रायपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने विपक्षी दलों द्वारा ईवीएम को फिर मुद्दा बनाए जाने पर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया. उन्होंने इसे विपक्षी दलों की हताशा का परिचायक बताया है.

उसेंडी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा और उसके सहयोगी दल ऐतिहासिक जीत हासिल कर रहे हैं और प्रथम चरण के मतदान का प्रतिशत इस बात की तस्दीक कर रहा है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इससे भयभीत नजर आ रहे हैं और इसीलिए उन्होंने अभी से ईवीएम का मुद्दा फिर से उठाया है. देश की राजधानी में विपक्षी नेताओं की संविधान बचाओ प्रेस कॉन्फ्रेंस दरअसल अपना वजूद बचाओ प्रेस कॉन्फ्रेंस थी क्योंकि आसन्न लोकसभा चुनाव में देश की जनता ऐतिहासिक जनादेश देकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा व राजग की सरकार चुनने जा रही है और कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल अपना वजूद बचाने के ऐतिहासिक संघर्ष के दौर में जाने वाले हैं.

उसेंडी ने कहा कि जब-जब भी विपक्ष को अपनी हार नजर आती है, वह हार का ठीकरा ईवीएम पर फोडऩा शुरू कर देता है. अगर ईवीएम पर कांग्रेस और विपक्ष को इतना ही अविश्वास है तो उन्हें उन राज्यों की सत्ता से अलग हो जाना चाहिए, जहां ईवीएम से ही वे सत्ता में आए हैं. उसेंडी ने कहा कि अगर वास्तव में ईवीएम को लेकर कांग्रेस गंभीर होती तो पहले छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान की विधानसभा को भंग कर दें, देती क्यूंकि उस मशीन ने ही कांग्रेस के पक्ष में फैसला दिया था.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की विडंबना तो यह है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के प्रत्याशियों की ओर से अलग घोषणा पत्र जारी किया गया है. इसका साफ मतलब यह है कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं ने अपने केन्द्रीय चुनाव घोषणा पत्र को खारिज कर दिया है. कांग्रेस के प्रदेश नेताओं को यह समझ आ गया है कि कांग्रेस का घोषणा पत्र देशद्रोही ताकतों के हितों की रक्षा करने वाला है. इसमें देशद्रोह से जुड़ी धारा हटाने और कश्मीर में सैन्यबल घटाने का वादा करके कांग्रेस ने अपना रहा-सहा जनाधार भी खो दिया है. स्थिति यह है कि कांग्रेस के प्रत्याशी अब अलग से घोषणा पत्र जारी करके मतदाताओं के बीच जा रहे हैं. उसेंडी ने कहा कि कांग्रेस अपनी इन्हीं विसंगतियों के चलते अस्तित्व की लड़ाई के ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ी नजर आ रही है.