रायपुर। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सलियों के खिलाफ वहां की फोर्स का सफल आपरेशन्स को जानने और समझने छत्तीसगढ़ के अधिकारी महाराष्ट्र जाएंगे. जहां वे महाराष्ट्र की फोर्स द्वारा किए गए आपरेशन्स की बारीकियां समझने की कोशिश करेंगे. इसके साथ ही अधिकारी यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि छत्तीसगढ़ में भी  इंटेलीजेंस के पास जानकारी मौजूद होने के बावजूद भी यहां कोई बड़ी सफलता मिलने की बजाय इतनी ज्यादा कैजुअल्टी आखिर क्यों हो रही है?

आपको बता दें कि रविवार को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सी-60 फोर्स और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. दो अलग-अलग जगह हुई इस मुठभेड़ में नक्सलियों के 2 बड़े ईनामी लीडर सीनू और साईंनाथ भी मारे गए थे.इसके साथ ही जो नक्सली मारे गए हैं उनमें से 33 नक्सलियों का शव बरामद हो गया है.बताया जा रहा है कि जो नक्सली मारे गए हैं उनके ऊपर 75 लाख रुपए से भी ज्यादा का सरकार ने ईनाम घोषित किया था. वहीं इनमें से कई नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में वारदातों को अंजाम दे चुके हैं इनके ऊपर यहां भी अपराध दर्ज हैं.

ग्रेहाउंड्स को छत्तीसगढ़ में मिली सफलता

महाराष्ट्र की सी-60 फोर्स ने गढ़चिरौली में जिस तरह से सफल आपरेशन को अंजाम दिया है उससे छत्तीसगढ़ में चल रहे नक्सल आपरेशंस पर सवालिया निशान लगने लगा है. इससे पहले मार्च माह में तेलंगाना की ग्रेहाउंड्स फोर्स ने भी इंटेलीजेंस से मिले इनपुट्स के आधार पर तेलंगाना की सीमा से जुड़े हुए छत्तीसगढ़ के अंदर दाखिल होकर नक्सलियों को मार गिराया था. ग्रेहाउंड्स द्वारा चलाए गए आपरेशन में 6 महिला नक्सली समेत 10 नक्सलियों की मौत हुई थी वहीं फोर्स ने नक्सलियों के पास से AK47, इन्सास रायफल जैसे हथियारों को बरामद किया था.

झीरम सहित कई घटनाओं की थी जानकारी

गौरतलब है कि 2015 में झीरम कांड के बाद जांच में यह जानकारी निकल कर आई थी कि छत्तीसगढ़ की इंटेलीजेंस के पास सारे इनपुट्स और जानकारियां पहले से उपलब्ध थी. इंटेलीजेंस के पास यह सूचना मौजूद थी कि बड़ी संख्या में महिला नक्सलियों के साथ ही पुरुष नक्सली झीरम घाटी के आस-पास इकट्ठा हो रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी झीरम कांड जैसी कभी न भूलने वाली घटना घट गई जिसमें कांग्रेस के तत्काली प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व मंत्री महेन्द्र कर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल सहित दो दर्जन से ज्यादा नेताओं की मौत हो गई थी. इसके बाद भी लगातार इंटेलीजेंस के पास नक्सलियों के सभी इनपुट्स हासिल होते रहे हैं हाल ही में किस्टाराम में 9 जवान शहीद हो गए थे. इंटेलीजेंस के पास इस बात की भी जानकारी मौजूद थी कि 13 मार्च को नक्सली एक बड़ी घटना को अंजाम देते रहे हैं.

नहीं है तालमेल

छत्तीसगढ़ में जिस तरह से नक्सल वारदात लगातार हुई हैं उनसे यही बात बार-बार निकल कर आई है कि अधिकांश मामलों में जिला पुलिस और मोर्चे में लड़ रही फोर्स के बीच तालमेल का अभाव है उसके साथ ही इंटेलीजेंस के पास सारी जानकारियां होने के बाद भी प्रदेश में नक्सल आपरेशंस में कोई खास सफलता अभी तक नहीं मिली है उल्टा फोर्स को हर बार एक बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. जिसके तहत न सिर्फ जवान शहीद हो रहे हैं बल्कि उनके हथियार भी नक्सली लूटने में कामयाब हो जाते हैं.