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रायपुर. जेल में बंद भ्रष्ट आईएएस आईएएस बाबूलाल अग्रवाल  की 26 करोड़ की चल- अचल संपत्ति अटैच होने के बाद उनकी काली कमाई के सारे राज़ सामने आ रहे हैं. प्रवर्तन निदेशालय की जांच में यह बात सामने आई की उनकी एक स्टील की कंपनी थी और करीब 67 बेनामी खाते खुलवाए थे. जिसमें बी. एल अग्रवाल काली कमाई रखते थे. ईडी को अपनी जांच में पता चला कि बेनामी खाते खुलवाने में भोले-भाले ग्रामीणों के नामों का इस्तेमाल किया गया था. इतना ही नहीं इनमें से एक को भी खाते खुलवाने के लिए बैंक में पेश नहीं किया गया था। करीब 446 बेनामी खाते एक ही बैंक यूनियन बैंक की रामसागरपारा और पंडरी शाखाओं में खोले गए थे। इन खातों से अग्रवाल के भाइयों और सीए सुनील अग्रवाल के स्टाफ के द्वारा लगातार ट्रांजेक्शन किया जाता रहा। बैंक अफसरों ने पाया कि सारा पैसा भले ही अलग-अलग खातों में जमा की गई हो पर एक परिवार के कारोबार में लगाया गया है।इन खातों में केवाईसी के सारे नियमों की अनदेखी की गई. अब जांच के दायरे में बैंक के अधिकारी भी हैं.

ईडी के अनुसार जांच में पाया गया कि अपनी काली कमाई को वैध करने के लिए अग्रवाल ने रायपुर से लगे खरोरा के ग्रामीणों के नाम कई ऐसे खाते खोले जिन पर सहज रुप में शक नहीं किया जा सकता था। इन खातों में हजार से लाख रुपए तक की राशि जमा भी जमा की गई। बाद में यह रकम 13 फर्जी कंपनियों में लगा दी गई। इन्हीं फर्जी कंपनियों ने प्राइम इस्पात लिमिटेड नाम से बनाई गई एक और कंपनी में 90 फीसदी शेयर इक्विटी के रूप में राशि ट्रांस्फर कर दी। इस कंपनी का मालिकाना हक बीएल के भाइयों के पास ही थी।

ये संपत्तियां हुईं अटैच

4.40 करोड़ की 70.78 हेक्टेयर भूमि
23.89 करोड़ का इस्पात प्लांट व मशीनरी
7.7 करोड़ की फैक्ट्री बिल्डिंग और इनोवा कार

2482 स्क्वायर फीट में बना 55 लाख का मकान (टिम्बर मार्केट, देवेंद्रनगर)

4.61 करोड़ की 4391 स्क्वायर फीट का आवासीय प्लॉट

ईडी की जांच में यह बात भी सामने आई की 67 बेनामी खातों में एक ही दिन 1.67 करोड़ रुपए जमा किए गए। वहीं 2006-09 के बीच इन खातों में कुल 39 करोड़ रुपए जमा किए गए। यही राशि 13 फर्जी कंपनियों के जरिए निकाली जाती रही। इस राशि को जमीन मकान, फैक्ट्री एंड मशीनरी की खरीदी में निवेश किया गया। मामले की पूरी जांच के बाद ईडी ने अग्रवाल पर पीएमएलए के तहत मामला दर्ज कर 36 करोड़ रुपए की पूरी संपत्तियों को अटैच कर लिया है।

सहायक निदेशक श्रीकांत पुरोहित ने बताया कि बीएल के खिलाफ पीएमएलए के तहत प्रकरण दर्ज कर मामला भ्रष्टाचार मामलों की विशेष कोर्ट में पेश किया जाएगा। बीएल अब यह संपत्ति कोर्ट के फैसले पर ही बेच सकेंगे।

छत्तीसगढ़ के दागी आईएएस अफसरों को नौकरी में रखा जाए या उन्हें कंपलसरी रिटायरमेंट दे दी जाए इसका फैसला करने केंद्र ने साल 17-18 के लिए हाईपावर कमेटी का गठन कर दिया है। मुख्य सचिव विवेक ढांड की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने 13 तारीख को अपनी पहली बैठक भी तय कर दी है। कमेटी में मध्य प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) बी. राजगोपाल नायडू केंद्र के प्रतिनिधि होंगे। पिछले साल ऐसी ही कमेटी की सिफारिश पर केंद्र ने आईपीएस राजकुमार देवांगन को बर्खास्त कर दिया था।

प्रशासन में शूचिता लाने के दावे के साथ साल 2011 से तत्कालीन मनमोहन सरकार ने नौकरशाहों की लायल्टी और ईमानदारी परखने के साथ दागी अफसरों को नौकरी से बाहर करने का सिलसिला शुरु किया था। इसे 2014 से प्रधानमंत्री मोदी ने भी जारी रखा है। इसके लिए देश के सभी राज्यों में कमेटी बनाकर आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों के सर्विस रिकार्ड की जांच कर अनफिट अफसरों के नामों की सिफारिशें मांगी जाती हैं। इस दायरे में 50 साल की उम्र के साथ 15 और 20 साल की नौकरी के दो बिंदुओं को शामिल किया गाया है। यह कमेटी इन अफसरों की जांच कर राज्य शासन से अंतिम टीप के साथ अपनी सिफारिशें भेजती हैं। पिछले साल छत्तीसगढ़ और झारखंड के एक-दो आईपीएस अफसरों को नौकरी से निकालने जाने के बाद से इन कमेटियों का महत्व बढ़ गया है। इसके तहत केंद्र से गठित नई कमेटी ने अपनी कार्रवाई शुरु कर दी है। यह कमेटी 13 अप्रैल को जब पहली बार रायपुर में बैठेगी तो वह 1981 से 1992 बैच तक के 24 डायरेक्ट आईएएस और 2000 से 07 तक के 58 प्रमोटी आईएएस अफसरों की नौकरी परखी जाएगी। इसमें पूरे कैरियर का सीआर,किसी मामले में डीई या अन्य किसी संवैधानिक जांच कमेटियों द्वारा की गई जांच और कार्रवाई का रिव्यू होगा। कमेटी में नायडू के साथ मुख्य सचिव विवेक ढांड ,एसीएस अजय सिंह और सचिव जीएडी निधि छिब्बर सदस्य होंगी। वहीं आईपीएस की बैठक में डीजीपी उपाध्याय और आईएफएस के लिए पीसीसीएफ आरके. टम्टा मेंबर होंगे। समिति की दो से तीन बैठकें की जाएंगी।

सूत्रों के अनुसार आईएएस अफसरों में 1988 बैच के एक प्रमुख सचिव और 2000 बैच की एक सचिव को कंपलसरी रिटायरमेंट देने की सिफारिश की जा सकती है। इसी तरह से आईएफएस में एक ही अधिकारी नाम शामिल है। ये सभी पिछले साल हुए रिव्यू में वॉच लिस्ट में रखे गए थे। नई समिति कुछ नए अफसरों को वाच लिस्ट में रखने की सिफारिश भी कर सकती है।