भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) भारत अभियान को औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त बताने वाली मध्य प्रदेश की महिला आईएएस दीपाली रस्तोगी पर एक तरफ जहां कार्रवाई की होने की चर्चा है, वहीं बीजेपी सांसद प्रह्लाद पटेल उनके समर्थन में आ गए हैं. खुले में शौचमुक्त भारत अभियान को लेकर महिला आईएएस ने अपने आर्टिकल में जिन बिन्दुओं को रेखांकित कर सवाल उठाए हैं, उसे प्रह्लाद पटेल सही मान रहे हैं. प्रह्लाद पटेल ने कहा, ‘आईएएस दीपाली रस्तोगी ने  ओडीएफ को लेकर व्यवहारिक बातें कहीं हैं. आईएएस से पहले मैं ये मुद्दा संसद में उठा चुका हूं. जिन इलाकों में पीने का पानी नहीं है, वहां भला कोई फ्लश में पांच लीटर पानी क्यों डालेगा? सरकार को इस बार पर ध्यान देने की जरूरत है.’ इससे पहले बीजेपी की ओर से जारी बयान में महिला आईएएस को नसीहत दी गई थी कि लोक सेवक का केंद्र सरकार की योजनाओं की प्रति इस तरह का नकारात्मक रवैया ठीक नहीं है.

दीपाली ने ओडीएफ पर अपनी राय अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में प्रकाशित आर्टिकल में जाहिर किया है. आर्टिकल में दीपाली ने लिखा, ‘गोरों के कहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुले में शौचमुक्त अभियान चलाया, जिनकी वॉशरूम हैबिट भारतीयों से अलग है’. दीपाली आगे लिखती हैं, ‘गोरे कहते हैं कि खुले में शौच करना गंदा है तो हम इतना बड़ा अभियान ले आए. हम मानते हैं कि शौचालय में पानी की जगह पेपर का उपयोग करना गंदा होता है तो क्या गोरे भी शौचालय में पेपर की जगह पानी का इस्तेमाल करने लगेंगे?’

उन्होंने लिखा है, ग्रामीण क्षेत्रों में खेत पर छोड़ी गई शौच तेज धूप में सूख जाती है. अगले दिन वह खाद बन जाती है. अगर ये लोग टैंक खुदवाकर शौचालय बना भी लें तो उसमें लगने वाला पानी कहां से लाएंगे. ग्रामीणों को लंबा फासला तय करके पानी लाना होता है. इतनी मेहनत से अगर कोई दो घड़े पानी लाता है तो क्या वह एक घड़ा शौचालय में डाल सकता है? बिलकुल नहीं.

केंद्र सरकार की योजना की आलोचना करने के चलते महिला आईएएस दीपाली रस्तोगी पर कार्रवाई किए जाने की तैयारी है. सचिव स्तर की अधिकारी के इस बर्ताव को सर्विस रूल्स के खिलाफ बताया जा रहा है. एमपी के मुख्य सचिव बीपी सिंह ने कहा कि वे इस मामले की जांच खुद करेंगे इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.