मराठियों को ताकत दे रहे सिंधिया

मराठी भाषियों को तवज्जो देना सिंधिया का शुरू से ही स्वभाव रहा है। उनकी यही फितरत अब मराठियों की ताकत बन रही है। ये सब जानते हैं कि सिंधिया की ताकत बीजेपी में आने के बाद और बढ़ी है। इसलिए साइड लाइन या पर्दे के पीछे काम करने वाले मराठी नेता भी अब सिंधिया से संपर्क साध रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में सिंधिया ने चुन-चुनकर मराठी नेताओं से बात की है। अब ये सभी मराठी भाषी सिंधिया के साथ खुलकर बीजेपी में दिखाई देने लगे हैं। जाने-अनजाने बीजेपी में सिंधिया के प्रभाव वाले कार्यकर्ताओं की तादाद लगातार ज़रूर बढ़ रही है, लेकिन सिंधिया की यह अदा फिलहाल संघ को खूब पसंद आ रही है। बता दें कि महाराष्ट्र से लगे हुए इलाकों से अलावा प्रदेश भर में मराठी भाषी बड़ी तादाद में हैं।

खिलाड़ियों के बाद अब साहित्यकार

खेल अकादमी के ज़रिये अच्छे खिलाड़ी बनाने की तरकीब कामयाब होने के बाद अब सरकार का रुख साहित्य की तरफ है। साहित्य अकादमी ने तैयारी की है कि छोटे-बड़े शहरों में युवा साहित्यकारों को मंच प्रदान किया जाए। यहां साहित्य केंद्र खोले जाएंगे जहां युवा और नव साहित्यकारों को बुलाया जाएगा। इसी जमावड़े में प्रदेश के बड़े साहित्यकारों को भी भेजा जाएगा, जो अच्छे लेखन के टिप्स देंगे। कोशिश है कि इस तरकीब के ज़रिये नव और युवा साहित्यकारों को मंच मिलेगा और वे राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच सकेंगे। नयी प्रतिभाओं को निखारने की ये तरकीब अच्छी है लेकिन सुना ये भी है कि कांग्रेस को इसमें संघ के एजेंडे की बू आ रही है। कांग्रेस को शक है कि इसमें विचारधारा विशेष को प्रमोट किया जाएगा और माइंड वॉश भी होगा। कांग्रेस ने मामला सीरियस ले लिया तो साहित्य के मंच को सियासी अखाड़ा बनने में देर नहीं लगेगी।

वैक्सीनेशन के लिए रिले रैली

सरकार ने 25-26 अगस्त को महा वैक्सीनेशन अभियान बुलाया है। इसमें दूसरा डोज लगाने वाले 40 लाख लोगों को अब तक चिन्हित किया गया है। ये अभियान के केवल दूसरा डोज़ से महरूम लोगों को लिए ही रखा गया है। लेकिन लगातार बढ़ता आंकड़ा स्वास्थ्य महकमे के पसीने छुड़ा रहा है। दरअसल, महकमे ने केंद्र से पर्याप्त वैक्सीन की मांग की है। आशंका है कि मांग के मुताबिक आपूर्ति नहीं हो सकती है। यदि मांग पूरी भी की गई तो उपलब्धता इलेवन्थ अवर पर हो सकती है। इसलिए वही तैयारी की जा रही है रिले दौड़ की होती है। यानी सुबह तक वैक्सीन सेंटर तक वैक्सीन करीबी शहर से पहुंचायी जाएगी। उस करीबी शहर की भरपाई भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर से होगी। ये विकल्प वैक्सीनेशन महा अभियान के वक्त किया जा चुका है। इसलिए इस बार ये दोहराया जा सकता है। अभियान की तारीख घोषित करने के बाद वैक्सीन की कमी जैसे मुद्दे पर महकमा सरकार के सामने नाक नहीं कटवाना चाहता है।

सीएम के पीआर का जवाब नहीं

सीएम शिवराज के पर्सनल पीआर मैनेटमेंट टीम ने तहलका मचा रखा है। इस टीम के काम करने के तरीके से मीडिया भी खुश है और शिवराज भी। मीडिया को सीएम की जानकारी तुरंत पहुंचाई जा रही है। हर खबर ब्रेकिंग न्यूज़ फार्मेट में, एकदम तैयार परोसी जा रही है। तूफानी पीआरशिप का ये तरीका अब तक कहीं और नहीं देखने को मिला था। ये फार्मूला शिवराज ने कमल नाथ सरकार के वक्त अपनाया था। तब शिवराज की स्वाभाविक सक्रियता को भी इसी टीम ने मीडिया की सुर्खियां बनाने में कामयाबी हासिल की। इसी वक्त शिवराज को पार्टी की तरफ से सदस्यता अभियान की देशव्यापी जवाबदारी दी गई तब भी यही पीआर टीम शिवराज के साथ थी। तब अभियान को चौतरफा कामयाबी मिली और शिवराज देश भर में सुर्खियों में रहे। सक्रिय तो शिवराज रहते ही हैं, केवल इसकी ब्रांडिंग की ज़रूरत थी। सरकार लौटने के बाद शिवराज ने इसी टीम पर भरोसा जता रहे हैं। माहौल ये है कि अब अफसरों में 24 घंटे खटका रहता है कि सीएम ने सख्ती दिखाई तो कहीं ये मीडिया की सुर्खियां ना बन जाए।

मंत्री के घर भेदी की तलाश

तबादलों को लेकर कोई आरोप नहीं लगे इसके लिए सीएम ने साफ हिदायत दी है। राजधानी के ही एक करीबी जिले के एक मंत्री इस मामले को लेकर एक्सट्रा प्रिकॉशन बरत रहे थे। लेकिन पोल खुल गई उस वक्त जब उनके दफ्तर में रखी तबादलों की सिफारिशें बाहरी वॉट्स एप ग्रुपों पर दिखाई दे गईं। मामला इसलिए संगीन हो गया है कि जिन सिफारिशी पत्रों को अत्यंत गोपनीय की तरह ट्रीटमेंट मिल रहा था। उसकी तस्वीरें कैसे बाहर आ गईं। जबकि मंत्रीजी ने  तबादलों के मामले में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को लेकर ताकीद कर रखा था। साफ-सुथरा काम करने की हिदायत दी थी। श्यामला हिल्स के सरकारी बंगले वाले इन मंत्रीजी का स्टाफ अब घर का भेदी तलाश रहा है।

बीजेपी की इंग्लिश-विंग्लिश

बीजेपी की मीडिया टीम ने अब इंग्लिश पर फोकस करना शुरू कर दिया है। ये टीम टीवी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अंग्रेजी के साथ मोर्चा तानेगी। प्रवक्ताओं की मीटिंग में जब दुभाषियों की जानकारी हासिल करने के लिए हाथ उठाने को कहा गया तो कई हाथ उठे। टीम में कई मेडिकल प्रोफेशनल्स, डॉक्टर, प्रोफेसर, जज या एक्स मल्टीनेशनल कंपनी के इम्प्लॉई हैं। इन्हें फेसबुक, ट्वीटर पर अंग्रेज़ी के इस्तेमाल की हिदायत दी गई। दरअसल, इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अंग्रेज़ी विचार तेजी से देखे जाते हैं। यही नहीं, प्रवक्ताओं से उनकी विषय विशेषज्ञता के बारे में भी जानकारी ली गई। प्लान ये है कि अब कोई भी कुछ भी नहीं कहेगा। बल्कि प्रवक्ता खुद को सौंपे गए विषयों के आधार पर पार्टी की बात रखेगा।

कांग्रेस प्रवक्ताओं का फाइनल एग्ज़ाम

बता दें कि कांग्रेस प्रवक्ता इन दिनों फाइनल एग्ज़ाम के दौर से गुज़र रहे हैं। कई प्रवक्ताओं को तो इसकी खबर भी नहीं है। दरअसल, कमल नाथ के निर्देश पर हर प्रवक्ता की टीवी डिबेट की आउट साइडर से मॉनीटरिंग कराई जा रही है। इनमें डिबेट की परफारमेंस को देखते हुए मार्क्स भी दिए जा रहे हैं। ये नॉक आउट दौर भी चल रहा है, यानी जिसने कमजोर परफॉरमेंस देकर पार्टी को कमजोर किया वो तुरंत प्रभाव से आउट किया जा रहा है। ये प्रक्रिया तकरीबन दो महीने तक चलेगी, इसके बाद मार्कशीट देखकर प्रवक्ताओं की नए सिरे से लिस्ट जारी होगी। इसे देखते हुए कांग्रेस का सबसे एक्टिव कुनबा यानी मीडिया विभाग में खलबली का माहौल है। जिन्हें नहीं मालूम वो अब से एक्टिव हो सकते हैं। हां, ये भी बता दें कि केवल ये नहीं देखा जा रहा है कि प्रवक्ता ने क्या पाइंट रखे, बल्कि ये भी देखा जा रहा है कि बीजेपी को वाजिब जवाब दिया या नहीं। इसके अलावा प्रवक्ता की बॉडी लेंग्वेज, कांफिंडेंस, आउटफिट कैसे हैं। घर से डिबेट पर बैठे हैं तो लाइट्स, बैक ग्राउंड और इंटरनेट कनेक्शन कमजोर तो नहीं हैं।

दुमछल्ला…

बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने अब और तेज़ होने की तैयारी कर ली है। पृथक विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर ‘हमारा विंध्य हमें लौटा दो’ मुहिम चला रहे त्रिपाठी को पार्टी ने इनकार कर दिया है। मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बयान दिया है कि ना तो अलग विंध्य बनेगा और ना ही बुंदेलखंड। इसके बाद त्रिपाठी ने आने वाले उप चुनाव में पार्टी से अलग सभाएं लेने का फैसला ले लिया है। पार्टी अब इससे निपटने के उपाय तलाशने में जुट गई है।

(संदीप भम्मरकर की कलम से)