रायपुर- 15 फरवरी को छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मैनपुर क्षेत्र से जिस बाघ की खाल को वन विभाग ने उड़ीसा से लाया जाना बताया था आखिर वह खाल उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के बाघ की ही निकली. रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने मारे गए बाघ को उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व का ही होना बताकर 17 फरवरी को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी. एनटीसीए ने खुलासा किया कि बाघ की खाल उस बाघ की है जो कि उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व का था तथा नेशनल टाइगर डेटाबेस की उस फोटो से बाघ की खाल मैच खाती है जोकि कुल्हाड़ीघाट रेंज की चंदोला बीट में 1 वर्ष पूर्व 25 फरवरी 2017 को ली गई थी.
सिंघवी द्वारा शिकायत करने उपरांत एनटीसीए के असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट नागपुर रीजन ने उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में 25 से 28 फरवरी 2018 को की गई जांच उपरांत पाया कि प्रकरण की जांच में प्रगति संतोषप्रद नहीं है. प्रकरण पुलिस को सौंप दिया गया है जो कि वन्य प्राणी (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 55 के तहत कार्यवाही करने में सक्षम नहीं है अतः कार्यवाही हेतु प्रकरण वन विभाग को सौंपा जाना चाहिए तथा आरोपीगण को वन विभाग की अभिरक्षा में लेकर विस्तृत पूछताछ कर हथियारों इत्यादि को जप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए, मोबाइल नंबर से जानकारी निकालनी चाहिए. अन्य महत्वपूर्ण सुझावों के साथ-साथ जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि प्रकरण में बहुत ही ज्यादा भ्रम पैदा कर गोपनीयता बरती गई है जिससे मीडिया में गलत संदेश गया है अतः मुख्य वन्य जीव संरक्षक अर्थात प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) अधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट करें.
ज्वलंत प्रश्न जो वन विभाग की कार्यप्रणाली पर शंका पैदा करते हैं?……जब वन विभाग को मालूम था कि पुलिस वन्य प्राणी (संरक्षण) अधिनियम की धारा 55 के तहत कार्यवाही करने हेतु सक्षम नहीं है तो फिर पुलिस को जांच क्यों सौंपी गई? क्यों पूरे समय वन विभाग के उच्च अधिकारी यह कहकर गुमराह करते रहे कि पुलिस जांच कर रही है और बाघ की खाल उड़ीसा से लाई गई है. एनटीसीए द्वारा यह कहने के बावजूद की मुख्य वन्य जीव संरक्षक अधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट करें क्यों नहीं आधिकारिक बयान जारी किया गया? सिंघवी ने प्रश्न किया कि वन विभाग को अब खुलासा करना चाहिए कि उसने आरोपी गणों को अपनी अभिरक्षा में लेकर वैसी पूछताछ की कि नहीं जैसा कि एनटीसीए ने सुझाया था? यह भी खुलासा करें कि आरोपीगण अभी कहां है या छूट गए हैं? सिंघवी ने बताया कि अगर धारा 55 के तहत कार्यवाही की गई होती तो अपराधियों को जमानत नहीं मिल सकती है.