ट्रिपल तलाक यानी तीन तलाक को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने सुपीम कोर्ट में अपनी बात रखी. केंद्र ने लिखित दलील में कहा कि तीन तलाक तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाएं मुस्लिम महिलाओं की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती है. सरकार ने कहा कि यह प्रथा उन्हें मूल अधिकारों से दूर रखते हैं जिससे संविधान में मिले बराबरी के हक का हनन होता है.

मुस्लिम महिलाएं असुरक्षित

सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भारत की जनसंख्या का 8 फीसद हिस्सा हैं मुस्लिम महिलाओं की हैं। देश की ये आबादी सामाजिक और आर्थिक रूप से बहुत ही असुरक्षित हैं। सरकार ने साफ किया कि महिलाओं की गरिमा से किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता।

आगामी 11 मई से इस मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई करेगी।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड काे हलफनामे का हवाला

सरकार ने कोर्ट में मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने खुद माना है कि शरियत में तीन तलाक अनचाही प्रथा है। अपनी दलील में सरकार ने ये भी कहा है कि तीन तलाक जैसी प्रथाओं को संविधान के अनुच्छेद 25 का संरक्षण नहीं दिया जा सकता। केंद्र ने माना कि तीन तलाक का मुद्दा बहुत बड़ी आबादी को प्रभावित नहीं करता है फिर भी किसी के साथ गलत नहीं होने दिया जा सकता। अपनी दलील में सरकार ने ये भी कहा कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं को आर्थिक तौर पर कमजोर कर रहा है।