रायपुर। मुन्ना भाईयों को परीक्षा में बैठाकर आरक्षक बने उत्तरप्रदेश के तीन फरार युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार तो कर लिया है लेकिन पुलिस ने उन मुन्ना भाईयों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया है जो लिखित परीक्षा में बैठकर तीनों युवकों के बदले परीक्षा दिए थे.
पुलिस की आँखों में धूल झोंकने वाले तीनों युवकों से राजधानी पुलिस आरोपी मुन्ना भाईयों का नाम तक नहीं उगलवा पाई. माना टीआई के अनुसार आरोपियों से मामले को लेकर पूछताछ की गई थी लेकिन उन्होंने परीक्षा में उनकी जगह किसी और के सम्मिलित होने से इंकार किया है. उन्होंने बताया कि तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से उनके परीक्षा फार्म, फिजिकल टेस्ट के दौरान किए गए हस्ताक्षरों और लिखित परीक्षा में किए गए हस्ताक्षरों से मिलान किया गया था लेकिन हस्ताक्षर अलग मिले.
मामला वर्ष 2014-15 का है. छत्तीसगढ़ शसस्त्र आईआर बटालियन की जीडी आरक्षक की भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी. जिसमें उत्तरप्रदेश के रहने वाले जयनंदन प्रसाद, महत्तम प्रसाद और लालजी गोंड भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए थे. तीनों आरोपियों ने भी भर्ती परीक्षा में फार्म भरा था. जिसमें उत्तरप्रदेश के जयनंदन प्रसाद, महत्तम प्रसाद और लालजी गोंड भी उन्होंने अपनी जाति, निवास प्रमाणपत्र को सेल्फ अटेस्टेड किया था. जिसके बाद वे फिजिकल परीक्षा में सम्मिलित हुए और पास होने के बाद जब लिखित परीक्षा आयोजित की गई तो आरोपियों ने अपनी जगह दूसरे व्यक्तियों को परीक्षा में बैठा दिया.
परीक्षा का रिजल्ट आने पर तीनों आरोपियों का नाम चयन सूची में था. आरोपियों को बकायदा ज्वाइनिंग लेटर भी जारी कर दिया गया था. चयन सूची में आरोपियों का नाम आने के बाद एएसआई अनिल गंधर्व थाना माना के द्वारा इसकी शिकायत की गई.
शिकायत मिलने पर आरोपियों के फार्म और फिजिकल परीक्षा व लिखित परीक्षा में किए गए हस्ताक्षरों से मिलान किया गया. हस्ताक्षर मिलान पर लिखित परीक्षा की पंजी में किए गए हस्ताक्षर आपस में मेल नहीं खाए जिस पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 417, 419, 34 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था. बताया जा रहा है कि शिकायत मिलने की जानकारी मिलने के बाद तीनों आरोपी फरार थे. इस दौरान आरोपी पुलिस से बचने के लिए मुंबई, दिल्ली और गुजरात में छिपकर रह रहे थे.
आपको बता दें कि पुलिस भर्ती के दौरान बड़ी संख्या में दलाल सक्रिय रहने की बात भी सामने आती है. जानकारों के मुताबिक किसी और की जगह बगैर किसी मिलीभगत के दूसरे को परीक्षा में बैठाना संभव नहीं है. ऐसे में मुन्ना भाईयों का नाम पता नहीं लगना कई संदेहों को जन्म देता है.