रायपुर। विधानसभा के बजट सत्र में सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने छात्रावासों में बालिकाओं से दुर्व्यवहार का मामला ध्यानाकर्षण के जरिये उठाया. अजीत जोगी
ने कहा, “छात्रावास रसोइयों के भरोसे चल रहे हैं. छात्रावासों में कई-कई दिनों तक अधीक्षिका नहीं आती. रसोइयां ही सब कुछ है. जब से छात्रावासों को स्कूल शिक्षा विभाग में समायोजित किया गया है तब से छात्रावासों के निरीक्षण का अधिकार असिस्टेंट डायरेक्टर ट्राइबल वेलफेयर को दे दिया गया है. बिलासपुर मुख्यालय से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर है. बेहतर ढंग से निरीक्षण करना एक अधिकारी के लिए ठीक नहीं है. ऐसे में क्या निरीक्षण का अधिकार दूसरे अधिकारियों को भी दिया जाएगा.”
अजीत जोगी के प्रश्न का उत्तर देते हुए मंत्री प्रेमसाय सिंह ने कहा, “छात्रावासों में निरीक्षण करने का अधिकार कलेक्टर, अपर कलेक्टर, एसडीएम सब को है. समय-समय पर इसका परीक्षण होता रहता है. स्थानीय स्तर पर भी समिती बनी है. यह समिति भी निरक्षण करती है.”
मंत्री के जवाब पर अजीत जोगी ने कहा कि आप मरवाही के छात्रावास को भी देख सकते हैं. वहां आपको कोई भी जिम्मेदार देखने को नही मिलेगा. एक शिक्षक को अधीक्षक बनाकर पोस्ट किया जा रहा है. ये भ्रष्टाचार का बड़ा जरिया बन गया है. जब अधीक्षक का काडर अलग से बन गया है, तो इसकी क्या जरूरत है शिक्षक को अधीक्षक बनाकर पोस्ट करना?
जिस पर प्रेमसाय सिंह ने कहा कि हम प्रयास करेंगे कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए. उन्होंने कहा कि सकोला की अधीक्षिका के खिलाफ खबर को संज्ञान में लेते हुए छात्रावास के प्रभार से अलग कर दिया गया है. रूमगा की अधीक्षिका की छात्रावास में मौजूदगी नहीं होने की शिकायत के बाद उन्हें हटाया गया है. साथ ही जांच की जा रही है. छात्रावास में रहने वाले छात्र- छात्राओं के साथ अनाचार नहीं किया जाता.