रायपुर। बजट अनुदान मांग पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज सदन में बेहद आक्रामक नजर आए. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस संविदा अधिकारी के भरोसे आप सत्ता चला रहे थे, उसने आपको 15 सीटों पर लाकर पटक दिया. जिन्होंने 65 सीट जिताने का दावा किया था, उस संविदा अधिकारियों के दल ने आपके टाइटेनिक का ये हश्र किया कि पूरा जहाज ही डूब गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यकीन नहीं होता कि डाक्टर रमन सिंह के तेवर अभी भी वैसे ही है, जैसे पहले थे. जब वह सत्ता में संविदा अधिकारियों से घिरे रहते थे.

भूपेश बघेल ने कहा कि एक संविदा अधिकारी पूर्व में पिछली सरकार के मुख्यमंत्री के ओएसडी के रूप में यहां आए थे, लेकिन देखते ही देखते पहले सचिव और बाद में प्रमुख सचिव बना दिए गए और आज हमे पूर्व मुख्यमंत्री प्रशासन चलाना सीखा रहे हैं. बघेल ने कहा कि पिछली सरकार में आईएएस अधिकारियों को सिर पर बिठा रखा था. संविदा अधिकारी जिस तेजी से आगे बढ़े वह पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यकाल में ही हो सकता था. मुख्यमंत्री ने नाम लिए बगैर एक अधिकारी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उस संविदा अधिकारी को छत्तीसगढ़ से ऐसा प्रेम था कि नौकरी तक छोड़ दी. ऐसा क्या था सीएम सचिवालय में? जब सत्ता से हटे तो नौकरी भी छोड़ दी. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के उस बयान पर भी टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा था कि पर्यावरण संरक्षण मंडल में एनजीटी की गाइडलाइन को ताक पर रखकर मंत्री को ही अध्यक्ष बना दिया गया, इस पर भूपेश बघेल ने चुटकी लेते हुए कहा कि संविदा अधिकारी इंजीनियरिंग के छात्र थे, लेकिन कई विभागों के एक्सपर्ट बन गए. सूचना प्रौद्योगिकी, एनआरडीए, पर्यवारण हर विभागों के एक्सपर्ट बन गए थे. उन्होंने सरकार की ट्रांसफर नीति पर उठाए गए सवाल के जवाब में कहा कि हम पिछली सरकार जैसा नहीं कर रहे, जहां निर्णय कुछ अधिकारी ही लेते थे, हम विधायकों से चर्चा करने के बाद ही निर्णय लेते हैं.

डीजीपी की नियुक्ति पर उठाए गए सवालों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि- पिछली सरकार के दौरान 2012-13 में क्या किया गया था? जब सारे नियमों को नजरअंदाज कर डीजीपी की नियुक्ति की गई थी? उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह को नसीहत भरे अंदाज में कहा कि- डाक्टर साहब जब आप उंगली उठाते हैं, तो यह मत भूलिए कि तीन उंगली आपकी ओर उठती है. भूपेश ने कहा कि बदलापुर का शब्द भी आपका ही इजाद किया हुआ है. उन्होंने कहा कि इसी सदन में हमने बीजेपी विधायकों से पूछा था कि क्या आप लोगों ने हमारे सदस्यों का कोई नुकसान किया है? जब हमारा कोई नुकसान नहीं किया, तो फिर बदला कैसा? हम बदला नहीं बल्कि बदलाव के दौर में है. जनता ने हमे चुना है. हम उन्हीं बातों को लेकर जनता के बीच गए थे, जिन्हें अब हम पूरा कर रहे हैं.

झीरम घाटी मामले में हमे कोई कितना भी रोके, हम सच्चाई सामने लाएंगे- भूपेश

झीरम घाटी नक्सल हमले में मौजूदा मंत्री की भूमिका पर सवाल उठाए जाने के मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि घटना के बाद 2013 में जब पूर्व सरकार दोबारा चुनकर आई थी, तब पूछताछ क्यों नहीं की गई? उस वक्त जांच क्यों नहीं की गई? हमने एनआईए को पत्र लिखा था, लेकिन हमे जवाब दिया गया कि जांच हो चुकी है. मैं जानता हूं कि झीरम घाटी हमले को लेकर किस-किस के पास कौन-कौन से तथ्य मौजूद हैं. इसकी जांच के लिए हमने एसआईटी का गठन किया है. केंद्र सरकार से आखिर क्यों यह नहीं कहा जाता कि एनआईए से मामला लेकर एसआईटी को सौंप दिया जाए. लेकिन उन्हें रोका जा रहा है. इसका मतलब साफ है कि दाल में कुछ काला जरूर है. भूपेश बघेल ने कहा कि संविधान में व्यवस्था है. हम इसका अध्ययन कर रहे हैं. कोई कितना भी रोके, हम सच्चाई सामने लाकर रहेंगे.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ताजा-ताजा हाईकोर्ट गए है कि नान घोटाले की जांच नहीं होनी चाहिए? आचार संहिता लगने के बाद घोटाले को लेकर पूरक चालान पेश किया गया था. आज उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है, जिसके खिलाफ सरकार में रहते हुए कभी कार्रवाई नहीं की गई. जब सरकार में थे, तब क्यों नहीं की कार्रवाई? भूपेश बघेल ने कहा कि एक अधिकारी बिना अनुमति के फोन टेप कर रहा है, लेकिन हमारे भोले पूर्व मुख्यमंत्री कहते है कि सीएस स्तर के अधिकारी अनुमति देते है. राज्य में बगौर अनुमति फोन टेपिंग हो रही थी. कोई अधिकारी, कोई नेता फोन में बात करने से डरता था. अधिकारियों के हाथों शासन चलाने वाले आज हमें प्रशासन चलाने की नसीहत दे रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि रेत के खनन में पंचायतों से रायल्टी केवल 10 करोड़ रुपये थी. प्रदेश में कुल 300 खदानें संचालित है. रिकॉर्ड में इन खदानों से प्रतिदिन 2-3 ट्रक रेत निकलता है, लेकिन क्या इसे कोई मान सकता है. रॉयल्टी ईमानदारी से वसूली नहीं गई. हम  सीसीटीवी लगाने की बात कर रहे हैं. हमने कई ट्रकों को पकड़ा है. जितनी गुंडागर्दी, बदमाशी हो रही है उसे काबू में ला रहे है. आप के समय भी होता था लेकिन कोई बोलने से घबराता है. वो दिन गया जब ऑक्शन के लिए गुंडागर्दी होती थी, अब तो सेटेलाइट जैसी तमाम चीजें है. भूपेश ने कहा कि हमने यह भी कहा है कि पंचायतों को 25 फीसदी बढ़ाकर राजस्व देंगे. उन्होंने कहा कि रेत के रेट का नियंत्रण भारत सरकार के अधीन है. हमारे नियंत्रण में नहीं है. लोकसभा चुनाव करीब है इसलिए इसके रेट बढ़ाये गए. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में जब कोयला खदान की नीलामी हुई तब 500 से 3200 टन प्रति हमे मिलता था, लेकिन आज सौ रुपये प्रति टन मिल रहा है. इससे राज्य के राजस्व में बड़ा नुकसान हुआ है.

मुख्यमंत्री ने सरकार के वित्तीय प्रबंधों को लेकर उठाए गए सवालों के जवाब में कहा कि हम खर्चों में नियंत्रण रखकर घाटे में कमी लाएंगे. हमने ऋण कमीशन खाने के लिए नहीं लिया था. हमने ऋण किसानों की कर्जमाफी के लिए लिया था. अन्नदाताओं के लिए लिया था. भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा डीएमएफ की बात कर रहे थे. पिछली सरकार ने ही इसे लेकर नियम बनाया था. लेकिन उस नियम में आक्सीजन बनाना कहाँ लिखा था, डीएमएफ के फण्ड से हवाई पट्टे बनाना कहाँ लिखा था, स्वीमिंग पूल बनना कहाँ लिखा था? बस्तर के आदिवासी उजाड़ रहे और शहर में ऑडिटोरियम बनाया गया. बघेल ने कहा कि हम दूसरा मड़वा नहीं बनने देंगे. 6 हजार करोड़ में बनने वाला प्लांट 9 हजार करोड़ में बना है. 3 हजार करोड़ रुपये का नुकसान किया गया. वित्तीय अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे थे. प्लांट लगा नहीं और मशीने खरीद ली गई थी. ये कैसा वित्तीय अनुशासन था. देश में सबसे महंगी बिजली का उत्पादन मड़वा प्लांट में हो रहा है. ऐसी मशीनें लाई जो चला ही नहीं. आया तो बिगड़ गया. 15 सालों में बिजली के दर पाँच बार बढ़ाया. मड़वा प्लांट जैसी परियोजनाओं की वजह से बिजली की दरें बढ़ी. मीटर शिफ्टिंग हुई नहीं और बिलिंग कर दी जाती रही. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के 15 साल के कार्यकाल और हमारी 60 दिन के सरकार के कामकाज का आंकलन कर लेना चाहिए. हमने पहले दिन से ही जन घोषणा पत्र का क्रियान्वयन शुरू कर दिया है, लेकिन उन्होंने 15 सालों में भी कुछ नहीं किया.

पत्रकार कल्याण कोष की राशि बढाई

बजट अनुदान चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकार कल्याण निधि की राशि बढ़ाए जाने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि पत्रकार कल्याण कोष में वर्तमान में न्यूनतम 5 हजार रुपये और अधिकतम 50 हजार रुपये तक राशि दिए जाने का प्रावधान है. लेकिन अब हम इसे बढ़ाकर न्यूनतम 10 हजार रुपये और अधिकतम 2 लाख रुपये कर रहे हैं. पत्रकारों का सम्मान निधि 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया जा रहा है.