पंकज सिंह, दंतेवाड़ा। सत्ता भले ही बदल जाए लेकिन व्यवस्था आसानी से नहीं बदलती. इसका ताजा उदाहरण बस्तर में देखने को मिल रहा है. यहां नक्सल हिंसा की पीड़ित महिला मदद के लिए प्रशासन के दरवाजे तक बार-बार जाकर गुहार लगा रही है लेकिन मिल सिर्फ आश्वासन ही रहा है.

दर्द को बयां करने वाली ये खबर 2018 में अगस्त के महीने में हुई नक्सल घटना से जुड़ी है. तब भांसी थाना के नजदीक मुख्य मार्ग पर नक्सलियों ने एक यात्री बस में आग लगा दी थी. इस बस में सवार एक यात्री जिंदा जल गया था. मृतक की पहचान सतीश यादव निवासी जगदलपुर के रूप में हुई थी. सतीश की मौत के बाद उनकी पत्नी प्रियंका अपने मासूम बच्चे के साथ अब मदद के लिए दर-दर भटक रही है. सतीश के जाने के बाद आर्थिक संकट से जुझ रही प्रियंका को सरकार से मदद की उम्मीद थी. लेकिन पूर्व सरकार के चार महीने और नई सरकार के 3 महीने पूरे होने के बाद भी स्थिति वही जो प्रियंका के लिए अगस्त महीने में नक्सल घटना के बाद की थी.
                                                                                                                          मृतक सतीश यादव
सरकारी योजना के मुताबिक नक्सल हिंसा के शिकार पीड़ितों को तत्काल 5 लाख रुपये, नौकरी, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा निःशुल्क मिलती है. लेकिन प्रियंका को इसमें एक भी लाभ अब तक नहीं मिल सका है. ऐसे में एक बार फिर से प्रियंका दंतेवाड़ा कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा के पास मदद के लिए पहुँची. लेकिन मिला सिर्फ आश्वासन. प्रियंका ने कहा कि वे कलेक्टर पास गई लेकिन उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा.

वहीं कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा का कहना है कि सरकार की जो गाइड लाइन उसके मुताबिक जल्द ही पीड़ित तक मदद पहुँच जाएगी. 5 लाख देने का प्रावधान है. प्रकरण बनाकर भेजा गया है स्वीकृति नहीं मिल पाई.

मतलब फिलहाल सत्ता और व्यवस्था के बीच प्रियंका मदद की आश में झुल रही है, दर-दर भटक रही है. उम्मीद किसी माध्यम से अगर ये खबर सरकार के मुखिया तो पहुँचे तो कठोर व्यवस्था ऐसे मामलों में थोड़ा लचीला हो जाए. प्रियंका को जल्दी मदद मिल जाए.

नक्सल हिंसा में पति को खोने वाली पत्नी मदद के लिए भटक रही हैं
सुनिए क्या कह रही हैं प्रियंका यादव

[embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=H2nJ306BKrY[/embedyt]