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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा को बड़ा झटका लगा है. भाजपा के एक सहयोगी दल ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. यह बुरी खबर भाजपा के लिए असम से है. नागरिक संशोधन विधेयक के मुद्दे पर असम सरकार को समर्थन दे रही असम गण परिषद ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. असम गण परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करने के बाद यह फैसला लिया.
एजीपी अध्यक्ष अतुल बोरा ने कहा कि हमने इस विधेयक को पारित नहीं कराने के लिए केंद्र को मनाने के लिए आज आखिरी कोशिश की, लेकिन सिंह ने हमसे स्पष्ट कहा कि यह लोकसभा में मंगलवार को पारित कराया जाएगा. इसके बाद गठबंधन में बने रहने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री और एजीपी नेता प्रफुल्ल कुमार महंत ने कहा था कि अगर नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में सरकार लाती है तो उनकी पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले लेगी.
आपको बता दें नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए यह विधेयक ले कर आया जा रहा है. इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश के हिन्दु, सिख बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा. इस कानून के अनुसार 12 साल के बजाय 6 साल भारत में गुजारने पर और बगैर किसी उचित दस्तावेजों के भी उन्हें भारतीय नागरिकता मिल सकेगी. हालांकि विपक्षी दल कांग्रेस, माकपा, तृणमूल सहित कई पार्टियां इस विधेयक के विरोध में हैं.