रायपुर। बच्चों के लिए 46वीं जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। यहां देशभर से आए बाल वैज्ञानिकों ने जीवन की चुनौतियों के समाधान को मॉडल के माध्यम से अपनी सोच के आधार पर प्रस्तुत किया है। शंकर नगर बीटीआई मैदान में आयोजित चलित विज्ञान प्रदर्शनी का रायपुर, सूरजपुर, तिल्दा-नेवरा आदि जगहों के स्कूलों से 700 बच्चों ने अवलोकन किया। प्रदर्शनी का मुख्य विषय ‘‘जीवन में चुनौतियों के लिए वैज्ञानिक समाधान’’ है। मॉडल एवं प्रादर्शो का प्रदर्शन छह भागों-कृषि एवं जैविक खेती, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, संसाधन प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन, परिवहन और संचार तथा गणितीय प्रतिरूपण में किया गया है।
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से प्रस्तुत प्रादर्श जिसमें हाथी के आक्रमण से बचाव के उपाय सुझाए गए है आर्कषण का केंद्र रहा। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के कोरबा, जशपुर और अंबिकापुर मुख्य जिले में हाथी का आंतक वहॉ के निवासियो के लिए एक चुनौती है। इसी चुनौती को सोनिया बरेठ एवं राकेश टंडन ने विज्ञान के द्वारा समाधान के रूप में अपने प्रादर्श से प्रस्तुत किया है। गॉव के चारो ओर एक गहरा जलाशय बनाते हुए गॉव की ओर पूरी जलाशय के साथ-साथ ऊंची क्रांकीट की दीवाल बॉड्रीवॉल के रूप में बनायी गयी है जिससे हाथी गॉव में प्रवेश नहीं कर पाएगा। यह प्रादर्श शासन के लेमरू एलीफेंट रिजर्व की योजना को ही साकार करता है।
स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के विषय पर आधारित चुनौतियों का सामना करने के लिए रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विद्यापीठ नारायणपुर छत्तीसगढ़ की छात्राओं कुमारी शारदा पोटाई और भूमिका दीवान ने औद्योगिक अपशिष्टों और अनुपयोगी जल का नवीन तकनीक का उपयोग करते हुए उपचारित कर नदियों या अन्य जल स्त्रोतों में प्रवाहित करने के लिए प्रादर्श का प्रदर्शन इसे सक्षम बनाने के उद्देश्य से किया है।
कृषि और जैविक खेती विषय पर आधारित गुजरात राज्य के राजकोट जिले के श्री उजाला प्राथमिक विद्यालय उजाला पिपर्डी जामकंदोरणा के विद्यार्थी भंडारी हर्ष रसिकभाई और पंसुरिया दीप रमेशभाई ने अभिनव स्प्रेयर के मॉडल के माध्यम से किसानों द्वारा खाद एवं कीटनाशक के छिड़काव के लिए छिड़काव यंत्र का प्रदर्शन किया है। मॉडल में छिड़काव बोतल में किसानों के जूतों से जुड़े वायु बल्ब के उपयोग द्वारा वायु दबाव उत्पन्न किया जाता है। कदमों के गतिशील होने के साथ वायु बल्ब संपीड़ित होता है, वायु के बहाव से यंत्र बोतल में वायु का दबाव बढ़ता है और अंत में पाइप के द्वारा बोतल में रखे खाद अथवा कीटनाशक का छिड़काव आसानी से किया जा सकता है।
कृषि एवं जैविक खेती विषय पर ही आधारित उत्तरप्रदेश, गाजियाबाद, विजय नगर के सरकारी गर्ल्स इंटर कॉलेज की विद्यार्थी कुमारी सोना शर्मा द्वारा प्रदर्शित स्वचालित वाटरिंग व लाइटिंग प्रणाली का मॉडल पौधों के लिए स्वचालित सिंचाई तथा प्रकाशन तंत्र की व्याख्या करता है। मॉडल में सेंसर का प्रयोग किया गया है और यह पारस्परिक प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। फैराडे के नियम का अनुसरण भी करता है। इसके अतिरिक्त यह जल संरक्षण के लिए भी सहायक है।
अपशिष्ट प्रबंधन विषय पर आधारित चंडीगढ़ के चितकारा इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 25 (पश्चिम) उद्योग पथ स्कूल के विद्यार्थी मन मोहित और शैशादरन द्वारा पवन मीनार का मॉडल पवन की गति का विद्युत उर्जा में रूपांतरण के सिद्धांत पर आधारित है। मॉडल का उद्देश्य शहर की तेज हवा की शक्ति का विद्युत उर्जा के उत्पादन में उपभोग को दर्शाना है। यह मॉडल पवन टर्बाइन की कार्य प्रणाली को दर्शाता है। जिसमें पवन उर्जा एक रोटर के चारों ओर 2-3 ब्लैड की तरह प्रोपेलर को घुमाती है। यह रोटर एक जनिज को घुमाकर विद्युत उत्पन्न करता है।
अपशिष्ट प्रबंधन विषय पर आधारित महाराष्ट्र सांगली जवाहर नवोदय विद्यालय के विद्यार्थी एम.ए. सोहन वसंत कामले ने बहुउद्देशीय कृषि उपकरण का ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया है। जिसमें एक ऐसी मशीन की कार्य प्रणाली को बताया गया है। जिसके एक भाग में विभिन्न प्रकार के यंत्र लगाकर अनेक कार्य किए जा सकते हैं। इस मशीन के द्वारा भुट्टे से मक्का के बीज और सूरजमुखी के फूल से बीज निकाले जा सकते हैं। इसमें नारियल छीलने और उसमें से नारियल के फल को निकालने का यंत्र लगाया जा सकता है। इससे फलों के बारिक टुकडे काटे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त खेती के अन्य यंत्रों पर धार करने का कार्य भी किया जा सकता है।
अपशिष्ट प्रबंधन विषय पर आधारित उत्तराखण्ड देहरादून के तिब्बती चिल्ड्रन विलेज स्कूल सेलाकुई के विद्यार्थी तेनजिन जांगचुक और यांगचेन ल्हामो डुंग्त्सो ने एक साधारण हस्त निर्मित पानी फिल्टर के मॉडल के माध्यम से गंदे पानी को साफ करने का प्रदर्शन किया है। मॉडल में पानी की छनाई के लिए तीन अलग-अलग सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। तीनों तरीकों में से प्रत्येक का उपयोग करके फिल्टर किए गए पानी की गुणवत्ता की तुलना की गई है। पहले में केले, संतरे और नींबू से खट्टे फलों के छिलके का उपयोग पानी को छानने के लिए किया गया है। दूसरे में ताजे कटे हुए फल का उपयोग और तीसरे में लकड़ी के कोयले का उपयोग किया गया है।