रायपुर। यौन उत्पीड़न मामले के आरोपों से घिरे एडीजी पवन देव के मामले को लेकर गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. बी.व्ही.आर सुब्रम्हण्यम और डीजीपी के बीच जमकर बहस हुई. वहीं इस मामले को लेकन दोनों अधिकारियों के बीच तनाव बढ़ने की खबर है. दरअसल पवन देव मामले में आईएएस रेणु पिल्लै की अध्यक्षता वाली विशाखा कमेटी की जांच की थी. इस जांच में एडीजी पवन देव यौन उत्पीड़न मामले का दोषी पाया गया था. लेकिन बीते डेढ़ साल बाद भी विशाखा कमेटी की रिपोर्ट पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 45 दिनों के भीतर गृह विभाग से जवाब मांगा था. लेकिन पुलिस मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक डीजीपी ने इस रिपोर्ट को गृह विभाग के पास भेजा ही नहीं है. लिहाजा नाराज गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने इस मामले में डीजीपी से अभिमत मांगा है. बताया जा रहा है इसी को लेकर सुब्रमण्यम और उपाध्याय के बीच जमकर टकराव हुआ है. गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव इस बात से बेहद नाराज बताए जा रहे हैं कि आखिर डीजीपी ने डेढ़ बरस बाद भी इस पर किसी तरह का कोई एक्शन क्यों नहीं लिया है ?
गौरतलब है कि बिलासपुर की एक महिला आरक्षक ने पवन देव के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी. तब पवन देव बिलासपुर के आईजी थे. मामला उजागर होने के बाद से पुलिस मुख्यालय में हड़कंप मच गया था. बाद में पवन देव को बिलासपुर आईजी से हटाकर पुलिस मुख्यालय अटैच कर दिया गया था. फिर इन आरोपों के बीच और जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी पवन देव को एडीजी के पद पर पदोन्नति दे दी गई.
लेकिन डेढ़ साल से किसी भी तरह से कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद पीड़ित महिला सिपाही ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जरिए गृह विभाग से कार्रवाई के संबंध में जानकारी मांगी. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 45 दिनों में गृह विभाग से इस पर जवाब मांगा था. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक 45 दिन बीतने के बाद भी अब तक डीजीपी की ओर से गृह विभाग कोई अभिमत नहीं मिला है. इसी को लेकर कड़ी चिट्ठी एसीएस सुब्रम्हण्यम ने डीजीपी उपाध्याय को लिखी. फिर फोन पर भी दोनों अधिकारियों के बीच गरमा-गरम बहस हुई. बताया यह भी जा रहा है कि एडीजी पवन देव डीजीपी का बेहद करीबी है इसलिए किसी तरह की कोई कार्रवाई उनके के खिलाफ उन्होंने होने नहीं दी है.
इधर ये भी जानकारी मिली है कि एडीजी पवन देव ने पुलिस मुख्यालय के अपने कक्ष में कुछ घंटे तक खुद बंद कर लिया था. हालांकि इसकी पुष्टि कोई कर नहीं रहा है. वहीं लल्लूराम डॉट कॉम की ओर से इस पूरे मामले में एसीएस सुब्रम्हण्यम और डीजीपी उपाध्याय से बात करने के लिए कई बार फोन किया लेकिन अधिकारियों से कोई जबाव नहीं मिला.