नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है. राहुल ने महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिलाने के लिए कांग्रेस शासित और गठबंधन वाले राज्यों के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आगामी शीतकालीन सत्र में महिला आरक्षण बिल का प्रस्ताव पास कराने के लिए कहा है. इससे पहले इसी साल जुलाई में राहुल गांधी ने संसद में महिला आरक्षण बिल पर मोदी सरकार को समर्थन देने संबंधी पत्र लिखा था लेकिन सरकार की तरफ से इसके जवाब में कहा गया था कि कांग्रेस पहले तीन तलाक के मुद्दे पर समर्थन दे.

राहुल गांधी ने मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में कहा है कि भारतीय महिलाओं ने अपने जीवन में अलग-अलग क्षेत्रों में अहम जिम्मेदारी निभाई है लेकिन लोकसभा और विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है. जब तक इन लोकतांत्रिक संस्थाओं में उनका प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ता, तब तक उनका सच्चे मायनों में सशक्तिकरण नहीं हो सकता. राहुल ने लिखा है कि महिलाओं की संसदीय भागीदारी में भारत का स्थान दुनियाभर के 193 देशों में 148वां है। विधान सभाओं में तो स्थितियां और बदतर हैं. संसदीय परंपरा और लोकतांत्रिक व्यवस्था में महिलाओं की पर्याप्त मौजूदगी नहीं होना उनके साथ व्यवस्थागत अन्याय है.

राहुल गांधी ने लिखा है कि महिला आरक्षण से जुड़ा 108वां संविधान संशोधन बिल 2010 में राज्यसभा में पास हुआ था लेकिन जब तक कि यह कानून बनता साल 2014 में 15वीं लोकसभा के विघटन के साथ ही संशोधन बिल लटक गया. उन्होंने लिखा है कि महिला आरक्षण बिल के पक्ष में खड़ा होने के मकसद से आगामी सत्र में विधान सभा से एक प्रस्ताव पास कराएं जिसमें लोक सभा और विधान सभा के एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान हो. पत्र में यह भी लिखा गया है कि महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव की तरफ से 23 नवंबर, 2018 को इस बाबत विस्तृत पत्र लिखा जा चुका है. बता दें कि ओडिशा और आंध्र प्रदेश विधानसभा पहले ही महिला आरक्षण से जुड़ा प्रस्ताव पारित कर चुका है और लोकसभा और विधान सभा चुनावों में एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव रखा है.