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पं. वैभव बेमेतरिहा

छत्तीसगढ़ भाजपा में बीते कुछ महीनों से तेजी से चिंतन-मनन प्रशिक्षण के संग मंथन बैठकों को दौर चल रहा
है। राज्य के भीतर भाजपा की हालत बहुत बुरी नहीं, लेकिन अच्छी भी नहीं। चौथी बार सत्ता हासिल कैसे की जानी है।  इसे लेकर योजना भी बनाई जा रही है।  काम भी किया जा रहा है।  सरकारी तंत्र को भी कसा जा रहा है और भाजपा  संगठन को  भी मजबूत कर रहा है, लेकिन तीन मोर्चों पर सत्ता की कमान पर भारी खतरा भी मंडरा है। इससे वाकिफ मुखिया भी है, संगठन भी और राष्ट्रीय नेतृत्व भी। ये मोर्चा- किसानों की भारी नाराजगी धान बोनस और समर्थन मूल्य की मांग पर है, ये मोर्चा पूर्ण शराबबंदी की मांग पर है, ये मोर्चा जल-जंगल-जमीन पर चल रही लूट और छत्तीसगढ़ियावाद पर है।

इन तीनों ही मोर्चों पर सरकार परेशानी में, संकट में नजर आती है। मुखिया इन्हीं मोर्चों पर राष्ट्रीय नेतृत्व के आगे कमजोर भी पड़ते हैं। लेकिन सौम्यता के बल-बुते फिलहाल इन संकट से उबरे हुए है। पर बदलते सियासी समीकरण के बीच सत्ता से लेकर संगठन तक में कई मोर्चा बनते रहे हैं, बने हुए हैं और आगे भी बन रहे हैं, बन सकते हैं। इसे लेकर समय-समय पर सियासी गलियारों में अफवाहों का बाजार भी गर्म रहता है। बीते दिनों दिल्ली से उड़ी अफवाह की खबर छत्तीसगढ़ में ऐसी फैली की खबरों में जैसे सत्ता के भीतर कमान परिवर्तन के संकेत दे दिए गए। लेकिन अफवाह, अफवाह ही बनी रही, आई और चली गई। इस बीच 5 राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद फिर से परिवर्तन के अफवाहों का बाजार गर्म हुआ। लेकिन गर्मी के थपेड़ों के बीच ये कोरी चर्चाएं जैसे झुलस के रह गई। मुखिया इस भरी गर्मी में सिसायी चर्चाओं से परे सत्ता को संभाले रखने, बल्कि और ज्यादा मजबूती से कसने गाँव-गाँव घुम रहे हैं। ताकि किसी तरह की बदलाव की हवा में सुराज की दवा लोक में असर कर सके। छवि पहले जैसी थी, वैसी ही बनी रहे । चौथी बार सत्ता की जंग पूरी उमंग के संग लड़ी जा सके। इस लड़ाई में साथ सबका चाहिए रहेगा। सत्ता के भीतर की सत्ता का भी, राष्ट्रीय नेतृत्व का भी, पीएम-शाह का भी।

चलिए इसी कड़ी में अब छत्तीसगढ़ से चलकर उड़ीसा पहुँचिए। क्योंकि जो अब तक आपने पढ़ा है, वो उड़ीसा में हो रही दो दिनी बैठक में से कुछ औपचारिक तो कुछ औनपचारिक कड़ी का हिस्सा है। और इसी हि स्से की बीच का किस्सा हम कह रहे हैं। दरअसल भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक 15 और 16 अप्रेल को उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में हो रही है। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह सहित पार्टी के कई राष्ट्रीय नेता विशेष रूप  से मौजूद रहेंगे। इन सबके बीच छत्तीसगढ़ से मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, राष्ट्रीय महासचिव सरोज पाण्डेय, केन्द्रीय मंत्री विष्णुदेव साय की मौजूदगी भी रहेगी। जाहिर तौर पर पड़ोसी राज्य में हो रहे इस बैठक में उड़ीसा के भीतर भाजपा को पंचायत चुनाव मिली सफलता को भुनाने विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनेगी। जिसमें पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की भूमिका अहम है।


जहां भाजपा की सरकार है और उड़ीसा में इस सरकार के जरिए पड़ोसी राज्य में सरकार बनाने की पुरजोर कोशिश में है। लेकिन छत्तीसगढ़ के संदर्भ में राष्ट्रीय नेतृत्व की चिंता डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के मौजूदा हालत को लेकर भी है। राष्ट्रीय संगठन बीजेपी का गढ़ बन चुके छ्तीसगढ़ में कहीं से कोई भी गड़बड़ी ना हो इस पर पूरी नजर रख रही है। लिहाजा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इस बैठक में प्रदेश के सियासी समीकरणों पर चिंतन-मनन के संग मुखिया सहित प्रदेश के नेताओं की मौजूदगी में मंथन भी होगा। सरकार में काम कर रहे तंत्र के लिए जाहिर तौर पर गुरू मंत्र भी दिया जाएगा। संभव है अफवाह के गर्म बाजार में कुछ सियासी संकेत भी मि
ले। जहां संकल्प के बीच हो सकता है, विकल्प पर भी चर्चा हो। हैट्रिक के बाद सत्ता का चौका लगाने अब बीजेपी नही चाहेगी नशे के व्यवसाय में कोई बहके और किसी का लाइन-लेंथ बिगड़ जाए। फिलहाल बैठक के बाद के सियासत को देखेंगे,  बनने और बदलने जा रहे समीकरण को महसूस करेंगे। वैसे एक कहावत है अगर किसी को जानना हो, तो उसके पड़ोसी से जानना चाहिए। कहीं यही कोशिश छत्तीसगढ़ के लिए उड़ीसा के जरिए तो नहीं हो रही है औऱ उड़ीसा के लिए छत्तीसगढ़ के जरिए।