- सीएम ने कहा- सिर्फ मीडिया में हिम्मत दिखाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा
- भूपेश की बात आजकल कोई गंभीरता से नहीं लेता
रायपुर- झीरम घाटी नक्सल हमले से पहले बीजेपी सरकार द्वारा करोडो़ं रूपए नक्सलियों को देने के पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के आऱोप पर मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह भड़क गए। उन्होंने भूपेश बघेल को नसीहत देते हुए कहा कि यदि उनमें हिम्मत हैं, तो एफिडेविट देकर एनआईए को नाम बताए। मुख्यमंत्री का ये अंदाज बेहद आक्रामक रहा। डा.रमन सिंह ने दो टूक कहा कि कांग्रेस की एनआईए के सामने एक पर्ची देने तक की हिम्मत नहीं है। सिर्फ मीडिया में हिम्मत दिखाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
कांग्रेस को एनआईए के सामने शपथपत्र देकर शिकायत करनी चाहिए, जांच में एनआईए जिसे लटका दे, वो लटक जाएगा। उन्होंने भूपेश पर निशाना साधते हुए कहा कि सिर्फ पेपर में नेतागिरी नहीं चलती। डा.रमन सिंह ने कहा- झीरम घाटी नक्सल हमले की एनआईए जांच यूपीए सरकार ने शुरू की थी। बयान देकर मीडिया में प्रचारित करने का कोई बड़ा असर नहीं होगा। वह हिम्मत दिखाएं। भूपेश के बयान से जुड़े एक सवाल पर डा.रमन सिंह ने कहा- आजकल लोग उनकी बातों को कितनी गंभीरता से लेते हैं, ये सबको पता है।
क्या कहना था भूपेश बघेल ने?
कांग्रेस भवन में बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में भूपेश बघेल ने कहा था कि झीरम नक्सल हमले के पहले सरकार की ओर से नक्सलि को करोड़ों रूपए दिए गए। इस मामले की जानकारी रखने वाले अभय सिंह को फर्जी मामले में फंसाया गया। बघेल ने कहा था कि सरकार और नक्सलियों के बीच सांठगांठ का खुलासा अभय सिंह ने ही किया था। अभय 2002 से पुलिस का इनफार्मर था। सरकार की हकीकत उजागर ना हो इसलिए ना केवल अभय सिंह को झूठे आरोप में फँसाया गया, बल्कि इंजेक्शन देकर बीमार कर दिया गया। भूपेश बघेल ने ये भी आऱोप लगायाथा कि एलेक्स पाल मेनन की रिहाई के लिए नक्सलियों के साथ पैसे का लेन-देन किया गया था। ये आरोप दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा भी लगाते रहे, लेकिन सरकार की ओर से उन्हें कभी जवाब नहीं दिया गया। भूपेश बघेल ने मांग की थी कि झीरम घाटी नक्सल हमले और अभय सिंह को लेकर सीबीआई जांच कराई जाए।