दुर्ग। सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने में और शांति भंग करने में कई बार सोशल मीडिया से फैले अफवाहों की बड़ी भूमिका होती है। कतिपय शरारती तत्व इस संबंध में सच्चाई को विकृत कर सोशल मीडिया में पेश करते हैं जिससे माहौल खराब होने की आशंका बन जाती है। इस स्थिति से निपटने के लिए शांति समिति में सोशल मीडिया पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों की नियुक्ति आवश्यक है। यह बात राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सरदार मंजीत सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि थाना स्तर पर भी संवेदनशील जगहों में शांति समितियों में सोशल मीडिया के जानकार लोग और इनका उपयोग करने वाले लोग रखे जाए। इससे सोशल मीडिया में सच्चाई को विकृत कर पेश करने वालों की पहचान आसान हो जाएगी। बैठक में कलेक्टर अंकित आनंद एवं एसपी प्रखर पांडे भी उपस्थित थे।

उन्होंने विस्तार से जिले में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी दी। मदरसों के संचालकों की बैठक लें एवं धार्मिक शिक्षा के साथ ही बुनियादी शिक्षा भी शामिल करने प्रेरित करें- बैठक में श्री सिंह ने अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों की शिक्षा के संबंध में भी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि मदरसों के संचालकों की नियमित बैठक लें। उनसे दिक्कतों के संबंध में जानकारी लें एवं हल करने की कोशिश करें। मदरसा संचालकों को धार्मिक शिक्षा के साथ ही बुनियादी शिक्षा भी बच्चों को उपलब्ध कराने प्रेरित करें ताकि भविष्य में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर इनके लिए उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि जिले में फिलहाल ऊर्दू शिक्षकों के कुछ पद रिक्त हैं। इन्हें भी भरने की कार्रवाई की जाए। कलेक्टर श्री आनंद ने बताया कि राज्य स्तर पर शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन किया गया है जिससे शिक्षकों की समस्या का पूरी तरह समाधान हो जाएगा।

रोजगार पर दें प्रमुख जोर

सरदार मंजीत सिंह ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय की अधिकता वाले क्लस्टर चुनकर यहां लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने, कौशल विकास के लिए प्रेरित करने की दिशा में काम करें। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जितना नवाचार करेंगे। उतना ही लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि अमूल और लिज्जत जैसे माडल हमारे सामने हैं जिसमें समूह की भागीदारी से बड़े बदलाव हुए हैं। अपने अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि सोनीपत में आर्टिफिशियल ज्वैलरी को लेकर समूहों ने कुछ काम शुरू किया। इनका कौशल विकास किया गया और अब ये वहां के समूहों के लिए प्रमुख व्यवसाय के रूप में उभरा है। उत्तराखंड में गुलाब जल पर एसएचजी काम कर रहे हैं। ललितपुर में बांस पर काम हो रहा है। इस तरह के नवाचारों को बढ़ावा देकर काम कराने से रोजगार के बड़े अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए शासन द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। अल्पसंख्यकों की बहुलता वाले क्लस्टर एरिया चिन्हांकित कर यहाँ इन योजनाओं के बारे में अधिकाधिक प्रचार-प्रसार किया जाए।