रायपुर-  कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने टिप्पणी की है. उन्होंने इस यात्रा को राजनीतिक पाखंड बताते हुए कटाक्ष किया है कि राहुल की इस यात्रा को लेकर कांग्रेस खुद दुविधा की शिकार नजर आ रही है. कौशिक ने कहा कि ट्विटर पर कांग्रेस और राहुल के सहयात्रियों के दावों में ही परस्पर विरोधाभास है, वहीं राहुल गांधी द्वारा साझा की गई यात्रा की तस्वीरो की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं.
धरमलाल कौशिक ने कहा कि दरअसल यह यात्रा महज राजनीतिक लाभ लेने की शर्मनाक कोशिश है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी इस में सफल नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि समूची कांग्रेस इन दिनों भ्रम के दौर से गुजर रही है. कांग्रेस के नेताओं को इतिहास के पन्ने पलट लेने की नसीहत देते हुए कौशिक ने कहा कि यह वही कांग्रेस है, जिसके पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सोमनाथ के मंदिर के पुनरुद्धार  का विरोध किया था और यहां तक कि तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में जाने का विरोध किया था. जब तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल की पहल पर सोमनाथ मंदिर का पुनरुद्धार हुआ और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद वहां जाने वाले थे, तब नेहरू ने यह कहकर उनको जाने से रोकने की भरपूर कोशिश की कि उनका जाना भारत के संवैधानिक ढांचे की मर्यादा के प्रतिकूल रहेगा. बावजूद इसके, तत्कालीन राष्ट्रपति जब मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह मे शरीक हुए तो नेहरू उनसे बेहद खफा हो गए. नेहरू ने तो खुद कहा है कि वे दुर्घटनावश हिन्दू है. जिस राजनीतिक दल की वैचारिक अवधारणा ही शुरू से मुस्लिम तुष्टिकरण से प्रेरित रही है, उससे बेहतर विचारों की कल्पना बेमानी है.
रामसेतु-प्रकरण में हलफनामा देकर भगवान राम को काल्पनिक बताने के प्रसंग का जिक्र करते हुए कौशिक ने कहा जिस पार्टी को कभी कांग्रेस अध्यक्ष स्वयं मुस्लिमों की पार्टी बताते हैं, कभी पार्टी प्रवक्ता जिस पार्टी के डीएनए में ब्राम्हण का होना बताते हैं, कभी जिस पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला हक मानते हैं, उस पार्टी के अध्यक्ष की मानसरोवर यात्रा सिवाय राजनीतिक पाखंड के और कुछ नहीं हैं.धरमलाल कौशिक  ने श्री रामचरित मानस के एक प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम कहते हैं कि शिव का द्रोही होकर कोई मेरा भक्त कहलाए, यह मुझे नहीं भाता. इसी तरह शिव द्रोही मेरा भक्त या मेरा द्रोही शिव-भक्त होने की बात कहे, वह घोर नर्क में वास करता है. कांग्रेस ने तो दोनो ही देवों के द्रोह का पाप कर दिया है. सोमनाथ मंदिर का विरोध कर शिव-द्रोह कर डाला और श्रीराम को भगवान नहीं, काल्पनिक बताकर राम-द्रोह कर डाला. अब तो जितना राजनीतिक पाखंड रच लें, यह तय है कि राहुल कांग्रेस की दुर्गति रोक नहीं सकेंगे. आज शिव-भक्ति का स्वांग करके कांग्रेस अध्यक्ष राजनीतिक पराभव की अपनी अकुलाहट-बौखलाहट को छिपाने की असफल कोशिश कर रहे हैं.