रायपुर. छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कवि केदार सिंह परिहार को न्यूज 24 मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और lalluram.com द्वारा आयोजित देसी टॉक कवि सम्मेलन में छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज रात कवि सम्मेलन के शुभारंभ अवसर पर केदार सिंह परिहार को सम्मानित करेंगे. केदार सिंह परिहार छत्तीसगढ़ी भाषा के जाने-माने कवि हैं और उनकी कविताएं पूरे प्रदेश में सुनी जाती है. छत्तीसगढ़ ला छांव करे बर मैं छान्ही बन जातेव नामक उनकी कविता छत्तीसगढ़िया लोगों को भाव विभोर कर देती है. छत्तीसगढ़ महतारी को समर्पित उनकी कुछ रचनाएं कालजयी मानी जाती है. छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति को उन्होंने अपनी कविताओं के जरिए खूब उभारा है. आईए जानते हैं केदार सिंह परिहार के बारे में..

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

कवि केदार सिंह परिहार का जन्म 7 मार्च 1952 को छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुंगेली जिले के पलानसरी गांव में एक कृषक परिवार में हुआ था. उनके पिता स्व. भागवत सिंह परिहार और माता स्व. अंबिका सिंह थे. प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने दुर्ग जिले के ग्राम गाड़ामोर में प्राप्त की, और हाई स्कूल की पढ़ाई मुंगेली के बी.आर. साव हायर सेकेंडरी स्कूल से की. इसके बाद, उन्होंने एस.एन.जी. महाविद्यालय, मुंगेली से स्नातक की डिग्री प्राप्त की. शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने 1975 में जांजगीर लॉ कॉलेज से एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की.

कविता और संगीत में रुचि

कवि केदार सिंह परिहार को बचपन से ही कविता में गहरी रुचि थी, और उन्होंने विभिन्न शहरों में जाकर कविता पाठ किया. कविता के साथ-साथ उन्हें संगीत में भी रुचि थी, और इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए उन्होंने मुंगेली में समन्वय कला परिषद से जुड़कर “उत्ती के सुरूज” नामक संस्था का संचालन किया. इस संस्था के माध्यम से उन्होंने कला और साहित्य के क्षेत्र में अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाई.

राजनीतिक सफर की शुरुआत

कवि केदार सिंह परिहार का राजनीति में प्रवेश 1983 में हुआ, जब उन्होंने ग्राम पंचायत टिंगीपुर के सरपंच के रूप में कार्य करना शुरू किया. वे लगातार 10 वर्षों तक इस पद पर बने रहे. इसके बाद, वे मुंगेली मंडी बोर्ड के अध्यक्ष बने, जहाँ उन्होंने एक दशक तक सेवा दी. इस दौरान, वे कोऑपरेटिव बैंक और मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड के सदस्य भी रहे.

सुंदरलाल पटवा और छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा

कवि परिहार ने 1990 के दशक में तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में जिला प्रधान का चुनाव लड़ा, हालांकि यह चुनाव किसी कारणवश स्थगित हो गया. इस दौरान, उन्होंने स्व. दिलीप सिंह जुदेव के नेतृत्व में कांति मशाल लेकर पूरा छत्तीसगढ़ भ्रमण किया. इस यात्रा में नंद कुमार साय और रमन सिंह विशेष रूप से उनके साथ थे. छत्तीसगढ़ के विकास यात्रा में स्व. निरंजन प्रसाद केशरवानी के मार्गदर्शन और प्रेरणा का विशेष योगदान रहा.

साहित्यिक योगदान और सम्मान

कवि केदार सिंह परिहार ने राष्ट्रीय कवियों के साथ कविता पाठ किया है, और वे रायपुर दूरदर्शन और आकाशवाणी में भी नियमित रूप से कविता पाठ करते रहे हैं. उनका सपना था कि छत्तीसगढ़ को एक अलग राज्य बनाया जाए, और उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से जन जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके अलावा, उन्हें अनगिनत क्षेत्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं, जो उनकी साहित्यिक यात्रा का प्रमाण हैं.

राजभाषा आयोग में योगदान

छत्तीसगढ़ राज्य के बनने के बाद, कवि परिहार ने छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सदस्य के रूप में कार्य किया. उन्होंने लगातार छह वर्षों तक इस आयोग में अपनी सेवाएं दीं. इस दौरान, छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ी व्याकरण और लिपि के संबंध में महत्वपूर्ण कार्य किए, जो आज भी सराहनीय माने जाते हैं.

कवि केदार सिंह परिहार का जीवन एक प्रेरणा है, जो साहित्य, राजनीति और समाज सेवा के माध्यम से छत्तीसगढ़ के विकास और सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित रहा.