एक वक्त था जब भारत की गिनती विश्व के सबसे ज्यादा गंदगी वाले देशों में होती थी, देश के हर छोटे-बड़े शहर गंदगी से लबरेज थे. इन्हीं गंदगियों की वजह से विदेशी सैलानियों के सामने देश को शर्मिन्दगी भी उठानी पड़ती थी. वहीं हालात ऐसे भी थे कि बड़े-बड़े शहरों में भी बस्तियों में रहने वाले लोगों के घर शौचालय विहीन थे. महिलाओं को हर रोज इस वजह से शर्मसार होते देखा जाता था. जब घर की बहु-बेटियां शौच के लिए बाहर जाती थीं. बलात्कार जैसी घटनाएं भी इस वजह से बढ़ रही थी. इन हालातों में महात्मा गांधी की स्वच्छता संबंधी शिक्षा और उनके स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिए पीएम मोदी ने देश में 2 अक्टूबर 2014 को एक महाअभियान स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की. स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश को गंदगी से मुक्त करने का संकल्प सभी राज्यों सहित छत्तीसगढ़ ने भी लिया. डॉ रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने सूबे को स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया साथ ही महिलाओं को शर्मसार होने से बचाने के लिए प्रदेश में युद्ध स्तर पर शौचालयों का निर्माण शुरु हुआ. डॉ रमन ने प्रदेश को स्वच्छ बनाने का संकल्प लेकर जैसा कहा था वैसा ही किया और आज प्रदेश ओडीएफ हो गया है. रमन सरकार ने जैसा कहा, वैसा किया.

लोटे को अपनी साड़ी, दुपट्टों में छिपाकर खेत, रेलवे पटरी और सूनसान जगहों की ओर शौच करने के लिए जाते हर रोज सुबह शाम महिलाओं व बच्चों को देखा जाता था. शर्मसार करने वाली ये तस्वीरें आज से 4 साल पहले हर गांव और शहर में देखी जाती थी. इसकी वजह से महिलाएं बलात्कार का शिकार भी होती थीं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े भी बताते हैं कि देश में महिलाओं और युवतियों के साथ सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले शौच के लिए आने-जाने के दौरान की हैं. महिलाओं को ऐसे वाक्यों से बचाने और इन शर्मनाक परिस्थियों से मुक्ति दिलाने, महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के सपनों को पूरा करने पीएम मोदी एक साथ देश के सभी राज्यों को संकल्प दिलाया था. इस संकल्प की रेस को जीतने के लिए अगर किसी ने लंबी दौड़ लगाई तो वह है रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने. सूबे में इसके क्रियान्वयन का जिम्मा जिला पंचायतों, जनपद पंचायत, नगर निगमों, पालिका को दिया गया. जिसके बाद शहर-शहर, वार्ड-वार्ड, गांव-गांव, मजरों-टोलों को एक साथ ओडीएफ का मिशन शुरु किया गया. जहां इस महाअभियान के तहत उन घरों में जहां शौचालय नहीं थे, वैसी सभी घरों में शौचालय निर्माण का काम शुरु किया गया. मिशन के तहत प्रथम तीन वर्षों में राज्य में 10 हजार 971 ग्राम पंचायतों में से नौ हजार 432 ग्राम पंचायतों और 20 हजार गांवों में से 16 हजार 575 गांवों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया जा चुका है.

इसके साथ ही प्रदेश के 146 विकासखण्डों में से 109 विकासखण्ड और 27 जिलों में से 15 जिलों को भी ओडीएफ का दर्जा मिल चुका है. यह राष्ट्रव्यापी मिशन छत्तीसगढ़ राज्य में भी दो अक्टूबर 2014 से शुरू हुआ है. राज्य में इस मिशन के तहत स्वच्छता का कव्हरेज बढ़कर 94 प्रतिशत तक पहुंच गया है. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई दी और कहा है कि सबके सहयोग से छत्तीसगढ़ तेजी के साथ सम्पूर्ण ओडीएफ राज्य बनने की ओर अग्रसर है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में स्वच्छ भारत मिशन को लगातार मिल रही उत्साहजनक सफलता को देखते हुए मुझे विश्वास है कि हम लोग मिशन के इस लक्ष्य को एक साल पहले ही यानि  दो अक्टूबर 2018 तक प्राप्त कर लेंगे. पंचायत  और ग्रामीण विकास मंत्री अजय चन्द्राकर ने भी मिशन की सफलता पर खुशी जताई है. अजय चन्द्राकर ने कहा इस मिशन के माध्यम से राज्य में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी है. ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 31 लाख घरों में पक्के शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है. शेष गांवों को भी जल्द ही खुले में शौचमुक्त किए जाने की तैयारी चल रही है. आधारभूत सर्वेक्षण 2012-13 के अनुसार राज्य में कुल 26.76 लाख परिवार शौचालय विहीन थे. उस समय पूरे प्रदेश में केवल 20 गांव ही खुले में शौच मुक्त थी. प्रदेश के ऐसे गांव जो खुले में शौच मुक्त हो चुके है वहां ‘स्वच्छ संकल्प से स्वच्छ सिद्धि’ अभियान चलाकर लोगों को स्वच्छता स्थायित्व के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ में स्वच्छता मिशन के तहत जो कार्य किए गए हैं –

  • आधारभूत सर्वेक्षण 2012-13 के अनुसार राज्य में कुल 26.76 लाख परिवार शौचालय विहीन थे.
  • 2 अक्टूबर 2014 से स्वच्छता मिशन की शुरुआत.
  • प्रथम तीन वर्षों में 10 हजार 971 ग्राम पंचायतों में से नौ हजार 432 ग्राम पंचायतें
  • 20 हजार गांवों में से 16 हजार 575 गांवों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया जा चुका है.
  • 146 विकासखण्डों में से 109 विकासखण्ड
  • 27 जिलों में से 15 जिले ओडीएफ हुए
  • ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 31 लाख घरों में पक्के शौचालयों का निर्माण
  • राज्य में इस मिशन के तहत स्वच्छता का कव्हरेज बढ़कर 94 प्रतिशत तक पहुंच गया है.
  • छत्तीसगढ़ अब शत प्रतिशत ओडीएफ होने के लिए महज 6 प्रतिशत की ही दूरी पर है.

 प्रदेश को स्वच्छ बनाने और गंदगी से मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह सहित मंत्री मंडल के सभी मंत्री विधायक, निगमों के महापौर, जनप्रतिनिधि हाथों में झाड़ू लेकर सड़क पर उतर आए. एक तरह से प्रदेश में स्वच्छता तिहार के रुप में मनाया गया. हर किसी ने सूबे को गंदगी से मुक्त करने और स्वच्छ करने की शपथ ली. लोगों ने अपने घरों और आस-पास की साफ-सफाई का बीड़ा उठाया. देखते ही देखते प्रदेश की तस्वीर बदलने लगी. नेताओं मंत्रियों के साथ ही छात्र-छात्राओं ने इस महाअभियान में हिस्सा लिया. स्कूल-कालेजों में स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जाने लगा. छत्तीसगढ़ में आए इस बदलाव का अगर किसी को श्रेय जाता है तो वह है मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को जिन्होंने संकल्प के साथ जैसा कहा वैसा किया. आगे आपको बताएंगे क्यों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक 104 वर्षीय बुजुर्ग महिला कुंवर बाई का पैर छून को मजबूर कर दिया और कुंवर बाई कैसे स्वच्छता अभियान का एक चेहरा बन कर देश के सामने उभरी.


छत्तीसगढ़ में स्वच्छ भारत अभियान की बात की जाए तो मुंगेली वह पहला जिला है जो ओडीएफ घोषित हुआ. लेकिन धमतरी का नाम देश के पटल पर छा गया. यहां रहने वाली 104वर्षीय कुंवर बाई एक ऐसी प्रेरणा बनकर उभरीं कि उनका आशीर्वाद लेने खुद पीएम मोदी को छत्तीसगढ़ आना पड़ा. जहां डोंगरगढ़ की पावन धरती पर मोदी ने कुंवर बाई का पैर छू कर उनका आशीर्वाद लिया. कुंवर बाई आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी ओर से किए गए प्रयास, उनका काम आज छत्तीसगढ़ के लिए जन आंदोलन बन चुका है. ये स्टोरी उसी कुंवर बाई और उनके प्रयासों को समर्पित है. दरअसल राजधानी रायुपर से सटे धमतरी जिले की बरारी पंचायत के अंतर्गत आने वाले कोटाभर्री गांव में स्वर्गीय कुंवर बाई रहती थीं. 104 वर्षीय इस वयोवृद्ध महिला ने अपने घर की बकरियों को बेचकर शौचालय का निर्माण कराया. न सिर्फ कुंवर बाई ने अपने घर में शौचालय का निर्माण कराया बल्कि वे हर रोज सुबह पूरे गांव का चक्कर लगाती और घर-घर जाकर शौचालय बनाने के लिए लोगों को प्रेरित करती. कुंवर बाई लोगों से खुले में शौच नहीं जाने के लिए कहा करती थीं. उनके इसी हौसले का ही नतीजा था कि गांव के लोगों ने अपने घरों में शौचालय का निर्माण किया. उनका गांव जिले का पहला गांव बना. बकरियां बेचकर शौचालय बनवाने और लोगों को प्रेरित करने की खबर धमतरी से निकलकर रायपुर और दिल्ली तक पहुंच गई. रमन सरकार ने उन्हें स्वच्छता का दूत बना दिया और पीएम मोदी उनसे मिलने दिल्ली से छत्तीसगढ़ पहुंच गए. जहां उन्होंने डोंगरगढ़ में आयोजित एक कार्यक्रम में कुंवर बाई का पैर छू कर उनका आशीर्वाद लिया.

धमतरी जिला भी आज ओडीएफ हो गया है. जिले के लोग आज कुंवर बाई को प्रेरणा मानकर उनके स्वच्छता के कदमों चल रहे हैं. गांव-गांव में जागरुकता अभियान चल रहा है. स्वच्छता का संदेश अब हर घर-घर है.

स्वच्छ भारत मिशन के तहत धमतरी नगरनिगम में भी बेहत्तर प्रयास किए गए जिसके वजह से शहर ओडीएफ तो हुआ ही. साथ ही लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता आई. यहां महिला समूहों के माध्यम से घर घर से कचरा संग्रहण किया जा रहा है. शहर की जिम्मेदारी महिलाओं ने अपने हाथों में ले ली. जो सुबह रिक्शॉ लेकर घर-घर कचरा कलेक्शन कर रही हैं. इससे शहर तो स्वच्छ हो ही रहा है महिलाओं की भी आमदनी बढ़ी है. ग्रीन आर्मी के सदस्य घर घर जाकर लोगों को स्वच्छता, नियमित शौचालय उपयोग करने के लिए जागरूक करते है. इतना ही नहीं लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने और रोजाना गांव मे पहरेदारी का काम किया करते हैं. इसके आलावा ग्राम पंचायतों में गुप्त मतदान कराया जाता है. साथ ही स्कूलों के रजिस्टर में रोजाना शौचालयों के उपयोगिता दर्ज कराई जाती है……जिले में अलग अलग मदों से तकरीबन 95करोड़ की लागत से 80 हजार से ज्यादा शौचालय बनाएं…..

घरों में शौचालय बन जाने के बाद महिलाओं को अब शर्मसार होना नहीं पड़ता और अब उनके साथ होने वाली छेड़छाड़, छींटाकशी व बलात्कार जैसी घटनाओं में कमी आई है. इसके पहले आलम यह था कि जब महिलाएं घर से लोटा लेकर निकलती थीं तो चौक-चौराहों में बैठे मनचले उन पर फब्तियां कसते थे उनसे छेड़छाड़ किया करते थे. लिहाजा उन्हें अलसुबह उठकर शौच करने जाना पड़ता था. लेकिन अब उन्हें ऐसी घटनाओं से मुक्ति मिल गई है और वे सम्मान के साथ घर से बाहर निकलती हैं.


छत्तीसगढ़ का मुंगेली जिला हर क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है. लेकिन मुंगेली जिला देश भर में अपनी डंका बंजाने किसी क्षेत्र में सफल रहा है तो वो है खुले में शौच मुक्त जिला होने का। मुंगेली को छत्तीसगढ़ का पहला ओडीएफ जिला बनने का गौरव हासिल हुआ है और यह गौरव तब और भी गौरवशाली हो गया जब ओडीएफ जिला बनने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं की थी. मुंगेली जिला कैसे बना प्रदेश का पहला ओडीएफ जिला और इस जिले में गाँव कैसे खुले में शौच मुक्त हुए.

राजधानी रायपुर से 90 किलोमीटर दूर मुंगेली प्रदेश का नवगठित जिला है। सन् 2012 में यह जिला बना. लेकिन स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत के बाद बीते 2 साल में ही यह जिला देश भर में खुले में शौच मुक्त जिले में से एक बन गया. छत्तीसगढ़ का पहला ओडीएफ जिला होने का गौरव मुंगेली को मिला है. इसी में जिले में खुले में शौच मुक्त गाँव है बांकी। बाकी गाँव के लोग भी कुछ साल पहले तक घर से दूर बाहर शौच के लिए जाते थे. लेकिन आज गाँव के हर घर में खुद अपना शौचालय है. जनपद पंचायत उपाध्यक्ष शिव प्रताप सिंह कहते हैं कि प्रधानमंत्री के सपने के मुताबिक रमन सरकार ने प्रदेश भर के सभी गाँवों को खुले में शौच मुक्त बनाने के दिशा में जो अभियान चलाया है. बांकी आज उस अभियान के साथ पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त हो चुका है. गाँव के लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक हो गए हैं.

साल भर पहले खुले मैदान में शौच जाने वाले सिद्धांत साहू के घर भी अब उनका अपना शौचालय है. सिंद्धात ही नहीं बल्कि उनके तरह गाँव के हर आम-खास-गरीब के घर शौचालय बन चुके हैं. सिद्धांत साहू कहते हैं कि रमन सरकार के नेतृत्व में किये जा रहे इस तरह के प्रयास बहुत सराहनीय है.

मुंगेली जिला को ओडीएफ जिला 1 नवंबर 2016 को घोषित किया गया और इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद राज्योत्सव के मंच से की थी. तब प्रधानमंत्री मुंगेली जिला प्रशासन को इसके लिए सम्मानित भी किया था. इससे पहले की आपको कलेक्टर किरण कौशल और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह क्या कहते हैं ये बताने से पहले जरा ये जान लीजिए कि किस तरह से प्रयास मुंगेली जिला को ओडीएफ बनाने को लेकर हुए हैं-

  • जिले की सभी 350 ग्राम पंचायतों के 674 ग्रामों को खुले में शौचमुक्त घोषित किया गया.
  • स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत जिले में 96973 व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण किया गया.
  • मनरेगा के तहत 20097 व्यक्तिगत शौचालय बनवाने का कार्य पूर्ण कर लिया गया.
  • जिले की ओडीएफ शौचालय के सत्यापन हेतु 5 जिलो की टीम पहुंची थी.
  • शौचालय निर्माण हेतु रणनीति तैयार कर पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों की जागरूकता से शौचालय निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा सका.
  • जिले के 200 मास्टर ट्रेनर्स एवं सीएलटीएस के प्रेरकों का सहयोग लिया गया.
  • जिले की 4 हजार शिक्षक एवं शिक्षिकाओं द्वारा शालाओं में व्यक्तिगत स्वच्छता एवं शौचालय के उपयोग हेतु विभिन्न गतिविधियां संचालित किया गया.
  • विकासखण्ड एवं ग्राम स्तर के नवरत्नों समस्त आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं मितानिनों द्वारा प्रत्येक दिन घर-घर जाकर व्यक्तिगत स्वच्छता एवं शौचालय के उपयोग हेतु जागरूक किया गया.
  • 01 जून से 15 जून 2016 तक जिले में डॉक्टर, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और मितानिनों की उपस्थिति में स्वास्थ्य शिक्षा एवं शौचालय उपयोग हेतु किशोरी बालिकाओं की शिविर आयोजित किये गये.
  • प्रत्येक गांव में सुघ्घर बिहनियां दल का गठन किया गया.
  • सबेरे और शाम को लोगों को शौचालय उपयोग हेतु जागरूक कर रहे.
  • इसी तरह प्रत्येक गांव में रेड ब्रिगेड का गठन किया गया है जिसमें गांव के किशोरी बालक-बालिकायें एवं वानर सेना लोगों को खुले में शौच न करने हेतु समझाइश दे रहे थे.
  • कई ग्राम पंचायतों द्वारा खुले में शौच करने वाले व्यक्तियों से जुर्माना भी वसूल किया.स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण में जिला पंचायत, जनपद पंचायत के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों ने भागीदारी निभायी है. मीडिया ने भी जिला प्रशासन के कार्यों में सहयोग प्रदान किया है. लेकिन सरकार की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन और जागरूकता के बदौलत ही आज मुंगेली जिला प्रदेश का पहला ओडीएफ जिला बन पाया है और मुंगेली आज इसी के चलते प्रदेश भर के अन्य जिलों के लिए रोल मॉडल बन गया है.

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