रायपुर। सरकार ने मानव अधिकार कार्यकर्ताओं से सवाल किया है कि वे चुनाव क्यों नहीं लड़ते हैं ? इस सवाल के जवाब में मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा है कि सरकार मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की तरह काम क्यों नहीं करती है ? मानव अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनका काम चुनाव लड़ना नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए काम करना है. देश की सरकारें पहले ये बताएं कि क्या वह सही मायने में लोकतंत्र की रक्षा कर पा रही है. देश के भीतर में अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म कने की साजिश हो रही है. सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं को काम करने से रोका जा रहा है. मीडिया पर पाबंदी लगाई जा रही है.
प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता गौतम बंधोपाध्याय ने कहा कि देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद कहते हैं कि मानव अधिकार कार्यकर्ता चुनाव क्यों नहीं लड़ते हैं ? पहले तो कानून मंत्री को देश का संविधान पढ़ना चाहिए और फिर सवाल करना चाहिए. कानून मंत्री चुनाव जीतकर आते हैं तो उनका दायित्व क्या होता है. क्यों नहीं वह मानव हितों की रक्षा कर पा रहे हैं. सरकार काम आम लोगों के लिए काम करना है न की पूंजापतियों के लिए. वहीं मध्यप्रदेश में मानव अधिकारों के लिए काम करने वाले माधूरी का कहना है कि चुनाव ही लोकतंत्र को जिंदा रखने का विकल्प नहीं है. वह अपना दायित्व बखूबी निभा रही है. जरूरत सरकार को सही दायित्व निभाने की है. सरकार ही बेहतर तरीके से अपना कर्यत्वय निभा रही होती तो कानून मंत्री ऐसा सवाल नहीं करते. वहीं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला का कहना है कि अगर सरकार ऐसा सोचती है कि मानव अधिकार कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ना चाहिए तो समय-काल-परिस्थिति ये भी तय करेगा. लेकिन फिलहाल हम सरकार से ये उम्मीद करते हैं कि सत्ताधीश लोग अपनी जिम्मेदारी लोकतंत्र की रक्षा के लिए निभाएं.