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रोहित कश्यप, मुंगेली. व्यापार मेले के तीसरे दिन हास्य कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे कवियों ने गजब का शमा बांधा.  कवि सम्मेलन में देर रात तक लोग झूमते रहे, कवियों ने गुदगुदा या हंसाया, राजनीतिक व्यंग्य किया वहीं गंभीर राष्ट्रवाद से सोचने को मजबूर भी किया.  कवि सम्मेलन का संचालन बीना मध्य प्रदेश से कभी सुनील समैया ने किया. अपने गजब के संचालन से लोगों को अपनी ओर बांधे रखा.

कवि दीपक दनादन भोपाल वाले ने अपनी धनाधन कविता से लोगों को खूब हंसाया.  लोग मस्ती में तालियां बजाते रहे और झूमते रहे. इसके अलावा सुनील समैया और लता शबनम के नोक-झोंक ने समा बांध दिया. आगरा के कवि भूषण रागी ने हंसी के बीच राजनीतिक बाण चलाते हुए कहा -”  संसद की गरिमा को आंख मार ने लज्जित किया.

इस कविता ने खूब बटोरी तालियां…

बापू और बाबा की आत्मा तक रो गई |

हनुमान जी को दलित कह आस्था पै चोट की

बी,जे,पी,की सत्ता चार राज्यों में खो गई ||

राजनीति की रीत अजब निराली मीत

कलियुग में महाभारत के उल्टे बीज बो गई |

जिस द्रोपती को सरेआम किया वस्त्रहीन

वही द्रोपती आज दुशासन संग हो गई ||

वहीं श्रृंगार की कवित्री लता सबनम के – ”  रात भर ठहर मुसाफिर तू सबेरा कर ले

दिल की वीरान हवेली मे बसेरा कर ले

तेरी चाहत मे गिरफ्तार हुई अय “शबनम”

जैसे नागन को कोई कैद सपेरा कर ले…

इसके अलावा पद्मलोचन शर्मा ‘मुंहफट’ से लोग आनंदित हुए उनके गीत ‘मोर गांव के दारु भट्टी’ ने लोगों को खूब हंसाया’.  राष्ट्रीयता के कवि देवेंद्र परिहार ने अपनी ओजस्वी कविता से पत्थरबाजों और अलगाववादियों पर करारा प्रहार किया.  सैनिकों के गीत गाए और उनके गीत “बदल गया मेरा हिंदुस्तान” ने वाह-वाही लूटी.  मुंगेली की ही कवयित्री डॉ. नंदिनी तिवारी ने अपने श्रृंगारिक गीतों से श्रोताओं की तालियाँ बटोरी ” प्रेम युवाओं की हाला ..प्रेम मधुशाला है ” को लोगों ने खूब सराहा.