्वस्थ्य शिशु का जन्म होता है. जहां जच्चा और बच्चा दोनों अस्पताल से स्वस्थ घर को लौटते हैं. लेकिन चंद साल पहले तक इन खुशियों की जगह डर ने ली हुई थी. कई बार ये खुशियां, ये सोहर गीत मातम में बदल जाया करते थे. इसकी वजह थी जन्म के वक्त शिशु या फिर मां की मृत्यु. जी हां आज से 15 वर्ष पहले जब गिनती के अस्पताल हुआ करते थे. जहां घरों में प्रसव होता था खास तौर पर अंदरूनी व ग्रामीण इलाकों में.जहां आस-पास कई-कई किलोमीटर तक कोई अस्पताल नहीं हुआ करता था. अस्पताल अगर होते भी थे तो रात क्या दिन में भी डॉक्टर उपस्थित नहीं रहते थे. वक्त के साथ सूबे और यहां रहने वाले लोगों की भी तकदीर के साथ तस्वीरें बदलना शुरु हुई. जब सूबे की बागडोर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के हाथों में आई. सीएम रमन खुद भी एक डॉक्टर हैं लिहाजा उन्होंने मातृ और शिशु मृत्यु की अत्याधिक दर की नब्ज़ अपने हाथों में पकड़ ली और उसके बाद साल दर साल स्वास्थ्य सहित उन सभी सेवाओं में सुधार करने के साथ ही नई-नई योजनाओं की शुरुआत किया. जिसकी वजह से आज शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी आई है.
शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में आई कमी और रमन सरकार द्वारा इस दिशा में किए गए कार्यों को जानने व समझने से पहले जरा इन आंकड़ों पर गौर करना जरुरी है. 
  • शिशु मृत्यु दर- वर्ष 2003 में 76 प्रति हजार से घटकर वर्ष 2017 में 39 प्रति हजार जीवित जन्म पर हो गया है.
  • मातृ मृत्यु दर- वर्ष 2003 में 407 प्रति लाख से घटकर वर्ष 2017 में 221 प्रति लाख जीवित जन्म पर हो गया है.
  • इस दौरान महिलाओं के संस्थागत प्रसव अर्थात अस्पतालों में प्रसव की दर 18 प्रतिशत से बढ़कर 74 प्रतिशत तक पहुंची.
  • सम्पूर्ण टीकाकरण 56 प्रतिशत से बढ़कर 76 प्रतिशत.

दूसरे राज्यों की तुलना में आई ज्यादा कमी

  • अन्य राज्यों जैसे- मध्यप्रदेश में 52, असम और उड़ीसा में 49, उत्तरप्रदेश में 48, तथा राजस्थान और मेघालय में 46 शिशु मृत्यु-दर दर्ज की गई है.
  • राज्य में शिशु मृत्यु दर में कमी होने के प्रमुख कारण संस्थागत प्रसव का बढ़ना.
  • स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट का संचालन व न्यूबॉर्न स्टेपलाईजेशन यूनिट.
  • न्यूबॉर्न केयर कॉर्नर का संचालन तथा बच्चों का नियमित टीकाकरण है.

शिशू मृत्यू दर रोकने ये किए जा रहे हैं उपाय

  • राज्य में नियमित टीकाकरण के माध्यम से जानलेवा बीमारियों से बचाव हेतु प्रतिरोधक क्षमता विकसित की जा रही है.
  • स्वास्थ्य संस्थाओं में कम वजन के बच्चों के लिये कंगारू मदर केयर भी प्रदाय किया जा रहा है.
  • समय पूर्व होने वाले बच्चों को मां के सीने से लगाकर गर्माहट प्रदान की जाती है.
  • सरकार की इस उपलब्धि में आंगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका अहम है.
  • आंगनबाडी केन्द्रों में जहां वर्ष 2003-04 में लगभग 17 लाख 50 हजार गर्भवती और शिशुवती माताओं तथा नन्हें बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिक आहार दिया जा रहा था.
  • वर्ष 2017 में आंगनबाड़ी सेवाओं से लाभान्वितों की यह संख्या बढ़कर 27 लाख तक पहुंच गई.
  • मेडिकल कॉलेज 2 से बढ़कर 6 हुआ
  • जिला अस्पताल 16 से बढ़कर 26
  • सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र 114 से बढ़कर 169
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र 513 से बढ़कर 793
  • उप स्वास्थ्य केन्द्र 3818 से बढ़कर 5186
  • बहुद्देशीय महिला प्रशिक्षण केन्द्र 7 से बढ़कर 88
  • 102 महतारी एक्सप्रेस- 350 महतारी वाहन के जरिए लगभग 29 लाख हितग्राहियों को सेवा.
रमन सरकार द्वारा इस दिशा में गंभीर रुप से कई कार्य किए गए हैं. जिनमें गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए महतारी एक्सप्रेस सबसे ज्यादा कारगर सिद्ध हुई है. इस सेवा के जरिए गर्भवती महिलाओं और उनके परिवार के सदस्यों को निशुल्क अस्पताल तक पहुंचाया जाता है साथ ही प्रसव के उपरांत उन्हें घर भी छोड़ा जाता है. वहीं गर्भावस्था में महिलाओं को लगाए गए टीके उन्हें व गर्भ में पल रहे बच्चे को कई बीमारियों से बचाते हैं. इसके अलावा अस्पतालों को भी अत्याधुनिक बनाया गया है. अस्पताल में नयू बॉर्न बेबी के लिए स्पेशल केयर यूनिट, एसएनसीयू की स्थापना की गई है. जिसकी वजह से अधिकांश शिशु जो जन्म के साथ ही किन्हीं न किन्हीं वजहों से उनकी हालत चिंताजनक रहती है उन्हें एसएनसीयू में दाखिल कर उनका बेहतर इलाज किया जाता है. सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से छत्तीसगढ़ देश के अन्य राज्यों से इस मामले में आगे निकल गया है. सूबे में रमन सरकार की इस दिशा में किए जा रहे बेहतर कार्यों की वजह से कई पुरस्कार राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त हुए हैं. जिनमें साल 2013 में स्वास्थ्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर बेगतर प्रदर्शन के लिए वर्ष 2015 में नवजात शिशु सुरक्षा में तृतीय पुरस्कार राज्य को मिला. शिशु सुरक्षा में तृतीय पुरस्कार, शिशु संरक्षण में द्वितीय पुरस्कार और जनसंख्या स्थिरीकरण में तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ. साल 2009 में मातृ शिशु सूचकांक में बेहतर प्रदर्शन के लिए जेआरडी टाटा अवार्ड मिला.
शिशु व मातृ मृत्यु दर को रोकने में सबसे बड़ा योगदान आंगनबाड़ी केन्द्रों का भी है. जिसके तहत गर्भवती महिलाओं व शिशुओं के जन्म के बाद उन्हें तरह-तरह के पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. इसकी वजह से मातृ-शिशु मृत्यु दर में भारी कमी तो आई ही है साथ ही राज्य में कुपोषण पर भी काबू पाया गया है. रमन सरकार की इन योजनाओं ने साबित कर दिया है कि उन्होंने जैसा कहा वैसा किया.

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