विधि अग्निहोत्री, रायपुर ग्रामीण। दिव्यांग शब्द सुनते ही हम अपने दिमाग में एक छवि बना लेते है किसी लाचार, असहाय व्यक्ति की. लेकिन गोवर्धन से अगर आप मिलते हैं तो वो बेशक आपका नजरिया बदल देगा. गोवर्धन वर्मा 27 साल का एक युवक है जो कि 75 प्रतिशत दिव्यांग है.
गोवर्धन का बचपन तंगहाली में बीता था. पिता मजदूर थे. ऐसे में 5 लोगों का परिवार चलाना काफी मुश्किल था. साथ ही 3 बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्च उठाना भी आसान नहीं था. छोटी-छोटी जरुरतों को पूरा करने के लिये भी घर में मां को कितनी मशक्कत करनी पड़ती है. इसका अंदाजा भी उसे था. उसपर 75प्रतिशत दिव्यांगता. ये हालात काफी थे गोवर्धन का हौसला पस्त करने के लिये. गोवर्धन की जगह अगर कोई और होता तो शायद इन परिस्थितियों के आगे घुटने टेक दिया होता. लेकिन इन मुश्किलों ने गोवर्धन को और मज़बूत बनाया. गरीबी का मुकाबला करते हुए और आर्थिक तंगी को पीछे छोड़ते हुए उसने अपनी जिंदगी की इबारत खुद लिखी. एजुकेशन लोन लेकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके साथ ही उसने पीजीडीसीए भी किया. आज वो छत्तीसगढ के एक कैबिनेट मंत्री के दफ्तर में आईटी एक्सपर्ट के तौर पर काम कर रहा है और अपने व अपने परिवार को एक सम्मानजनक जिंदगी देने में कामयाब रहा है.