अविनाश श्रीवास्तव, सासाराम. Shagufta Parveen Success Story: कहते हैं की उड़ान पंखों से नहीं हौसलों से होती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, डेहरी की रहने वाली शगुफ्ता परवीन ने। शगुफ्ता दोनों पांव से दिव्यांग है। लेकिन इसने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग से स्नाकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर गोल्ड मेडल प्राप्त किया है।
राज्यपाल ने गोल्ड मेडल से किया सम्मानित
बड़ी बात है कि दीक्षांत समारोह में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने अपने हाथों सम्मानित किया। 2017 में पिता के निधन के बाद यह दिव्यांग बेटी शगुफ्ता परवीन बच्चों की ट्यूशन कर सिर्फ घर का ही बोझ नहीं उठाया, बल्कि पढ़ाई भी जारी रखी और दिव्यंका को मात देते हुए वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग में टॉप रैंक प्राप्त किया।
सात भाई-बहन हैं शगुफ्ता
शगुफ्ता कहती हैं कि उनके कुल सात भाई-बहन है। इसके बावजूद वह पढ़ाई की खर्च के लिए ट्यूशन पढ़ना शुरू की और उसी खर्चे से वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में उर्दू से पोस्ट ग्रेजुएट की उपाधि प्राप्त की। दिव्यांग होने के कारण कॉलेज जाने में काफी परेशानी हुई।
लेकिन इन तमाम बधाओ को दूर कर अपने लक्ष्य पर ध्यान दिया तथा आज पूरे यूनिवर्सिटी में उर्दू विभाग में शगुफ्ता परवीन ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया। शगुफ्ता रहती है कि वह आगे चलकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही है, ताकि समाज में प्रतिष्ठा के साथ परिवार को भी संबल मिल सके।
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