लखनऊ।
बिहार में NDA की 202 सीटों वाली प्रचंड जीत के बाद जैसे-जैसे आंकड़े सामने आ रहे हैं, उसकी समीक्षा बेहद दिलचस्प बनती जा रही है. बिहार चुनाव के नतीजों को बारीक़ी से देखा जाए, तो 2020 और 2025 में सीटों के अलावा हार-जीत के मार्जिन में भी बड़ा उलटफेर हुआ है. ख़ासतौर पर वो 31 विधानसभा जहां पर योगी आदित्यनाथ ने रैलियां की थीं. अगर उन विधानसभा में हार जीत के नतीजों और आंकड़ों पर ग़ौर करें, तो तस्वीर ख़ासी रोचक दिखती है. क्या ये कहा जा सकता है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिहार के बहाने 2025 में ही यूपी का ‘2027 वाला होमवर्क’ पूरा कर लिया है.

31 सीटों पर जीत-हार के मार्जिन में बड़ा उलटफेर

दानापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के रामकृपाल यादव की जीत पर गौर करना ज़रूरी है. 2020 में यहां से RJD के रीतलाल यादव 15924 वोट से जीते थे, जबकि इस बार जीत NDA की हुई और विजय का अंतर 29,133 वोट रहा, यानी क़रीब दोगुना. इसी तरह अगिआंव विधानसभा सीट पर BJP का परचम लहराना बहुत बड़ा संकेत है. क्योंकि, यहां पिछली बार हुए उपचुनाव में CPI के शिवप्रकाश रंजन ने 48,550 वोटों से बड़ी जीत हासिल की थी. वहीं, इस बार के चुनाव में सारा खेल ही पलट गया. यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली हुई, जिसके बाद माहौल बदलने लगा. चुनाव नतीजों में सबसे कांटे की टक्कर यहीं हुई. BJP के महेश पासवान ने 48,550 वोटों से हुई पिछली बार की पार्टी की हार को चुनौती देते हुए 2025 में 95 वोटों से विजय हासिल की. सीपीआई के शिकंजे से इस जीत को छीन लेना बड़ी चुनौती थी.

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कहीं 10 गुना बड़ी जीत, कहीं 9 गुना बड़ी विजय

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिहार की 31 विधानसभाओं में धुआंधार रैलियां की. योगी के भाषण और संबोधन में बुलडोज़र एक्शन और माफ़ियाओं को पस्त करने की बात गूंजती रही. उन बातों पर रैलियों में तालियां बजीं, तो वहीं EVM में बंपर वोटिंग भी हुई. इसी का नतीजा है कि परिहार विधानसभा सीट पर BJP की गायत्री देवी ने 2020 में 1569 वोटों से जीत हासिल की थी. जबकि इस बार 2025 के चुनाव में उन्होंने 15690 वोटों से जीत दर्ज की. यानी पिछली बार से दस गुना बड़ी जीत. बक्सर विधानसभा सीट पर 2020 के चुनाव में कांग्रेस के संजय तिवारी ने 3,892 वोटों से जीत दर्ज की थी. जबकि 2025 के चुनाव में BJP के आनंद मिश्रा ने 28253 वोटों के बड़े अंतर से विजय हासिल की. ये जीत 2020 के मुक़ाबले नौ गुना बड़ी थी. इसी तरह सिवान विधानसभा सीट पर 2020 के चुनाव में RJD के अवध बिहारी चौधरी ने 1973 वोटों से जीत हासिल की थी. इस बार सिवान सीट पर BJP प्रत्याशी मंगल पांडेय ने ना केवल जीत दर्ज की, बल्कि उनकी जीत का अंदर पिछली बार के मुकाबले क़रीब दस गुना ज़्यादा रहा. यानी RJD ने सिवान सीट 1973 वोटों से जीती, जबकि BJP ने वही सीट इस बार 9370 वोटों से जीत ली.

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NDA की जीत का अंतर बढ़ाया

यूपी के बाद बिहार में भी योगी आदित्यनाथ की माफ़ियाओं और बदमाशों पर सख़्त छवि का असर साफ दिखा. रैलियों में जुटने वाली भीड़ योगी के संबोधन के बाद हाथ हिलाकर समर्थन देती रही, तो वहीं जनता ने EVM में अपना वोट देकर NDA को प्रचंड जीत देकर मज़बूत सरकार की भूमिका तय कर दी. मुख्यमंत्री योगी की रैलियों के बाद ना केवल माहौल बदला, बल्कि जनविश्वास भी बढ़ा. इस बात को मुज़फ़्फ़रपुर के आंकड़ों से समझिये. 2020 के चुनाव में मुज़फ़्फ़रपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के विजेंद्र चौधरी ने 6,326 वोटों से जीत हासिल की थी. इस बार 2025 के चुनाव में BJP के रंजन कुमार ने मुज़फ़्फ़रपुर सीट 32657 वोटों के बड़े अंतर से जीती. यानी 2020 के मुक़ाबले जीत का अंतर चार गुना से ज़्यादा रहा. इसी तरह अतरी विधानसभा सीट पर RJD के अजय यादव ने 2020 में 7931 वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं, इस बार 2025 में HAM के प्रत्याशी रोमित कुमार ने 25,777 वोटों के बड़े अंतर से ये सीट जीत ली. यानी 2020 की तुलना में 2025 की जीत तीन गुना बड़ी है.

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बाबा के ‘बुलडोज़र ब्रांड’ ने दिल जीता

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिन 31 विधानसभा सीटों पर रैलियां की थीं, वहां जीत के आंकड़े काफ़ी सकारात्मक संदेश दे रहे हैं. इन 31 सीटों पर 2020 के चुनाव में NDA ने 20 और महागठबंधन ने 11 सीटें जीती थीं. लेकिन, इस बार इन सभी 31 सीटों पर NDA ने 26 सीटों पर विजय हासिल की और महागठबंधन को सिर्फ़ 5 सीटें ही मिल सकीं. योगी आदित्यनाथ की रैलियों को लेकर लोगों ने ऑफ कैमरा और ऑन रिकॉर्ड ये बात पूरी शिद्दत के साथ स्वीकार की है, कि कानून व्यवस्था के प्रति उनकी सख़्त छवि काफ़ी पसंद की जाती है. इसके अलावा सीएम योगी ने जिस तरह यूपी में माफ़ियाओं को मिट्टी में मिलाया है, उसका बड़ा संदेश बिहार समेत देश के कई राज्यों में साफ महसूस किया जा सकता है. बिहार में चुनावी रैलियों के बाद आए नतीजे इसकी गवाही दे रहे हैं.

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योगी के बुलडोज़र ब्रांड वाली राजनीति को बिहार के लोगों ने कुछ ख़ास वजहों से पसंद किया है. दरअसल, 90 के दशक में बिहार की कानून व्यवस्था ख़स्ताहाल थी. उस दौर में यूपी की सीमा वाले क़रीब 10-12 ज़िलों से लोग पूर्वांचल में आकर बसने लगे. बिहार के लोग यूपी के बलिया, ग़ाज़ीपुर, वाराणसी, आज़मगढ़, मऊ और प्रयागराज आकर रहने लगे. इसलिए ये कहा जा सकता है कि योगी ने जिस तरह बिहार के चुनावी नतीजों के उलटफेर में बड़ी भूमिका है, उससे 2027 के चुनाव में पूर्वांचल पर असर पड़ने की उम्मीद जगी है.

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बिहार के नतीजों से बदलेगा पूर्वांचल की हवा का रुख़

यूपी के पूर्वांचल में BJP के लिए जातिगत चुनौतियां काफ़ी मुश्क़िल स्थिति पैदा करती रही हैं. लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक BJP के क्षेत्रीय दलों का साथ मजबूरी में लेना ही पड़ता है. लेकिन, बिहार में जिस तरह से चुनाव नतीजे सामने आए हैं, उसने ये साबित कर दिया है कि BJP और योगी दोनों पर जनविश्वास बढ़ा है. मुख्यमंत्री योगी और यूपी BJP के लिए बिहार के चुनावी नतीजों के मायने इसलिए अहम हो जाते हैं, क्योंकि पूर्वांचल में बिहार के लोगों के तमाम कारोबार, व्यापार, रिश्तेदार, शादियां और सांस्कृतिक परिवेश काफ़ी हद तक घुला मिला हुआ है. इसलिए, बिहार के चुनावी नतीजों के मायने ये हैं कि जब वहां के लोगों ने योगी पर मुहर लगा दी है, तो यूपी के पूर्वांचल में भी 2027 की चुनावी हवा का रुख़ बदलना आसान हो सकेगा.