रायपुर। राजधानी में 23 अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल तक ट्रैफिक सप्ताह का आयोजन किया गया. सप्ताह के समापन पर वृंदावन हाल में कार्यक्रम भी हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पीडब्लूडी मंत्री राजेश मूणत पहुंचे थे. मंत्री जी के अलावा रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी, नगर निगम कमिश्नर रजत बंसल, आईजी रायपुर रेंज प्रदीप गुप्ता, एसपी अमरेश मिश्रा सहित बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी, ट्रैफिक जवान और पत्रकार भी मौजूद थे.
इस दौरान ट्रैफिक को लेकर सबने बात की, उपलब्धियां भी गिनाई गईं लेकिन जिनके कंधों पर राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था है उनकी बात किसी ने भी नहीं की. उन्हें ही सबने भुला दिया. जी हां हम बात कर रहे हैं ट्रैफिक में पदस्थ उन जवानों की जो कड़ी चिलचिलाती धूप हो या बारिश या फिर कड़कड़ाती ठंड क्यों न हो में चौक-चौराहों में खड़े होकर अपनी ड्यूटी करते हुए यातायात को नियंत्रित करते हैं.
जिन चौक चौराहों में वे खड़े रहते हैं वहां से रुकने वाले और गुजरने वाले दुपहिया, चौपहिया या फिर भारी वाहनों से जहरीला धुआं निकलता है जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है. उनमें कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डाइ आक्साइड हाइड्रो कार्बन, क्रोमियम, कैडमियम जैसे रसायन होते हैं. इससे उन्हें फेफड़ों और सांस की बीमारियां तक हो सकती है. उससे बचने के लिए उन्हें गैस मास्क तक नहीं दिया गया है.
उन्हें लगाने के लिए रेग्जीन की हैट दी गई है जो कि साधारण सी भी गर्मी में बेहद गर्म हो जाती है. पहले उन्हें कपड़े की कैप दी जाती थी लेकिन पिछले कई सालों से उन्हें पहनने के लिए ये हैट दी गई है. यहां तक कि सबसे मुश्किलों का सामना उस वक्त चाहे महिला ट्रैफिक कर्मी हो या फिर पुरुष करना पड़ता है जब उन्हें लघु शंका लगती है. लेकिन इसके लिए वहां आस-पास कोई टायलेट या फिर मोबाइल टायलेट भी नहीं होता. ये तकलीफें सिर्फ राजधानी नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में तैनात ट्रैफिक अमले की है. जिस पर किसी भी जिम्मेदार का ध्यान ही नहीं जाता.
इस मामले में जब मीडिया ने मंत्री राजेश मूणत का ध्यान दिलाया तो उन्होंने कहा कि ट्रैफिक कर्मचारियों की जो भी समस्या है वह सामने आनी चाहिए और सरकार उनकी हर समस्या को दूर करने का प्रयास करेगी. फिरहाल उनकी समस्याएं दूर होगी भी या नहीं वह तो वक्त ही बताएगा.