बेमेतरा। भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में गायों की भूख से मौतों का सिलसिला थम ही नहीं रहा है. दुर्ग में सैकड़ों गायों की मौत के बाद बेमतेरा जिले में भी दो माह के भीतर 25 गायों की मौत का मामला सामने आया है. जिसमें कि 7 गायों की मौत एक ही दिन मंगलवार को हुई.

मामला ओटेबंद गौशाला और रजकुड़ी कांजी हाउस का है. प्रशासन के नाक के नीचे अवैध रुप से चल रहे ओटेबंद गौशाला में दो महिने पहले 12 मवेशियों की मौत हो गई. जिस जगह यह गौशाला स्थित थी वह काफी अंदर बताई जा रही है. इन मौतों के बाद गौशाला संचालक ने सभी गायों को रजकुड़ी स्थित कांजी हाऊस में शिफ्ट कर दिया. जहां मंगलवार को 7 गायों की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि कांजी हाउस में गायों को रखने के लिए शेड तक का निर्माण नहीं किया गया. जहां चारा नहीं मिलने से कमजोर हो चुकी गायों की मौत हो गई. जिस दौरान ये मौते हुई उस दौरान बंगाल की खाड़ी में कम दबाव के चलते लगातार बारिश हो रही थी. गायों की मौत के बाद उन्हें दफनाने की बजाय खुले में कई जगह फेंक दिया गया. जिसके बाद इस पूरे मामला का खुलासा हुआ. जिस इलाके में इन गायों की मौत हुई है वह भाजपा विधायक अवधेश सिंह चंदेल के क्षेत्र में आता है.

उधर मामले का खुलासा होने के बाद बेमेतरा जिला प्रशासन की नींद खुली और उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं समेत कई अधिकारी मौके पर पहुंचे. जहां अभी 67  गाय मौजूद है जिनकी हालत भी बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है. प्रशासन द्वारा बाकी बची हुई गायों के लिए आनन-फानन में सूखा चारा की व्यवस्था की गई है. लेकिन उन गायों के रहने के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं हो पाई है.

बगैर पंजीयन हो रहा था अवैध संचालन

जानकारी के मुताबिक ओटेबंद गौशाला को साल भर पहले मैना देवी मांडले नाम की एक महिला ने शुरु किया था. गौशाला शुरु करने के साथ ही संचालक ने गौ आयोग में पंजीयन के लिए आवेदन लगाया था. गौ आयोग ने मामले में उप संचालक पशु चिकित्सा से उनका अभिमत मांगा. उपसंचालक पशु चिकित्सा ने मौके का मुआयना करने के बाद गौ आयोग को अपनी रिपोर्ट भेज दी. बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में सुधार के बाद ही गौशाला संचालन की अनुमति देने की अनुशंसा की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक गौशाल में न तो गायों के रहने के लिए शेड का निर्माण किया गया था और न ही वहां पशुओ के पीने के लिए पानी की ही कोई व्यवस्था थी. जिसकी वजह से उन्होंने गौशाला को सुधार करने की हिदायत दी थी. वहीं रजकड़ी गांव में संचालित कांजी हाउस को भी संचालित करने की कोई लिखित अनुमति नहीं है. यहां भी पशुओ के रहने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई. गायों को खुले आसमान में रखा गया. उनके चारे की भी कोई व्यवस्था नहीं थी. आपको बता दें कि पंजीयन के पश्चात ही सरकार द्वारा गौशालाओं को लाखों रुपए का अनुदान दिया जाता है. उसके अलावा पशुओं के चारा सहित रख रखाव के लिए भी हर महीने एक बड़ी राशि दी जाती है.

आपको बता दें इससे पहले दुर्ग के धमधा इलाके और बेमेतरा के दो गौशाला में साढ़े चार सौ से ज्यादा गायों की भूख से मौत हो गई थी. उन गौ शाला को भाजपा नेता और जामुल पालिका उपाध्यक्ष हरीश वर्मा द्वारा संचालित किया जा रहा था. मामले का खुलासा होने के बाद भाजपा नेता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.