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पं. वैभव बेमेतरिहा

ना-तेवर-बदले-,-ना-अंदाज,-आज-भी-वही-है-मिजाज-।छत्तीसगढ़ में इन दिनों राष्ट्रवाद की खूब अलख जग रही है। नक्सलवाद की समस्या से ग्रसित प्रदेश में बौद्धिक आतंवाद पर चर्चा हो रही है। चर्चा में देश के राष्ट्रावादी विचारक शामिल हो रहे हैं। लेकिन ऐसे मंचों पर छत्तीसगढ़ के एक पुलिस अधिकारी भी लगातार अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। ना  सिर्फ उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, बल्कि शासन के अनुशासन से परे खुलकर सिस्टम के खिलाफ बोल भी रहे हैं। बोल ही नहीं रहे कुछ छिपे राज भी खोल रहे हैं। उन्हें ना चिंता अपने वरिष्ठ अधिकारियों की है, ना सरकार की। ना किसी नोटिस की, ना किसी कार्रवाई की। आज यह पुलिस अधिकारी प्रदेश में राष्ट्रवादी मंचों पर हिन्दुत्व के बड़े चेहरे के तौर पर उभर रहे हैं।  पढ़िएं लल्लूराम विशेष राष्ट्रवादी विचारक कल्लूरी !

ये हैं छत्तीसगढ़ में विवादों को हर कदम पर साथ लेकर चलने देश में पुलिस अधिकारियों के सबसे चर्चित चेहरा आईजी एसआरपी कल्लूरी। अनगिनत शिकायत और विवादों के बीच बस्तर से विदाई के बाद कल्लूरी ना बदले, और ना उनके तेवर में कोई कमी आई है। बल्कि आज अपने इसी तेवर के चलते कल्लूरी प्रदेश में हिन्दुवादी मंचों के सबसे बड़े प्रतिनिधि के तौर पर उभर आएं हैं। कल्लूरी अब उन हर मंचों पर जाते हैं जहां हिन्दु युवा मंच का आयोजन होता है। जहां चर्चा होती है बौद्धिक आतंकवाद, नक्सलवाद पर। वो सिर्फ जाते हीं नहीं, बल्कि खुलकर बोलते भी है। सिस्टम के भीतर अपने ही सिस्टम के खिलाफ। एसआरपी कल्लूरी कहते हैं कि नक्सली आज देश में गृह आतंकी जैसे है। नक्सलवाद को खत्म करने के लिए वाइट कॉलर नक्सलियों को खत्म करना होगा। इसके लिए पुलिस के साथ सामाजिक संगठनों को खड़ा होना पड़ेगा। इसमें हिंदु युवा मंच जैसे लोगों की सक्रियता अहम है। भाषण के दौरान कल्लूरी ने हिंदु युवा मंच की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि आज बौद्धिक आतंकवाद के जरिए जिस तरह से नक्सलवाद के समर्थन करने वालों की फौज खड़ा हो रही है उसे रोकना जरूरी है। और इसके लिए इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर दिल्ली से लेकर बस्तर तक जो आतंकी विचार बांटे जा रहे हैं उन्हें रोकना होगा।

वैसे इसमें कोई दो राय नहीं है कि बस्तर में रहते नक्सलवादी मोर्चे पर सत्ता के बीच अपनी पैठ बनाने और मानव अधिकार संगठनों के बीच एक सामाजिक संगठन बनाकर अपनी एक अलग छवि बनाने वाले कल्लूरी आज राष्ट्रवादी विचारकों में शामिल हो चुके हैं। उन्हें अब इस तरह के मंचों पर बतौर वक्ता बुलाया जाता है। ये और बात कि इस तरह के मंचों को साझा नहीं करने की हिदायत उनके ही महकमे पुलिस मुख्यालय से उन मिल चुकी है। यहां तक नोटिस भी जारी हो चुका है। लेकिन कल्लूरी जी को अब इससे जैसे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका कहना है कि यह एक सांस्कृति कार्यक्रम है। और इसकी जानकारी पुलिस विभाग को है। वे पुलिस विभाग की जानकारी में इस तरह के कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं।

वैसे लगता भी यही है कि कल्लूरी को बतौर पुलिस अधिकारी खाकी से जुदा सिविल ड्रेस में खुलकर बोलना ज्यादा अच्छा लगता। उन्हें अब हिन्दुवादी मंचों को साझा कर सिस्टम के भीतर के सिस्टम का राज खोलना उचित लगता है। हिन्दु युवा मंच के कार्यक्रम में कल्लूरी की ये दूसरी उपस्थिति थी। कल्लूरी रायपुर से पहले दुर्ग के कार्यक्रम में हिस्सा ले चुके हैं। वैसे यह भी सच है कि कल्लूरी अब एनएचआरसी और सुको के साथ सफेदपोश पर भी निशाना साध लेते हैं। एसआरपी कल्लूरी आज हिन्दु युवा मंच या इस तरह के अन्य संगठनों के लोकिप्रिय चेहरा बन चुके हैं। और आज देश के राष्ट्रवादी विचारकों में शामिल होकर ऐसे बौद्धिक परिचर्चाओं का हिस्सा बन रहे हैं। तो सवाल ये है कि क्या कल्लूरी खाकी छोडेंगे तो खादी पहेंगे। ये और बात है कि कल्लूरी अभी अपनी राजनीतिक प्रवेश से इंकार करते हैं। लेकिन बदलते वक्त में कब कौन किस मोड़ पर किस सिस्टम के साथ खड़े हो जाए कह नहीं सकते। वैसे  भी छत्तीसगढ़ में डेढ़ साल बाद चुनाव जो है। और इस चुनाव में राष्ट्रवादी विचारकों की भूमिका भी अहम रहेगी।