कृषि विशेषज्ञों ने तापमान में वृद्वि को ध्यान में रखते हुए ग्रीष्मकालीन धान एवं सब्जियों वाली फसलों में सिंचाई की दर बढ़ाने, उचित अन्तराल पर सिंचाई करने और सिंचाई का प्रबंधन करने की सलाह किसानों को दी है। इसी तरह गर्मी को देखते हुए भूमि जनित रोगों के नियंत्रण के लिए खाली खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करने तथा खेतों की साफ-सफाई एवं मेड़ों की मरम्मत करने की भी सलाह दी गई है। फलदार वृक्ष लगाने हेतु अभी से गड्ढ़ा खोदकर छोड़ दें एवं बारिश के पश्चात् रोपाई करें।
कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि रबी फसलों की कटाई उपरांत खेतों में बचे फसलों के अवशेषों को जलायें नहीं बल्कि खेतों की गहरी जुताई करके इसे भूमि में दबाये, इस कार्य से जहां कृषि भूमि में जीवांश और पौषक तत्वों की मात्रा बढ़ेगी वहीं वातावरण प्रदूषण भी नहीं होगा।
किसानों को सलाह दी गई है कि वर्तमान समय अपने खेतों की मिट्टी जॉच करा लें और खेतों का समतलीकरण करवा ले। अनाजों को धुप मंे अच्छी तरह से सुखाकर भंडारण करें। आगामी खरीफ फसल लगाने हेतु उन्नतशील प्रजातियों के बीज एवं उर्वरक की अग्रिम व्यवस्था करें। रोपा धान के खेते की मिट्टी की उर्वरा बढ़ाने के लिए किसानों को हरी खाद वाली फसले जैसे ढैंचा, सनई आदि की बुआई करने की सलाह दी गई है। जहां तक सम्भव हो ग्रीष्मकालीन मूंगफली, मूंग एव सब्जी फसलों मंे धान के पैरा बिछा कर मल्चिंग करने कि सलाह दी गई है।
कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि तापमान में बढ़ोत्तरी के कारण मवेशियों में लू लगने की आंशका बढ जाती है। किसान एवं पशुपालक अपने जानवरों को धुप में निकलने से बचाये, ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाये तथा जानवरों को नियमित रूप से नहलाये। पशुओं एव मुर्गियों के निवास स्थल में बोरे लगा कर लू एवं गर्म हवा से बचाव आवश्यक है। यदि संभव हो तो पशु बाड़े में फौगर की व्यवस्था कर हर चार-पांच घंटे में फौगर चलाएं। पशुओं को लू लगने पर छायादार जगह ले जाकर गीले कपड़े से पूरे शरीर को बार-बार पोछे। पशु बाड़े को हवादार बनाये एवं गीले बारदाने लटकाकर ठंडा रखे।