रायपुर. वन एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि राज्य में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लाॅकडाउन के दौरान लघु वनोपज संग्रहण, प्रसंस्करण, परिवहन तथा भण्डार में अति-आवश्यक कार्य के लिए न्यूनतम श्रमिकों और ग्रामीणों की कार्य करने की अनुमति देने तथा परिवहन, भण्डारण सेवा शर्ताें के अधीन चालू रखने के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं।

अकबर ने कहा कि ग्रामीणों को लघु वनोपजों के संग्रहण के समय एक दूसरे से कम से कम तीन मीटर की दूरी बनाए रखने को कहा गया है। स्व-सहायता समूह के द्वारा लघु वनोपज संग्राहकों से क्रय हाट बाजार में नहीं किया जाएगा, बल्कि गांव स्तर पर उनके द्वारा घरों से ही लघु वनोपजों का क्रय किया जाना है। स्व-सहायता समूह के सदस्यों द्वारा अनिवार्य रूप से मास्क का उपयोग किया जाना है। घरों से क्रय करते समय स्व-सहायता समूहों के दो से अधिक सदस्य उपस्थित नहीं रहेंगे।

अकबर ने कहा कि अगर अति-आवश्यक स्थिति में किसी वनोपज के प्राथमिक संस्करण की आवश्यकता हो तो प्रसंस्करण केन्द्र में 20 से अधिक महिला सदस्यों की उपस्थिति न होनी चहिये। उन्होंने कहा कि  सदस्यों द्वारा एक दूसरे के बीच में कम से कम तीन मीटर की दूरी का पालन करना ज़रूरी होगा।

उन्होंने बताया कि सदस्यों को हाथ में ग्लोब्स, सिर पर कैप तथा मास्क पहनना होगा। उन्होंने बताया कि लघु वनोपजों के संग्रहण तथा प्राथमिक संस्करण के दौरान प्रत्येक एक घंटे में स्व-सहायता समूहों के सदस्यों और अन्य संबंधित व्यक्ति अनिवार्य रूप से अपने हाथ धोएंगे। अकबर ने कहा कि अगर किसी भी सदस्य में इस दौरान कोई वायरस के लक्षण के दिखते हो तो तत्काल समीप के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में सम्पर्क करना जरूरी है।

अकबर ने कहा कि राज्य में लाॅकडाउन अवधि में भारत सरकार गृह मंत्रालय की गाईड लाइन और राज्य के दिशा निर्देशों के तहत इन कार्याें के लिए सशर्त छूट प्रदान की गई है। इनमें लघु वनोपज संग्रहण, लाख पालन आदि में श्रमिकों और संग्राहकों को कार्य करने तथा संग्रहित वनोपज को ग्राम स्तर पर स्व-सहायता समूहों को विक्रय करने की छूट है।
अकबर ने बताया कि इस सम्बंध में आदेश वन विभाग की ओर से जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के समस्त संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और मुख्य कार्यपालन अधिकारी-जिला पंचायतों को इसके पालन को सुनिश्चित करने को कहा गया है।

अकबर ने बताया कि राज्य में वन तथा सीमा क्षेत्रों से ईमली, महुआ फूल, चिरौंजी आदि खाद्य योग्य वनोपज हर्रा, बहेड़ा आदि औषधि योग्य वनोपजों का संग्रहण सीजन चालू है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों तथा आदिवासी निजी क्षेत्र और वन क्षेत्र से संग्रहण कर ग्राम स्तर, स्व-सहायता समूहों को बेचेंगे। ये बिक्री छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

अकबर ने कहा कि समूहों द्वारा क्रय लघु वनोपज को उपयुक्त स्थानों पर प्रसंस्करण करने और उक्त वनोपजों को उपयुक्त वाहन द्वारा गोदाम अथवा कोल्ड स्टोरेज में परिवहन करने, भण्डारण करने तथा उचित रख-रखाव करने की छूट प्रदान की गई है। इसके अलावा भण्डारित वनोपजों को अन्य राज्यों के खाद्य तथा औषधि उत्पादन केन्द्रों के लिए परिवहन करने की छूट प्रदान की गई है।