नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने देश के पहले लोकपाल के नाम के लिए मंजूरी दे दी है. वो कोई और नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस पीसी घोष है, जो देश के पहले लोकपाल बनाने जा रहे है. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रख्यात कानूनविद मुकुल रोहतगी की चयन समिति ने उनका नाम तय किया है और उनके नाम की सिफारिश की है.

दरअसल यूपीए-2 सरकार के दौरान एक के बाद एक भ्रष्टाचार से जुड़े मामले सामने आने से लोगों में नाराजगी बढ़ रही थी. इसी दौरान लोकपाल को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे और योग गुरु बाबा रामदेव के आंदोलन ने देश भर में यूपीए सरकार के खिलाफ माहौल बनाया. जाहिर तौर पर तब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने भ्रष्टाचार के मोर्चे पर लोगों की नाराजगी को वर्ष 2014 के आम चुनाव में आराम से भुना लिया.

पीसी घोष ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तीन साल के कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले सुनाए थे. उनके इन फैसलों में तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता की सहयोगी रही शशिकला को लेकर दिया गया फैसला भी शामिल है.

कौन हैं पीसी घोष…

–  पिनाकी चंद्र घोष का जन्म 28 मई 1952 को हुआ और वो जस्टिस शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं. वो सुप्रीम कोर्ट के जज रहने के साथ कई राज्य के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं. अभी पीसी घोष मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं.

– उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से बीकॉम और यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता से एलएलबी की पढ़ाई की है. वे कलकत्ता हाईकोर्ट के अटॉर्नी एट लॉ भी बने थे.

– वे साल 1997 में कलकत्ता हाईकोर्ट के जज बने और उसके बाद दिसंबर 2012 में उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. दो साल पहले मई 2017 में घोष सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे और वो 2013 से 2017 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहे.

– वो वेस्ट बंगाल स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन, नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के सदस्य भी रह चुके हैं. साथ ही उन्होंने कई पदों पर कार्यभार संभाला है.