रायपुर। भारतीय व्यवस्था में भूमि-रजिस्ट्री और दस्तावेज़ पंजीकरण (Registration) वह बुनियादी सेवा है जिससे नागरिकों को अपनी संपत्ति का कानूनी अधिकार मिलता है, बैंकों से ऋण लेने की स्थिति बनती है, विवाद निहितांशों का समाधान आसान होता है और शासन-प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। जब यह प्रक्रिया धीमी, जटिल, कागज़-आधारित, दर्जनों थोक हस्ताक्षर-प्रमाणों और मिडलमैन पर निर्भर होती है, तब भ्रष्टाचार के अवसर बढ़ते हैं। ऐसे माहौल में छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने राज्य में “ई-पंजीयन/ई-रजिस्ट्री” (e-Registration) के माध्यम से रजिस्ट्री की प्रक्रिया को सहज, पारदर्शी और आम नागरिकों के सहूलियत का बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में ई-पंजीयन प्रणाली सिर्फ सेवा-प्रदाय नहीं बल्कि सुशासन, जवाबदेही और तकनीकी मूलभूत क्रांति के रूप में सामने आ रहा है। इससे पहले जा ई-पंजीयन प्रणाली अस्तित्व में नहीं था किसी भी संपत्ति के लेन-देन, बिक्री, उपहार, गिफ्ट, बंटवारा, विरासत आदि के लिए पंजीकरण कार्यालय (Sub-Registrar Office, SRO) अनिवार्य रूप से जाना पड़ता था। प्रक्रिया बहुत जटिल हुआ करती थी फिजिकल आवेदन, दस्तावेजों का सत्यापन, जगह-जमीन का रिकॉर्ड निकालना,दर्जनों प्रमाण-पत्र, खसरा-खतौनी, नक्शा, उपयोग प्रमाण, पैन/आधार आदि की ज़रूरत होती थी। मिडलमैन या दलाल भी प्रक्रिया को जटिल बना देते थे।

फाइलों का अटका होना, दस्तावेज का खो जाना, सूचना नहीं मिलना और पारदर्शिता का अभाव इसके अलावा शुल्क भुगतान, स्टाम्प ड्यूटी, रजिस्ट्री शुल्क की जानकारी का ना होना एक बड़ी समस्या थी।लेन-देन के बाद जमीन का नामांतरण (म्यूटेशन) और रिकॉर्ड अद्यतन अक्सर लंबित रहता था जो अक्सर विवादों का कारण बनता था। इसी बुनियाद पर यह स्पष्ट हो गया था कि पारंपरिक पंजीकरण प्रक्रिया न सिर्फ नागरिकों के लिए बोझ थी बल्कि उसमें भ्रष्टाचार, देरी और असमर्थता के बहुत से अवसर थे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की दूरदर्शिता: सुशासन व डिजिटल क्रांति का नेतृत्व

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सुशासन-प्रस्ताव सिर्फ कागजी घोषणाओं तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि डिजिटल माध्यम से नागरिक केन्द्रित होगा। उन्होंने कई सार्वजनिक संबोधनों में यह भी कहा है कि राज्य में “गुड़-गवर्नेंस जनता के लिए है।” राजस्व एवं रजिस्ट्री विभागों में दस (10) बड़े सुधारों (Reforms) की घोषणा की गई है जिसका मूल उद्देश्य रजिस्ट्री-प्रक्रिया को सरल, तेज और पारदर्शी बनाना है। आज जब छत्तीसगढ़ अपनी रजत-जयंती वर्ष में राज्य निर्माण सुशासन की अपनी उपलब्धियों पर विचार कर रहा है, ऐसे में ई-पंजीयन को एक प्रमुख कार्यक्रम के रूप में लिया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री ने जमीन/संपत्ति पंजीकरण को सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं बल्कि सुशासन, नागरिक-सशक्तिकरण और तकनीकी सशक्त राज्य का प्रतीक बना दिया है।

छत्तीसगढ़ में लागू ई-पंजीयन/ई-रजिस्ट्री का तकनीकी आधार

ई-पंजीयन का मतलब है कि सब-रजिस्टार कार्यालय (SRO) में केवल फिजिकल दस्तावेज जमा करने की बजाय, लेन-देन से जुड़ी गतिविधियाँ डिजिटल प्लेटफार्म पर हों — जैसे ऑनलाइन आवेदन, ऑटो-डीड जनरेशन, डिजिटल हस्ताक्षर, ऑफलाइन/ऑनलाइन भुगतान, नामांतरण (mutation)-ट्रैकिंग आदि। NGDRS यानी National Generic Document Registration System, भारत सरकार द्वारा विकसित एक सार्वभौमिक, कॉन्फ़िगरेबल सॉफ्टवेयर है जो पंजीकरण विभागों को “वन-विंडो”, क्लाउड-आधारित, डिजिटल दस्तावेज़ पंजीकरण प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है। 
छत्तीसगढ़ में “e-Panjeeyan” पोर्टल के नाम से NGDRS आधारित सेवा उपलब्ध है। मई 2025 में मुख्यमंत्री ने दस (10) ट्रांसफॉर्मेटिव सेवाओं का शुभारंभ किया — जैसे ऑटो-डीड जनरेशन, एकीकृत डिजिटल भुगतान (UPI/Net-banking), ऑनलाइन निर्धारित शुल्क-रेट्रीवैल, सेलर्स/बायर्स की आधार लिंकिग आदि। जमीन ट्रांसफर-प्रक्रिया में सरलता के लिए अप्रैल 2025 में आदेश हुआ कि अब डिस्ट्रीक्ट रजिस्टार/उप-रजिस्टार बिक्री पंजीकरण के बाद संक्रमण (Transfer/Mutation) का निर्णय स्वयं करें — जिससे कार्यवाही में तेज़ी आएगी। मॉडल सब-रजिस्टार कार्यालय (Model SROs) का नेटवर्क शुरू हुआ — 104 ऑफिसों में से पहले चरण में 19 को चुना गया है जहाँ बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन, टोकन-क्व यू व्यवहार, नागरिक सुविधा काउंटर आदि की व्यवस्था होगी। भूमि रिकॉर्ड डिजिटलाइजेशन और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग आरम्भ किया गया जिसके उदाहरण के तौर पर दंतेवाड़ा जिले ने 7 लाख से अधिक रिकॉर्ड्स को ब्लॉकचेन माध्यम से सुरक्षित किया।

सुविधाओं की भरमार है ई-पंजीयन/ई-रजिस्ट्री

ई-पंजीयन/ई-रजिस्ट्री तकनीक के बाद अब नागरिक अब पोर्टल पर लॉग इन करके आसानी से दस्तावेजों की खोज कर सकते हैं, शुल्क की गणना कर सकते हैं, आवेदन-स्टेटस ट्रैक कर सकते हैं। नामांतरण या लेन-देन के बाद रजिस्ट्री के तुरंत बाद म्यूटेशन प्रक्रिया को सरलता से सम्पन्न कर सकते हैं। शुल्क रेट, स्टाम्प-ड्यूटी की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है। ई-पंजीयन/ई-रजिस्ट्री के बाद मिडलमैन निर्भरता घटती है, प्रक्रिया पर अधिकारियों की स्पष्ट निगरानी सम्भव हो पाती हैं। फिजिकल फाइल जाने-आने की प्रक्रिया खत्म या बहुत कम होती है , ऑनलाइन आवेदन, डिजिटल पेमेंट और ऑटो-डीड जनरेशन से गति बढ़ती है।इस तकनीक से भ्रष्टाचार के अवसर कम हुए क्योंकि आधार लिंकिंग, बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन, डिजिटल ट्रैकिंग व रिकॉर्ड लॉगिंग के कारण गुप्त सौदेबाजी या फर्जी दस्तावेज़-प्रक्रिया के चांस कम हुए।दूरदराज के क्षेत्रों से भी पोर्टल/स्मार्ट सेल सर्विस सेंटर के माध्यम से आवेदन संभव हो रहे हैं, नामांतरण शीघ्रता से हो रहा है, शिकायत-पंजीकरण और ट्रैकिंग आसान हुई है। नामांतरण प्रक्रिया के बाद तुरंत रिकॉर्ड अपडेट हो रहे हैं और विवाद की संभावना कम हो रही है।


साय सरकार के इस पहल से नागरिक हुए लाभान्वित

ई-पंजीयन/ई-रजिस्ट्री से छोटे-मध्यम लेन-देनकर्ता भी सहजता से रजिस्ट्री कर सकते हैं, जिससे संपत्ति बाजार को गति मिलेगी।बैंकिंग और ऋण सुविधा लिए जमीन-दस्तावेज़ जल्दी तैयार होना वित्त-समावेशन को बढ़ावा देगा।
ग्रामीण-पिछड़े जिलों में मॉडल SRO और डिजिटल सेवा केन्द्रों के माध्यम से समान सेवा-वितरण सुनिश्चित होगा।राज्य के रजत-जयंती वर्ष में इस प्रकार का डिजिटल परिवर्तन सरकार की ‘लोक-सेवा-परदर्शिता’ की दिशा में प्रतीक बन रहा है।


रजत-जयंती वर्ष के संदर्भ में विशेष पहल

छत्तीसगढ़ रजत-जयंती वर्ष को विकास, सुशासन व तकनीकी सशक्त राज्य के रूप में परिभाषित किया जा रहा है। इस अवसर पर सरकार ने ई-पंजीयन को एक प्रेरक “स्मार्ट सेवा” के रूप में रखा है — ताकि यह संकेत मिले कि पिछले 25 वर्ष में सिर्फ भौतिक विकास ही नहीं बल्कि शासन-प्रक्रियाओं में संस्कारात्मक बदलाव भी आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस वर्ष को डिजिटल, पारदर्शी और उत्तरदायी शासन का प्रतीक वर्ष बनाया है। इसलिए भूमि/रजिस्ट्री विभागों में इन तकनीकी सुधारों का शुभारंभ किया गया। इस तरह रजत-जयंती वर्ष न सिर्फ समारोह है बल्कि शासकीय सेवाओं में शानदार बदलाव का भी वर्ष बन गया है।

ई-पंजीयन/ई-रजिस्ट्री के क्रियान्वयन में उठाए जाने वाले महत्वपूर्ण कदम

ई-पंजीयन/ई-रजिस्ट्री के प्रति जागरूकता के लिए छत्तीसगढ़ की साय सरकार के द्वारा ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में लोक-सेवा केंद्रों (CSC, ग्राम-सेवा केन्द्र) के माध्यम से डिजिटल आवेदन सहायता व जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।सभी SRO ऑफिसों में मॉडल-स्टैण्डर्ड लागू करना और 100% डिजिटल पंजीकरण सुनिश्चित किया जा रहा है। म्यूटेशन प्रक्रिया को रजिस्ट्री के तुरंत बाद “ऑटो-म्यूटेशन” मॉडल पर ले जाने के आदेश दिए गए हैं। ओपन-डेटा पोर्टल, पब्लिक डेशबोर्ड को सार्वजनिक किया जा रहा है ताकि नागरिक देख सकें कि किस SRO में कितनी पेंडिंग फाइलें हैं और समय-सीमा का अनुपालन हो रहा है या नहीं।साइबर-सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है,नियमित पेन-टेस्टिंग और डेटा-एन्क्रिप्शन सुनिश्चित किए जा रहे हैं। 
स्व-सहायता वीडियो, मोबाइल ऐप्स, वन-स्मार्ट-फोन पोर्टल के माध्यम से नागरिकों को फोन-ऐप से प्रक्रिया समझने योग्य बनाया जा रहा है।निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम और परिवर्तन-मैनेजमेंट मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है।


छत्तीसगढ़ में ई-पंजीयन प्रणाली सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं है बल्कि शासन-संस्कृति में परिवर्तन का प्रतीक है। रजिस्ट्री की प्रक्रिया — जो पहले धीमी, जटिल और कम-पारदर्शी थी — अब डिजिटल प्लेटफार्म पर आ रही है, जिसे नागरिक स्वयं सहजता से समझ सकते हैं, आवेदन कर सकते हैं, ट्रैक कर सकते हैं और परिणाम देख सकते हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व, उनकी दूरदर्शिता, नीति-प्रोत्साहन और सुशासन की प्रतिबद्धता ने इस दिशा को मोम दिया है। विशेष रूप से, यह परिवर्तन रजत-जयंती वर्ष के अवसर पर एक ऐतिहासिक कदम के रूप में सामने आया है — यह संकेत है कि छत्तीसगढ़ अब सुशासन-केन्द्रित डिजिटल राज्य बनने की ओर अग्रसर है।

भविष्य में इस पहल को और व्यापक, समावेशी और सुरक्षित बनाया जाने वाला है ताकि हर नागरिक, चाहे वह ग्राम-पंचायत क्षेत्र में हो या शहर-प्रान्त में, सहजता से संपत्ति पंजीकरण या नामांतरण कर सके — बिना डर के, बिना देरी के, बिना मिडलमैन के। और वो महसूस कर सके कि उसका राज्य-प्रशासन उसके लिए है, उसके साथ है।