रायपुर। भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर में हुए 48 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू ने पूरी कर ली है। सोमवार को EOW ने विशेष कोर्ट में 10 आरोपियों के खिलाफ करीब 7,600 पन्नों का चालान पेश किया। जांच एजेंसी ने जिन आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया है, उसमें हरमीत सिंह खनूजा, उमा तिवारी, केदार तिवारी, विजय जैन, कुंदन बघेल, भोजराज साहू, खेमराज कोसले, पुन्नूराम देशलहरे, गोपाल वर्मा और नरेंद्र नायक शामिल हैं।

इस घोटाले में कुल 12 से अधिक आरोपी शामिल हैं, जिनमें दो एसडीएम, एनएचएआइ के चार अधिकारी और राजस्व विभाग के कई अधिकारी-कर्मचारी भी शामिल हैं। जांच के दौरान अब तक एक जमीन कारोबारी समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें बाद में हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। राज्य सरकार ने जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी है और अब केंद्र जल्द ही मामले को सीबीआई या ईडी को सौंपने का निर्णय ले सकता है।

प्रोजेक्ट रिपोर्ट लिक कर पहुंचाया फायदा

भारतमाला परियोजना के मुआवजा घोटाले में करीब एक साल तक चली जांच में ईओडब्ल्यू ने पाया कि कि प्रोजेक्ट रिपोर्ट लीक कर कुछ लोगों ने जमीन के टुकड़े कर मुआवजे की रकम कई गुना बढ़ा ली। मुआवजा वितरण में भी गड़बड़ी की गई। अपात्र लोगों को मुआवजा बांटने के भी सबूत मिले हैं।

तीन एनएचएआई के अधिकारियों की संलिप्तता

एनएचएआई के तीन अधिकारियों की भूमिका पर भी एजेंसी ने आरोप तय किए हैं, लेकिन विभाग ने उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति नहीं दी है। एनएचएआई की आपत्ति के बाद ही केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने राज्य सरकार से पूरी रिपोर्ट मांगी थी।

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 किमी सड़क निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्सलेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमीनें अधिग्रहित की है। इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है। विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया था।

क्या है भूमि अधिग्रहण नियम

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपये सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी। इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा। इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपये मिलेंगे और 10 लाख रुपये सोलेशियम होगा। इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपये मिलेंगे।