रायगढ़- रायगढ़ विधानसभा सीट में कुछ वर्षों को छोड़कर कांग्रेस का वर्चस्व रहा है. लेकिन पिछले 2 विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां सीट हासिल करने में कामयाब रही. इस बार इस सीट पर घमासान त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. एक ओर बीजेपी इस सीट पर जीत दर्ज करना चाहती है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी 2013 का चुनाव हारने के बाद अपनी कमर कस ली है. टिकट ना मिलने से नाराज चल रहे पूर्व बीजेपी विधायक निर्दलीय ही मैदान में कूद पड़े हैं जिससे बीजेपी की यह सीट खतरे में आ सकती है. हालांकि जीत हार का फैसला तो परिणाम ही तय करेंगे.

कौन कौन है मैदान में-

बीजेपी- रोशन लाल अग्रवाल

कांग्रेस- प्रकाश नायक

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी -विभाष सिंह

निर्दलीय- विजय अग्रवाल

प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता-

रोशनलाल अग्रवाल- एम कॉम

प्रकाश नायक- बीए

विभाष सिंह- बी.एस.सी, एल.एल.बी, एमए

विजय अग्रवाल- बी कॉम

2013 के चुनाव नतीजे

बीजेपी के रोशन अग्रवाल – 91045

कांग्रेस के शक्राजीत नायक – 70453

जनता का स्थानीय मुद्दा-

  1. मेडिकल कॉलेज का मुद्दा- रायगढ़ मेडिकल कॉलेज का काम कई वर्षों से चालू है जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है. जिससे आमजनों में प्रशासन के सुस्त रवैये को लेके खासी नाराजगी है.
  2.  हाथी आतंक रोकने में प्रशासन की नाकामी- वन विभाग और छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पिछले 10 सालों में हाथियों का आतंक रोकने करोड़ों रूपये दिए गए लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकाला जा सका है. ग्रामीण आए दिन हाथियों की चपेट में आते हैं उनके घर, फसले सब तहस नहस हो जाते हैं जान माल की हानि होती है. ग्रामीणों को आर्थिक हानि होती है. अब सैकड़ो लोगो हाथियों के आंतक के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं.
  3. दुषित होता प्रर्यावरण– विडंबना यह है कि यहां के स्थानीय निवासी उद्योगों के अपशिष्ट पदार्थों से सांस की गंभीर बीमारियां हो रही हैं पिछले 10 वर्षों में सांस की बीमारियों में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है. यहां के पर्यावरण में भी इसका दुष्प्रभाव देखा जा रहा है.
  4. सड़को का खस्ता हाल- जिले में सड़को की हालात बेहद खराब है.
  5. केलो डैम का मुद्दा- इस डैम का निर्माण किसानों और उद्योगों को पानी देने के लिए किया गया था. यहां उद्योगों को तो पानी मिल रहा लेकिन किसानों को सिंचाई के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा.
  6. स्टेडियम की कमी –आदिवासी बाहुल्य होने के कारण यहां के बच्चों की खेल कूद में बहुत दिलचस्पी है लेकिन बच्चों के अभ्यास के लिए अच्छा स्टेडियम उपलब्ध नहीं है. क्षेत्र में एक ही स्टेडियम है जिसकी स्थिति रखरखाव के अभाव में खराब हो चुकी है.

सीट का इतिहास-

रायगढ़ सीट पर 1972 और 1977 का चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर रामकुमार अग्रवाल ने जीत हासिल की.  इसके बाद 1980 से 1998 तक कुष्ण कुमार गुप्ता ने कांग्रेस के टिकट पर लगातार पांच चुनाव यहां से जीते. लेकिन राज्य बनने के बाद 2003 में बीजेपी ने कांग्रेस के इस किले में सेंध लगाई और विजय अग्रवाल ने कृष्ण कुमार गुप्ता को मात दी.

क्या कहता है चुनावी समीकरण-

इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है जिसमें प्रकाश नायक, रोशन लाल, विजय अग्रवाल के बीच कांटे की टक्कर है.

बीजेपी- बीजेपी की अगर बात करें तो बीजेपी ने रोशनलाल अग्रवाल को टिकट दिया है. आपको बता दें कि 2013 के विधानसभा चुनाव में रोशन अग्रवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराया था. इसलिए बीजेपी ने एक बार फिर से रोशनलाल अग्रवाल को मैदान में उतारा है. इस बार इस सीट पर रोशन को टक्कर देने के लिए प्रकाश नायक मैदान में है. प्रकाश नायक डॉ शक्राजीत नायक के बेटे हैं. गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में रोशन ने शक्राजीत को भारी मतों से हराया था.

कांग्रेस- कांग्रेस ने प्रकाश नायक को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. जो बीजेपी के रोशनलाल अग्रवाल को टक्कर देंगे. बताया जा रहा है कि प्रकाश नायक चुनाव जीतने के लिए अपना पूरा जोर लगा रहे हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में पिता की हार के बाद से ही प्रकाश चुनाव जीतने की तैयारियों में लगे हुए हैं. बताया जा रहा है कि अपने गृहग्राम सरिया और आस पास के गांवों के सभी वोट प्रकाश को मिल सकते हैं. एक तरह से जातिगत रणनीति के तौर पर प्रकाश ने दांव खेलते हुए ग्रामीण क्षेत्रों के वोट हासिल करने की कोशिश की है.

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी- वहीं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी की अगर बात करें तो विभाष सिंह को इस सीट से टिकट दिया गया है. विभाष इस सीट पर पूरा जोर आजमा रहे हैं. हालांकि इन्हे एक प्रबल दावेदार के तौर पर नहीं देखा जा रहा.

निर्दलीय – इस सीट पर बीजेपी के लिए सबसे बड़ा रोड़ा है पूर्व बीजेपी विधायक विजय अग्रवाल. 2003 का विधानसभा चुनाव विजय जीत चुके हैं. लेकिन इस बार विजय अग्रवाल निर्दलीय ही चुनाव लड़ रहे हैं. आलाकमान की ओर से इन्हे मनाने की कोशिश भी की गई, लेकिन इसका कोई नतीजा बीजेपी के पक्ष में नहीं आया. माना जाता है कि विजय अग्रवाल को रायगढ़ का एक बड़ा व्यापारिक समर्थन हासिल है जो वोटों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है.

हालांकि अंतिम फैसला जनता का ही होता है और हार जीत के परिणाम तो नतीजे ही बता सकते हैं.