रायपुर। आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ की सियासत 29 आदिवासी सीटों के आस-पास ही घुमती है. बीते 3 चुनाव में आदिवासी सीटों पर केन्द्रित राजनीति होती रही है. आरक्षित 29 सीटों पर लीड 2013 के चुनाव में कांग्रेस की भले ही रही हो लेकिन 2003 और 2008 में भाजपा ने बड़ी बढ़त हासिल कर अपनी सरकार बना ली थी. यही कोशिश अब बीजेपी की ओर से 2018 में फिर से है. लेकिन कांग्रेस बीजेपी की इस कोशिश के बीच अपनी पकड़ को आदिवासी सीटों में और मजबूत करने में लग गई है. कांग्रेस को पता है सत्ता में वापसी आदिवासी सीटों में लीड से मिल सकती है. लिहाजा 2013 से ज्यादा सीटें जीतने कांग्रेस आदिवासी मुद्दों को लेकर एक नए अभियान या कहिए कि आंदोलन की शुरुआत करने जा रही है. इस आंदोलन का नाम है ‘जंगल सत्याग्रह’.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने तय किया है कि आदिवासी सीटों पर जंगल सत्याग्रह चलेगा. जंगल सत्याग्रह की कमान संभालेंगे आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरजीत भगत. अमरजीत भगत के नेतृत्व में चलने वाले इस अभियान की रूपरेखा तैयार कर ली गई है. इसे लेकर वरिष्ठ नेताओं के साथ अमरजीत भगत की बैठक भी हो गई है. lalluram.com से बातचीत में अमरजीत भगत ने बताया कि जंगल सत्याग्रह में आदिवासी अधिकारों की बात होगी. वन अधिकार कानून को लेकर चर्चा की जाएगी. विस्थापन और यूपीए सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर बातचीत होगी. आदिवासी वर्ग के तमाम नेता सभी 29 सीटों में जाकर आदिवासियों से उनके मुद्दों को लेकर चर्चा करेंगे.
अमरजी भगत ने यह दावा भी किया कि जिस तरह से रमन सरकार ने आदिवासियों के अधिकारों को छीनने, उन्हें जंगल से बेदखल करने, जमीन को लूटने और विस्थापित करने का काम किया है उसका परिणाम इस चुनाव में दिखेगा. 2013 के चुनाव में कांग्रेस को 18 सीटें मिली थी, लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 20 से अधिक सीटें मिलेगी.