रायपुर। छत्तीसगढ़ के साथ ही उड़ीसा की जीवनधार और प्रदेश की सबसे बड़ी नदी महानदी को बचाने शुक्रवार को एक अहम परिचर्चा राजधानी रायपुर में हुई. इस चर्चा में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ताओं के नीतिकारों ने अपने-अपने पक्ष रखे. परिचर्चा में समस्याओं के साथ समाधान गंभीर चिंतन हुआ. इस विचार गोष्ठी में यह बात स्पष्ट रूप से निकलकर सामने आया है कि जिन परिस्थितियों में महानदी को अभी देख रहे हैं उससे यह आकंलन किया जा सकता है दो राज्यों की यह जीवनधार समाप्त होने की कगार पर है. क्योंकि महानदी में बने और बनते जा रहे एनीकेट, बैराज के साथ कैचमेट एरिया में खनन इसे खत्म कर देगी.

जल विशेषज्ञ श्रीमंत ने कहा कि हम चाहते हैं कि जल विवाद को सुलझाने से पहले सरकार को महानदी को बचाने की दिशा में पहले कदम उठाने चाहिए. क्योंकि जब महनदी ही नहीं रहेगी तो फिर राज्यों के बीच जल विवाद का विषय नहीं रहेगा. ऐसे में दोनों राज्यों के सरकारों को जल विवाद का विषय छोड़कर इस पर ध्यान देना होगा कि कैसे महानदी को जीवित रखे. दरअसल आज महानदी के बहाव को रोकने और पानी बेचने का खेल चल रहा है. उद्योगपतियों को जगह-जगह बैैराज और एनीकेट बनाकर पानी बेचने का खेल चल रहा है. यह बेहद खतरनाक स्थिति है. हमने दोनों राज्यों के सामाजिक कार्यकर्ता जो कि जल-जंगल-जमीन बचाने के लिए काम करे हैं उनके साथ बैठक चर्चा की है. हमारी पहली कोशिश है कि नदियों को मरने से बचाए, नदियों में पानी का बहाव बना रहे. क्योंकि महानदी न सिर्फ आम लोगों के जीवन के लिए जरूरी है बल्कि इससे लाखों जीव-जंतू भी बचे हैं हुए.

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि सरकारें इस दिशा में प्राथमिकता से काम करने कि महानदी के कैचमेंट एरिया में किसी तरह से खनन न हो पाए. यही नहीं हमें महानदी में मिलने वाले नदियों को बचाना होगा. क्योंकि महानदी को महानदी बनाने सहायक नदिया सबसे महत्वपूर्ण है. ऐसे में सरकार को सोढ़ू, पैरी, अरपा, शिवनाथ और खास-कर हसदो नदीं की ओर ध्यान देना होगा. हसदो नदी की ओर इसलिए विशेषकर क्योंकि आज सबसे ज्याद प्रभावित हसदेव अरण्य क्षेत्र हैं. जहां बड़े पैमाने खनन किया जा रहा है. हसदेव नदी महानदी जब मिलती है तो महनदी का स्वरूप विशाल हो जाता है.

शुक्ला ने कहा कि हम सबने मिलकर यह तय किया कि है कि जल्द ही सरकार से इन विषयों को लेकर मिलेंगे. सरकार के सामने महानदी की चुनौती और समाधान के बारे में चर्चा करेंगे. छत्तीसगढ़ के साथ उड़ीसा सरकार से बातचीत कर इस दिशा में पहल करेंगे कि महनदी को बचाने में दोनों ही सरकार गंभीरतापूर्वक जल्द निर्णय लें. ताकि पानी दोनों राज्यों के हिस्से में होगा, किसानों के हिस्से में, लोगों के हिस्से में और महनदी के सहारे जीवित लाखों जीव-जंतू के हिस्से में हो. महानदी का पानी सिर्फ पूंजीपतियों-उद्योगपतियों के हिस्से में न हो.