US Nuclear Submarines Near Russia: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) ने रूस के नजदीक दो परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने के आदेश दिए हैं। साथ ही, रूस को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। ट्रंप ने यह कदम रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के करीबी सहयोगी और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव (Former Russian President Dmitry Medvedev) के डेड हेंड वाले बयान के बाद उठाया है। हालांकि, अमेरिका ने यह नहीं बताया है कि परमाणु संपंन्न दोनों पनडुब्बियां आखिर कहां तैनात की जाएंगी?

मेदवेदेव के बयान से डर गए ट्रंप!

माना जा रहा है कि पूर्वी रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के डेड हेंड वाले बयान से अमेरिकी प्रशासन सकते में आ गया है। ट्रंप ने कहा कि मैंने दो परमाणु शक्ति संपंन्न पनडुब्बियों को उपयुक्त इलाके में भेजने का आदेश दिया है। अमेरिका ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि हम किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहें।

क्या है डेड हैंड?

दरअसल, डेड हैंड रूस का एक पुराना न्यूक्लियर हथियार कंट्रोल सिस्टम था। यह देश की लीडरशिप खत्म होने पर भी जवाबी हमले करने में सक्षम था। दिमित्री ने ट्रंप को चेताते हुए कहा था कि उन्हें डेड हैंड की ताकत याद रखनी चाहिए। भले ही वह आज मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को द वॉकिंग डेड पर अपनी पसंदीदा फिल्म याद रखनी चाहिए। उनकी घबराहट साफ तौर पर बता रही है कि क्रैमिलन और रूस सही रास्ते पर हैं।

ट्रंप ने रूस को जंग खत्म करने का दिया था अल्टीमेटम

बता दें कि, पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब ट्रंप ने 28 जुलाई को स्कॉटलैंड की यात्रा के दौरान रूस को यूक्रेन के साथ जंग खत्म करने के लिए अल्टीमेटम दिया था। ट्रंप ने कहा था कि रूस के पास युद्ध खत्म करने के लिए 10 से 12 दिन का समय बचा है। ट्रंप के इस बयान पर रूस ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।

इजराइल या ईरान की तरह चुप नहीं रहेगा रूस

दिमित्री ने कहा कि रूस कोई ईरान या इजरायल नहीं है जो अमेरिकी बयानबाजी के बाद चुप रहेगा। उसकी बातें मान लेगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप के बयान अमेरिका को पूर्ण युद्ध के करीब ला रहा है। ट्रंप को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जैसा नहीं बनना चाहिए। दिमित्री के बयान पर ट्रंप ने भी प्रतिक्रिया दी। ट्रंप ने कहा कि वह एक असफल राष्ट्रपति रहे हैं। वह अभी खुद को राष्ट्रपति समझते हैं। उन्हें अपनी जुबान पर लगाम लगानी चाहिए।

‘न्यूक्लियर सबमरीन’ का मतलब क्या है?

पहली बात तो हमें यह समझ लेनी चाहिए कि परमाणु ताक़त से लैस पनडुब्बी का ये मतलब नहीं है कि वह कोई परमाणु हथियार है. ऊपर से ये सामान्य पनडुब्बियों की तरह लगती हैं. लेकिन प्रमुख अंतर उस ऊर्जा का है जिसकी मदद से ये चलती हैं.

परमाणु ऊर्जा पर रिसर्च के शुरुआती दिनों में ही वैज्ञानिकों को ये बात समझ में आ गई थी कि परमाणुओं के विखंडन से निकलने वाली ऊर्जा की विशाल मात्रा का इस्तेमाल बिजली पैदा करने में किया जा सकता है.

दुनिया भर में पिछले 70 सालों से बिजली संयंत्रों में लगे न्यूक्लियर रिएक्टर्स बिजली पैदा करके घरों और उद्योगों को रोशन कर रहे हैं. ठीक इसी तरह से एक परमाणु पनडुब्बी के भीतर न्यूक्लियर रिएक्टर लगा होता है और वही उसकी ऊर्जा का स्रोत होता है.

हर एक परमाणु का नाभिक प्रोटॉन और न्यूट्रॉन्स से बना होता है. परमाणुओं के विखंडन की प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है. परमाणु ऊर्जा से लैस पनडुब्बियों में ईंधन के लिए यूरेनियम का इस्तेमाल होता है.

परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी का सबसे बड़ा फ़ायदा यह होता है कि उन्हें फिर से ईंधन लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती है. किसी परमाणु पनडुब्बी को जब ड्यूटी पर उतारा जाता है तो उसमें ईंधन के रूप में यूरेनियम की इतनी मात्रा मौजूद होती है कि वह अगले 30 सालों तक काम करते रह सकती है.

डीज़ल से चलने वाली पारंपरिक पनडुब्बी की तुलना में परमाणु ऊर्जा से लैस पनडुब्बी लंबे समय तक तेज़ रफ़्तार से काम कर सकती है. इसकी एक और ख़ास बात है. पारंपरिक कम्बस्टन इंजन के विपरीत इस पनडुब्बी को हवा की ज़रूरत नहीं पड़ती.

इसका मतलब यह हुआ कि एक न्यूक्लियर सबमरीन महीनों तक गहरे पानी में रह सकती है. उसे लंबे सफ़र पर दूरदराज़ के इलाकों में खुफिया अभियानों पर भेजा जा सकता है. लेकिन इसका एक नकारात्मक पहलू भी है. इसकी लागत बहुत ज़्यादा पड़ती है.

एक न्यूक्लियर सबमरीन को तैयार करने में अरबों डॉलर का ख़र्च आता है और इसे परमाणु विज्ञान के अनुभवी और जानकार लोग ही बना सकते हैं.

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