रायपुर। राजधानी रायपुर के प्रेस क्लब में अध्यक्ष सहित कई पदों के लिए मतदान जारी है. मतदान को लेकर सुबह से प्रेस क्लब में पत्रकारों की गहमागहमी रही. बड़ी संख्या में पत्रकार अपने मताधिकारों का प्रयोग करने प्रेस क्लब पहुंच रहे हैं.

प्रेस क्लब चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए सद्भावना पैनल से बृजेश चौबे का पलड़ा भारी दिख रहा है, निर्दलीय उम्मीदवार के के शर्मा कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं. इधर सर्व एकता पैनल से अनिल पुसदकर और प्रगतिशील पैनल से दामू आम्बेडरे अंतिम समय तक किसी भी बड़े उलटफेर करते नजर आ सकते हैं. हालांकि इन सबके बीच परिवर्तन पैनल के उम्मीदवार सुखनंदन बंजारे भी काफी जोर लगा रहे हैं. सुखनंदन को मिलने वाले मत समीकरण तय करेंगे.

उपाध्यक्ष पद के लिए सद्भावना पैनल के सुदीप त्रिपाठी और सर्व एकता पैनल के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है. फिर भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बड़े वोटबैंक और प्रिंट में मजबूत दखल को देखते हुए सुदीप त्रिपाठी भारी नजर आ रहे हैं.

प्रेस क्लब के इस चुनाव में सर्वाधिक दिलचस्प मुकाबला महासचिव पद पर है. अंतिम समय में हाईकोर्ट से स्टे लेकर चुनावी दंगल में कूदने वाले सर्व एकता पैनल के सुकान्त राजपूत ने समीकरण बिगाड़ दिया है. हालांकि सद्भावना पैनल से इस पद के दावेदार प्रशांत दुबे की भी स्थिति मजबूत बनी हुई है. परिवर्तन पैनल के मोहन तिवारी भी इस पद में कड़ी टक्कर दे रहे हैं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का एक बड़ा हिस्सा मोहन के पक्ष में जाता दिख रहा है. लेकिन प्रशांत दुबे ने ऐन वक्त पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बड़े वोट बैंक पर सेंधमारी कर दी है. इससे उनका पलड़ा भारी हो गया है. प्रगतिशील पैनल के प्रत्याशी महादेव तिवारी को प्रिंट मीडिया से अच्छा खासा वोट मिल सकता है.

कोषाध्यक्ष पद में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से देवेश तिवारी का पलड़ा सबसे भारी है. सद्भावना पैनल के इस प्रत्याशी को दोहरा फायदा मिल रहा है. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का वोटबैंक तो देवेश के साथ है ही इसके अलावा सद्भावना पैनल का परंपरागत वोट बैंक भी देवेश को मिलेगा, हालांकि देवेश को कड़ी टक्कर शगुफ्ता शिरीन दे रही हैं.

सह सचिव पद के लिए सर्वाधिक प्रत्याशी मैदान में है. इस पद के लिए कुल 9 प्रत्याशी मैदान में है. सर्वे के मुताबिक गौरव शर्मा लीड करते दिख रहे है. जबकि भोलाराम सिन्हा और दिलीप साहू के बीच कड़ी टक्कर दिख रही है. अंकिता और अभिषेक पटास्कर बड़ा उलटफेर कर सकते हैं. दोनों के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का बड़ा वोट बैंक खड़ा नजर आ रहा है.