पटना। नीतीश कुमार सरकार ने ग्रामीण इलाकों में भूमि संबंधी मामलों को सरल और तेज बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब पंचायत के मुखिया और सरपंच को भी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार मिल गया है। यह बदलाव विशेष तौर पर राजस्व महाअभियान के तहत किया गया है, ताकि पुराने नामांतरण और उत्तराधिकार के मामलों का निपटारा तेजी से हो सके।

प्रक्रिया को आसान बनाया जाए

भूमि राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी जिला समाहर्ताओं को इस नई व्यवस्था की जानकारी देते हुए पत्र भेजा है। यह निर्णय 10 अगस्त को पटना स्थित राजस्व सर्वे प्रशिक्षण संस्थान में पंचायत प्रतिनिधियों के संघों के साथ हुई बैठक के बाद लिया गया। बैठक में सुझाव दिया गया था कि जिन मामलों में रैयत या जमाबंदीदार की मृत्यु वर्षों पहले हो चुकी है और प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है, वहां प्रक्रिया को आसान बनाया जाए।

मान्य प्रमाण माना जाएगा

नई व्यवस्था के तहत ऐसे मामलों में उत्तराधिकारी सफेद कागज पर स्व-घोषणा पत्र देकर पंचायत के मुखिया या सरपंच से हस्ताक्षर कराकर अभिप्रमाणित करा सकेंगे। अगर वंशावली में किसी के नाम के साथ ‘मृत’ दर्ज है, तो उसे भी मान्य प्रमाण माना जाएगा। इससे पहले एक साल से अधिक पुराने जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए बीडीओ और नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों को अधिकार दिए गए थे, ताकि आवेदन लंबित न रहें।

कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे

पहले नामांतरण के लिए मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र केवल नगर निकाय या ब्लॉक स्तर से ही जारी होता था, जिससे ग्रामीणों को कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब स्थानीय सत्यापन के आधार पर मुखिया या सरपंच पूर्वजों की मृत्यु को प्रमाणित कर देंगे और नामांतरण की प्रक्रिया तुरंत आगे बढ़ सकेगी। भूमि राजस्व विभाग का मानना है कि इस फैसले से हजारों लंबित नामांतरण मामलों का त्वरित निपटारा होगा, खासकर उन मामलों में जहां पुराने समय की मृत्यु तिथि का आधिकारिक प्रमाण पत्र मौजूद नहीं है।

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